गौनाहा : घड़ी में शनिवार की शाम के छह बज रहे थे. बार्डर से दौड़ रहे बाइक की लाइट अंधेरे में उजाला किये हुए थे. खैरून निशा अपने मकान में थीं. इसी दौरान अचानक आग लग गयी. दरवाजे पर आग देख उनकी नातिनी रोशन आरा दौडते हुए आयी और नानी खैरून को बचाने के लिए […]
गौनाहा : घड़ी में शनिवार की शाम के छह बज रहे थे. बार्डर से दौड़ रहे बाइक की लाइट अंधेरे में उजाला किये हुए थे. खैरून निशा अपने मकान में थीं. इसी दौरान अचानक आग लग गयी.
दरवाजे पर आग देख उनकी नातिनी रोशन आरा दौडते हुए आयी और नानी खैरून को बचाने के लिए खींचने लगी. लेकिन खैरून ने अपनी नतिनी रौशन को बाहर की ओर ढ़केल दिया और घर के अंदर बक्से को निकालने का प्रयास करने लगी.
इसी दौरान मकान की छत से आग का एक गोला खैरून के ऊपर गिरा और वह बक्से के साथ ही जलने लगी. झुलसने से मौके पर ही मौत हो गयी. बगल के एक दुकान पर एसएसबी के इंस्पेक्टर बैठे थे.
आग की लपटें देखते ही दौड़ पड़े और एसएसबी कैंप व फायर ब्रिगेड की सूचना दी. सात बजे तक सब कुछ जलकर राख हो गया. एसएसबी, नेपाली प्रहरी, फायर ब्रिगेड, सहोदरा पुलिस सभी मौके पर पहुंच चुके थे. बिन मां की बेटी रौशन तारा के पास अब कुछ नहीं बचा था. ख्याल रखने वाली नानी खैरून आग के हवाले हो चुकी थी. आशियाना भी राख हो चुका था. ढ़ांढस बंधाने वाले भी रोशन की इस दशा पर आंसू बहा रहे थे.