-राकेश कुमार राज-
सीतामढ़ीः परसौनी के गिसारा में डकैती एवं भुल्ली मठ में प्राचीन मूर्ति लूट की घटना अभी सुर्खियां ही बनी थी कि डकैतों का तांडव अगली हीं रात बथनाहा और रून्नीसैदपुर को भी अपनी चपेट में ले लिया. दु:साहसी डकैतों के आगे व्यवस्था घुटने टेक गयी और पुलिस लाचार दिख रही थी. ऐसे में गांव के लोग अब अपनी सुरक्षा स्वयं करने की आदत डाल ले तो यह कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी.
बथनाहा में ग्रामीणों की ओर से सवाल आ रहा है कि जब जज का घर हीं सुरक्षित नहीं है तो आम लोगों की क्या बिसात. अव्वल तो यह कि पुलिस के सामने डकैत लूटपाट को अंजाम देते रहे और बथनाहा थाना की गश्ती दल मूकदर्शक बनी रही. ग्रामीणों के तमाम आग्रह और उत्साह को पुलिस की कार्यप्रणाली की वजह से ठंडा पड़ गया. पुलिस को पीछे हटते देख ग्रामीणों ने भी डकैतों से मुकाबला करना उचित नहीं समझा. एक दिन पूर्व हीं परिहार थाना पुलिस की बहादुरी की गाथा इलाके के लोगों की जुबान से उतर नहीं रही थी, जिसमें ग्रामीणों की एक कॉल पर थानाध्यक्ष पुलिस दल लेकर डकैतों से मुठभेड़ में आगे आ गये.
बथनाहा थाना पुलिस के सामने जज के घर तांडव मचता रहा, लेकिन मुकाबला करने से इतर पुलिस का गश्ती दल पीछे खसकने में अपनी भलाई समझी. ग्रामीणों में बुधवार की सुबह पुलिस के प्रति आक्रोश स्पष्ट दिख रहा था. टंडसपुर में जज अंजनी कुमार श्रीवास्तव के घर हुए लूटपाट की घटना की सुबह मौके पर मौजूद ग्रामीण सत्य नारायण प्रसाद, श्यामा कांत शरण, सुरेश सिंह, मनोज शर्मा एवं श्याम सिंह ने एक स्वर से कहा कि पुलिस अगर चाहती तो न सिर्फ डकैती को रोका जा सकता था, बल्कि डकैत पकड़े भी जाते. ग्रामीणों ने पुलिस को डकैतों से मुकाबले के लिए हर प्रकार से सहयोग करने की बात कही, लेकिन पुलिस सब-इंस्पेक्टर हरि नारायण राय पुलिस की गोली चलाने की मजबूरी बता कर ग्रामीणों के धैर्य व उत्साह को झटके में ठंडा कर दिया. सवाल है कि पुलिस का रोल इन मौकों पर क्या यही होना चाहिए? क्या पुलिस को मुकाबला से भाग जाना चाहिए? कितना सुखद रहता अगर परिहार पुलिस की बहादुरी यहां भी दुहरायी जाती और पुलिस-पब्लिक के आगे डकैत पस्त होते.