28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सामा खेले चललि भोजी संग सहेलिया…

सामा खेले चललि भोजी संग सहेलिया… फोटो नंबर- 2 सामा खेलती महिलाएं.पुपरी. मिथिलांचल में सामा चकेवा खेलने की पुरानी परंपरा है. लोक आस्था का पर्व छठ संपन्न होते ही शाम के समय सामा चकेवा की लोग गीत सुनायी देने लगती है. इसमें ‘ डाला ले बहार भेली बहिनों में खड़रिच बहिना…’ आदि गीत सुनाई देने […]

सामा खेले चललि भोजी संग सहेलिया… फोटो नंबर- 2 सामा खेलती महिलाएं.पुपरी. मिथिलांचल में सामा चकेवा खेलने की पुरानी परंपरा है. लोक आस्था का पर्व छठ संपन्न होते ही शाम के समय सामा चकेवा की लोग गीत सुनायी देने लगती है. इसमें ‘ डाला ले बहार भेली बहिनों में खड़रिच बहिना…’ आदि गीत सुनाई देने लगती है. गांव के विभिन्न चौक-चौराहों पर महिलाएं व लड़कियां सामा चकेवा खेलती व गीत गाती दिखाई पड़ती है. हालांकि कि शहरी क्षेत्रों में भी सामा चकेवा गीत सुनायी देती है. महिलाएं अपने घर के दरवाजे पर इकट्ठा होकर सामा खेलती देखी जाती है. भाई के लंबी उम्र की कामना इस खेल के दौरान सभी बहने देवी देवताओं से अपने भाई की खुशहाली व लंबी उम्र की कामना करती है. इन सारी बातों को वे अपने लोक गीत के माध्यम से प्रदर्शित कर स्वच्छ समाज निर्माण का संदेश देती है. गीत के दौरान चुगला को गाली व उसके नाश होने की कामना की जाती है. बहनों का कहना है कि चुगला भाई-बहन व समाज में चुगल खोरी करता है और अपनी भूमिका अहम दिखना चाहता है. ऐसे लोगों से हमेशा दूर रहने की जरूरत है. पूर्णिमा को विसर्जन भाई-बहन के स्नेह का यह खेल छठ के दिन से ही शुरू होती है जो कार्तिक पूर्णिमा तक खेली जाती है. इस दौरान बहनें परंपरागत गीत को गाने के साथ ही समा चकेवा को नये अनाज से भोग लगाती है और चुगले को बार-बार प्रताड़ित करने के साथ ही जलाती भी हैं. बहनों द्वारा मिट्टी का सामा चकेवा के साथ ही चुगला, भरिया, खड़रिच, मिठाइ वाली, खंजन चिड़िया, कुत्ता, ढ़ोलकिया व वृंदावन आदि की प्रतिमा बनाया जाता है और प्रतिदिन शाम को समा चकेवा खेलने के बाद पूर्णिमा की शाम नदी या तालाब में विसर्जित करती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें