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सब कुछ जानते हुये भी हैं अनजान! नियोजित शिक्षक से प्रधान का प्रभार वापस लेने का मामला अधिकारियों पर हाइकोर्ट के आदेश का भी असर नहीं नियोजित पर कार्रवाई करने से हिचक रहे हैं बीइओ सीतामढ़ी. मध्य विद्यालयों में नियमित शिक्षक को ही प्रधान शिक्षक के प्रभार में रहना है. नियोजित शिक्षक को प्रधान नहीं […]

सब कुछ जानते हुये भी हैं अनजान! नियोजित शिक्षक से प्रधान का प्रभार वापस लेने का मामला अधिकारियों पर हाइकोर्ट के आदेश का भी असर नहीं नियोजित पर कार्रवाई करने से हिचक रहे हैं बीइओ सीतामढ़ी. मध्य विद्यालयों में नियमित शिक्षक को ही प्रधान शिक्षक के प्रभार में रहना है. नियोजित शिक्षक को प्रधान नहीं बनाना है. यह आदेश हाइकोर्ट का है. कोर्ट के आदेश के आलोक में प्राथमिक शिक्षा के निदेशक अजय कुमार चौधरी का वह पत्र यहां के अधिकारियों के पास धूल फांक रहा है, जिसमें कहा गया था कि मध्य विद्यालयों में नियोजित शिक्षक को प्रधान नहीं बनाया जाना है. हाइकोर्ट का आदेश बेअसर वाद संख्या 6724/2008 में हाइकोर्ट ने 23 जनवरी 12 को उक्त आदेश पारित किया था. तब से अब तक आदेश का शत प्रतिशत पालन सुनिश्चित नहीं कराया गया है. आदेश के करीब 11 माह बाद सरकार की नींद खुली थी और पांच दिसंबर 12 को सभी डीइओ को पत्र भेज कोर्ट के आदेश के आलोक में कार्रवाई करने को कहा गया था. बावजूद कुछ नहीं हुआ. यानी हाइकोर्ट के आदेश की अवहेलना अब भी की जा रही है. सरकार को है पूरी खबर प्रभार नहीं सौंपने के कारणों की पूरी खबर काफी पहले से सरकार को भी है. छह सितंबर 13 को प्राथमिक शिक्षा के निदेशक अजय कुमार चौधरी ने सभी डीइओ का भेजे पत्र में उक्त बात को स्वीकार किया था. उन्हें पता चला था कि मध्य विद्यालयों में जो नियोजित शिक्षक प्रधान हैं, वे प्रभार नहीं दे रहे हैं. साथ ही ऐसे शिक्षकों के खिलाफ नियोजन इकाई भी कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. तीन तरह की होनी है कार्रवाई आजिज आ कर सरकार ने नियोजित शिक्षकों पर तीन तरह की कार्रवाई करने का आदेश दिया था. यह आदेश भी बेअसर रहा. यानी किसी बीइओ द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी. निदेशक ने डीइओ से कहा था कि प्रभार नहीं सौंपने वाले नियोजित शिक्षकों के वित्तीय मामले के संचालन पर रोक लगा दें और इस बारे में बैंक को निर्देश दें. बावजूद प्रभार नहीं सौंपने पर अनुशासनिक कार्रवाई व वेतन भुगतान पर रोक लगाने को कहा गया था. बावजूद प्रभार नहीं सौंपने वाले के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने व वित्तीय गबन का आरोप लगा प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया गया था. ऐसा कुछ नहीं हुआ है. डीइओ व बीइओ के बीच अब तक कागजी घोड़ा दौड़ने के सिवा प्रभार दिलाने की दिशा में ठोस कार्रवाई नहीं की गयी है. कार्रवाई का खौफ नहीं बता दें कि निदेशक ने अपने पत्र में डीइओ से कहा था कि हाइकोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं होने पर वादी द्वारा अवमानना का मामला दायर किया जा सकता है. यह भी सामने आया है कि डीइओ द्वारा ही जानबूझ करके उक्त आदेश का अनुपालन नहीं कराया जा रहा है. डीइओ को अनुशासनिक व कानूनी कार्रवाई की चेतावनी मिली थी. हद तो यह है कि न तो डीइओ गंभीर है और न कोई दूसरे अधिकारी. बॉक्स में :-पुपरी में 11 में नियोजित हैं प्रधान सीतामढ़ी. पुपरी प्रखंड के 10 मध्य विद्यालय व एक प्राथमिक विद्यालय में नियोजित व कनीय शिक्षक प्रधान हैं. इनमें मवि हरदिया, हदरिया कन्या, बेदौल, गंगटी, केवलपुर, हिमा ससौला, मवि मारवाड़ी, बाजितपुर, मौलानगर उर्दू, रामपुर पचासी व प्राथमिक विद्यालय पुपरी उर्दू शामिल है. परसौनी प्रखंड का हाल परसौनी. प्रखंड के मवि गिसारा में लोकेश कुमार, मवि मदनपुर पूर्वी में रामाधार सिंह, मवि बेनीपुर में रामबाबू यादव, मवि कठौर गोट में सरोज कुमारी, मवि रमनी में राजीव कुमार व मवि ढ़ांगर में राधेश्याम प्रसाद प्रधान शिक्षक हैं. उक्त सभी नियोजित शिक्षक हैं. यही हाल मवि परशुरामपुर का भी है. प्रावि गिसारा पश्चिमी समेत 25 प्राथमिक विद्यालयों में भी नियोजित/कनीय शिक्षक हीं प्रधान हैं. 38 स्कूलों में नियोजित प्रधान मेजरगंज. प्रखंड में कुल 52 व मध्य विद्यालय है. यह जान कर हैरानी होगी कि मात्र 14 स्कूलों में ही नियमित शिक्षक प्रधान हैं. 38 में नियोजित शिक्षक ही प्रधान की कुरसी संभाल रहे हैं और उनके अधीन नियमित व वरीय शिक्षकों को काम करना पड़ रहा है. सोनबरसा प्रखंड का हाल सोनबरसा. प्रखंड के मवि क्रमश: दोस्तिया टोला, रजवाड़ा, दलकावा, पटेलनगर, चक्की मयुरवा, लोहखड़, परसा खुर्द, भलुआहा व इंदरवा द्वितीय में नियोजित शिक्षक ही प्रधान बने हुए हैं. बीइओ के बार-बार के निर्देश के बावजूद प्रभार नहीं सौंप रहे हैं. बैरगनिया प्रखंड का हाल बैरगनिया. प्रखंड के मवि चकवा उर्दू में कनीय शिक्षक प्रधान हैं. वहां वरीय शिक्षक राजाराम ठाकुर हें. मवि अख्ता बाजार उर्दू व मवि बैरगनिया थाना रोड में क्रमश: प्रधान शिक्षक के रूप में अमजद खां व विश्वनाथ राम हैं, जबकि दोनों स्कूलों में वरीय शिक्षक क्रमश: मो फारूक व प्रभाकर कुमार हैं. सुरसंड में भी आदेश बेअसर सुरसंड. प्रखंड क्षेत्र के स्कूलों में सरकार व डीइओ के आदेश का पालन शत-प्रतिशत नहीं कराया जा सका है. अब भी करीब आधा दर्जन मध्य विद्यालयों में नियोजित व कनीय शिक्षक हीं प्रधान बने हुए हैं. बोखड़ा प्रखंड का हाल बोखड़ा. प्रखंड क्षेत्र में 32 मध्य विद्यालय है और कुल नियमित शिक्षकों की संख्या 12 है. मवि नया टोला, हरिनगर, गोरहौल व गोगलक टोल में कनीय ही प्रधान हैं. वैसे उक्त चारों स्कूलों में वरीय शिक्षक भी हैं, पर प्रधान का प्रभार नहीं ले रहे हैं. इस तरह 20 स्कूलों में नियोजित शिक्षक ही प्रधान की कुरसी संभाले हुए हैं. डीइओ ने तीन सितंबर 15 को बीइओ को पत्र भेज कहा था कि अगर कोई नियोजित शिक्षक प्रभार नहीं सौंपते हैं तो उन्हें दोषी मान कार्रवाई की जायेगी. प्रखंड में 45 में से 41 प्राथमिक विद्यालयों में नियोजित शिक्षक हीं प्रधान हैं. कहते हैं अधिकारी डीइओ जय प्रकाश शर्मा ने बताया कि सभी बीइओ को पत्र भेज कनीय व नियोजित शिक्षकों से प्रधान का प्रभार वापस लेने को कहा गया था. प्रभार नहीं सौंपने वालों पर कार्रवाई की जायेगी. बैरगनिया बीइओ अजय कुमार त्रिवेदी ने बताया कि तीन स्कूल में नियोजित शिक्षक प्रधान हैं. नियमित शिक्षक प्रभार नहीं ले रहे हैं. डीइओ को रिपोर्ट किया जा चुका है. सुरसंड बीइओ रामसेवक राम ने बताया कि प्रभार नहीं देने वाले प्रधान से शीघ्र स्पष्टीकरण पूछा जायेगा और खाता संचालन रोक दिया जायेगा. सोनबरसा बीइओ कामेश्वर पासवान ने बताया कि अब प्रभार नहीं सौंपने वालों पर कार्रवाई की जायेगी. परसौनी बीइओ नितेश्वर पांडेय ने बताया कि तीन प्रधान को नोटिस किये हुए हैं. स्पष्टीकरण पूछ कार्रवाई की जायेगी. वैसे कनीय वरीय व नियमित को प्रभार सौंपने के मामले की उन्हें पूरी जानकारी नहीं होने के कारण थोड़ी परेशानी हो रही है. — बॉक्स में :-सरकारी राशि की मची है लूट सीतामढ़ी. हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में नियोजित शिक्षकों से प्रधान का प्रभार वापस नहीं लेने पर परसौनी प्रमुख रेणु देवी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. कहा है कि स्कूलों में सरकारी राशि की लूट मची हुई है. इसी से प्रभार का मामला जुड़ा हुआ है. यही कारण है कि प्रभार वापस नहीं लिया जा रहा है. भाजपा के सोनबरसा प्रखंड अध्यक्ष अशोक प्रसाद कहते हैं कि प्रखंड क्षेत्र में शिक्षा तंत्र पूरी तरह फेल है. सब कुछ कागज पर हीं चल रहा है. यह दुर्भाग्य की बात है कि हाई कोर्ट व सरकार का आदेश धूल फांक रहा है और कनीय शिक्षक के अधीन वरीय को काम करना पड़ रहा है.

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