साढ़े चार करोड़ का घोटाला
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खुलासा. मुख्य नदी के तटबंध निर्माण में लूट, कार्रवाई नहीं
साढ़े चार करोड़ का घोटाला बांध निर्माण में करोड़ों के घोटाले का मामला सामने आने के बावजूद कार्रवाई नहीं होने से शिकायतकर्ता सह पूर्व सांसद नवल किशोर राय खफा है. जल संसाधन मंत्री को पत्र लिख श्री राय ने यहां तक कहा है कि बिहार सरकार के न्याय के साथ विकास और भ्रष्टाचार के विरुद्ध […]
बांध निर्माण में करोड़ों के घोटाले का मामला सामने आने के बावजूद कार्रवाई नहीं होने से शिकायतकर्ता सह पूर्व सांसद नवल किशोर राय खफा है. जल संसाधन मंत्री को पत्र लिख श्री राय ने यहां तक कहा है कि बिहार सरकार के न्याय के साथ विकास और भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टोलरेंस की नीति को धक्का लगा है. मंत्री से दोषी अधिकारी व कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश देने की अपेक्षा की है.
सीतामढ़ी : जिला के बथनाहा प्रखंड अंतर्गत अधवारा समूह के मुख्य नदी के तटबंध के निर्माण में करोड़ों रुपये की लूट की निगरानी की जांच में खुलासा होने के बावजूद अब तक कार्रवाई नदारद है. जनवरी 15 में ही निगरानी विभाग ने जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव को जांच रिपोर्ट भेज कार्रवाई की अनुशंसा की थी. कार्रवाई नहीं होने पर पूर्व सांसद नवल किशोर राय ने जल संसाधन विभाग के मंत्री को एक ताजा पत्र भेजा है.
निगरानी विभाग के तकनीकी परीक्षण कोषांग द्वारा तटबंध निर्माण की जांच की गयी थी.
यह पाया गया था कि फसल क्षति के मुआवजा के लिए स्वीकृत 4.51 करोड़ का भुगतान पाकर संबंधित एजेंसी द्वारा गबन कर लिया गया. यानी फसल क्षति के मुआवजा की राशि जो किसानों की जेब में होनी चाहिए थी, उसे अपने जेब में डाल लिया गया. इतना ही नहीं, स्लूइस मरम्मती का कार्य बिना कराये एजेंसी द्वारा 2.81 लाख का गबन कर लिया गया.
निगरानी की जांच में हुआ था लूट का खुलासा
इन्हें माना गया था दोषी
निगरानी विभाग की जांच में अवैध रूप से भुगतान करने में तत्कालीन कार्यपालक अभियंता भीमशंकर राय दोषी माने गये थे. वहीं सत्यापित लीड के बिना हीं, लीड युक्त कार्य मद के भुगतान के लिए लेखा लिपिक संजय कुमार, लेखापाल राजीव कुमार व लेखा पदाधिकारी अजय कुमार को दोषी पाया गया था. निगरानी विभाग के सरकार के उप सचिव चंद्रशेखर नारायण ने 29 जनवरी 15 को ही जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव को पत्र भेज उक्त दोषी पदाधिकारी व कर्मियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने की अनुशंसा की थी.
15 अभियंताओं से स्पष्टीकरण
इस प्रकरण में 15 अभियंताओं से स्पष्टीकरण पूछा गया था. इनमें क्रमश: तत्कालीन मुख्य अभियंता गुंजा लाल राम, अधीक्षण अभियंता देवानंद कुंवर, बच्चा लाल सिंह, कार्यपालक अभियंता भीमशंकर राय, सहायक अभियंता सुभाष चंद्र, बबन प्रसाद लाल, कनीय अभियंता जवाहर लाल सिंह, प्रेम शंकर प्रसाद यादव, कपिलदेव नारायण सिंह, रविश कुमार, राजीव कुमार, प्रदीप कुमार, चंद्रशेखर शर्मा, लेखा लिपिक संजय कुमार, लेखापाल राजीव कुमार व लेखा पदाधिकारी अजय कुमार शामिल थे.
मिट्टी की कटाई में अनियमितता
जांच में सामने आया था कि जिन स्थलों पर मिट्टी डालना था, वहां पर्याप्त मिट्टी नहीं डाला गया था. वहीं बांध से 25 मीटर के अंदर से मिट्टी की कटाई की गयी थी, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए था. एकरारनामा में यह कहीं नहीं था कि 25 मीटर के अंदर से मिट्टी की कटाई करनी है. निगरानी विभाग ने इसे इंडियन स्टैंडर्ड कोर्ड 11532 का उल्लंघन माना था.
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