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तरियानी में फिर खूनी संघर्ष का दौर!

सीतामढ़ीः शिवहर जिले के तरियानी ब्लॉक के औरा मलिकाना गांव में बुधवार की रात पुल निर्माण कंपनी के दो बेस कैंप पर नक्सली हमले के बाद यह सवाल मौजूं हो गया है कि क्या? तरियानी बेल्ट एक बार फिर खूनी संघर्ष का गवाह बनेगा. खास कर यह स्थिति तब बन गयी है, जब नक्सलियों को […]

सीतामढ़ीः शिवहर जिले के तरियानी ब्लॉक के औरा मलिकाना गांव में बुधवार की रात पुल निर्माण कंपनी के दो बेस कैंप पर नक्सली हमले के बाद यह सवाल मौजूं हो गया है कि क्या? तरियानी बेल्ट एक बार फिर खूनी संघर्ष का गवाह बनेगा. खास कर यह स्थिति तब बन गयी है, जब नक्सलियों को कथित आपराधिक संगठन आजाद हिंद फौज की ओर से पिछले कुछ माह से जबरदस्त चुनौती मिल रही है.

14 जनवरी को बलुआ बाजार में नक्सलियों के एरिया कमांडर नेक मोहम्मद तथा उसके सहयोगी सुनील गुप्ता की दिनदहाड़े हुई हत्या के बाद से खूनी संघर्ष बदले की कार्रवाई में तब्दील हो गयी. उक्त दोहरे हत्या के बाद हीं आजाद हिंद फौज का नाम इलाके में खौफ बन कर उभरा और नक्सलियों को पहली बार प्रतिद्वंद्विता का आभास हुआ. नक्सलियों के संगठन को तरियानी में विस्तार देने वाले नेक मोहम्मद की हत्या से संगठन के कमजोर पड़ने के कयास लगाये जाने लगे. तब यह सवाल भी उभरा था कि क्या नक्सलियों का पकड़ रून्नीसैदपुर इलाके में अब कमजोर पड़ गया है. क्या नेक मोहम्मद के बाद संगठन क्षमता को विस्तारित करना नक्सलियों के लिए गंभीर चुनौती साबित होगी? इन सवालों के बीच छिड़ी बहस ने इलाके में पैर जमा चुके नक्सलियों को खूनी संघर्ष अख्तियार करने पर मजबूर कर दिया.

इसकी परिणति पूर्व प्रखंड प्रमुख कामेश्वर प्रसाद यादव को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. पहले से नक्सलियों के टारगेट पर रहे स्व यादव तथा उनके भाई अखिलेश्वर प्रसाद यादव पर 14 फरवरी की शाम नक्सलियों ने नेक मोहम्मद एवं सुनील गुप्ता की हत्या के बदले की कार्रवाई में गोलियों से निशाना बनाया. प्रमुख की हत्या के बाद से नक्सलियों का प्रभाव बढ़ने पर तब ब्रेक लग गया जब नक्सलियों के प्रमुख लीडर सुहाग पासवान की निशानदेही पर इलाके में की गयी छापेमारी के बाद सीआरपीएफ ने भुट्टा पटेल समेत कई हार्डकोर नक्सलियों को दबोच लिया. संगठन के शीर्ष नेतृत्व के पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद नक्सलियों के प्रभाव पर फिर से सवाल खड़ा होने लगा.

तरियानी बेल्ट के बेलसंड, रून्नीसैदपुर के अलावा मुजफ्फरपुर के मीनापुर इलाके में संगठन का टकराव सीधे आजाद हिंद फौज से होने लगा. हालांकि मेजरगंज के ननकार सिमरदह गांव में दो महादलित युवक की हत्या के बाद से आजाद हिंद फौज एक बार फिर सुर्खियों में आया. उक्त संगठन ने दोहरे हत्या की जिम्मेवारी लिया था. एक तरफ आजाद हिंद फौज तथा दूसरी तरफ नक्सलियों के बीच की अदावत बागमती इलाके के उन वासिंदों के लिए मुसीबत बन गया जो अमन चैन में जीना पसंद करती है. कभी क्रांति की इबारत लिखने वाला यह इलाका आज आपराधिक व नक्सल वारदातों का केंद्र बन गया है.

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