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जान जोखिम में डाल कर पुलिस टीम पहुंची नेपाल

जान जोखिम में डाल कर पुलिस टीम पहुंची नेपालछापेमारी में शामिल पुलिस अधिकारी सीतामढ़ी : दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष यतींद्र खेतान की हत्या के बाद शातिर अपराधी सरोज को चंद दिनों के अंदर सरोज को गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे डालने वाले एसपी हरि प्रसाद एस ने यह साबित कर दिया है […]

जान जोखिम में डाल कर पुलिस टीम पहुंची नेपालछापेमारी में शामिल पुलिस अधिकारी सीतामढ़ी : दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष यतींद्र खेतान की हत्या के बाद शातिर अपराधी सरोज को चंद दिनों के अंदर सरोज को गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे डालने वाले एसपी हरि प्रसाद एस ने यह साबित कर दिया है कि अगर अपराधियों को दबोचने की चाहत सच्ची हो, तो कानून के लंबे हाथ से कोई बच नही सकता. एसपी के कुशल नेतृत्व में उत्साहित पुलिस टीम जान जोखिम में डाल कर नेपाल पहुंच गयी. — मधेशियों ने पुलिस को बॉर्डर पार करने से रोकापत्रकार के हत्यारों के नेपाल में छुपे होने की जानकारी मिलने के बाद एएसपी संजीव कुमार के साथ थानाध्यक्ष संतोष शर्मा, छोटन कुमार, फुलदेव चौधरी व विवेक जायसवाल समेत कुछ अन्य पुलिसकर्मी सोनबरसा थाना पहुंचे. वहां से सादा लिबास में अपनी पहचान छुपाने के लिए एंबुलेंस पर सवार होकर मलंगवा बॉर्डर पहुंचे. वहां पर नेपाल में संविधान संशोधन की मांग को लेकर बॉर्डर की नाकेबंदी कर रहे मधेशियों ने एंबुलेंस को रोक दिया. पुलिस टीम को विरोध का भी सामना करना पड़ा. उनके उग्र रूप को देख कर पुलिस टीम वापस हो गयी. पुन: पुलिस जीप पर सवार होकर जिला पुलिस मलंगवा बॉर्डर पहुंची. रात्रि के तकरीबन 2 बजे रहे थे. पुलिस जीप को देख कर मधेशियों ने उन्हें बॉर्डर पार करने दिया, लेकिन बॉर्डर पार करने के बाद नेपाल में गोरा कालीन पुलिस चौकी के पास नेपाली पुलिस ने जीप को रोक दिया. वहां से नेपाल के एसपी से संपर्क साधने के बाद पुलिस की टीम आगे बढ़ सकी. इस बीच जगह-जगह पर मधेशियों ने भी पुलिस जीप को निशाना बनाने का प्रयास किया, किंतु अपनी पहचान बताने के बाद पुलिस वालों को किसी अप्रिय घटना का शिकार नही होना पड़ा. — विश्वास पर खड़ी उतरी जिला पुलिस शातिर अपराधी सरोज समेत कई असामाजिक तत्वों को गिरफ्तार करने वाले एसपी पर से लोगों का भरोसा एक बार फिर उठने लगा था, लेकिन इस अविश्वास के पीछे जिला पुलिस के प्रति एक विश्वास भी छुपी हुई थी. यही कारण था कि शहर के व्यवसायी, जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता व पत्रकारों के द्वारा एक दिवसीय सांकेतिक विरोध के बाद चुप्पी साध ली गयी. किसी तरह का विरोध-प्रदर्शन कर पुलिस के काम में खलल डालने का प्रयास नही किया. जिसका परिणाम सामने आया कि घटना के 8 दिन के अंदर पुलिस ने विद्रोही हत्या कांड का खुलासा करते हुए तीन अपराधियों को दबोच लिया.

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