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बाजार में रौनक, दान-पुण्य का त्योहार मकर संक्रांति आज

सीतामढ़ी : हिंदू सनातन धर्मावलंबियों की सदियों पुरानी पारंपरिक दान-पुण्य का त्योहार मकर संक्रांति आज आस्था पूर्वक मनाया जायेगा. चार बजे भोर से ही जिले के पवित्र नदियों बागमती, अधवारा समूह की विभिन्न नदियों समेत लक्ष्मणा गंगा आदि नदियों एवं तालाबों में हजारों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे. आज का दिन हिंदू सनातन धर्म को […]

सीतामढ़ी : हिंदू सनातन धर्मावलंबियों की सदियों पुरानी पारंपरिक दान-पुण्य का त्योहार मकर संक्रांति आज आस्था पूर्वक मनाया जायेगा. चार बजे भोर से ही जिले के पवित्र नदियों बागमती, अधवारा समूह की विभिन्न नदियों समेत लक्ष्मणा गंगा आदि नदियों एवं तालाबों में हजारों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे.

आज का दिन हिंदू सनातन धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. आज के दिन सूर्य देव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं. मान्यता है कि इस पुण्य तिथि को समस्त देव गण पवित्र स्नान करने के लिए धरती पर आते हैं. आज ही के दिन खरमास की समाप्ति होती है और पुनः मांगलिक कार्यों का प्रारंभ हो जाता है. माना गया है कि आज ही के दिन से प्रकृति अपना रंग-रूप बदलना शुरू करती है. आज ही से दिन बड़ा होना प्रारंभ होता है. पर्व को लेकर शहर का बाजार गुलजार है. तिलकुट, चूड़ा, लाई व दही की खरीदारी को लेकर बाजार में भीड़ लगी रही.
घर की बुजुर्ग आशीष के रूप में बांटेंगी तिलकुट: आज दान-पुण्य के लिए विशेष दिन माना गया है. अतः घर बुजुर्ग महिला शक्ति भोर में उठकर पवित्र स्नान करेंगी, पारंपरिक विधानों के साथ भगवान शनिदेव समेत विभिन्न देवी देवताओं की पूजा-अर्चना करेंगी. ब्राह्मण भोजन, एवं गरीबों के बीच दान-दक्षिणा कर पुण्य कमाने की कोशिश करेंगी. साथ ही परिवार के तमाम सदस्यों के बीच तिल से बने तिलकुट एवं लाई का वितरण भगवान शनिदेव के प्रसाद और अपने आशीष के रूप में बांटेंगी. आज दही-चूड़ा एवं खिचड़ी का भी विशेष महत्व है. आज के दिन लोग खिचड़ी और दही-चूड़ा विशेष रूप से खाएंगे. उसका स्वाद भी विशेष महसूस किया जाता है. मंदिर-मठों में राम धुन व भजन-कीर्तन के शोर होंगे.
मोक्ष के लिए स्नान और दान का विशेष महत्व: धार्मिक मान्यता के अनुसार, मकर संक्रांति के शुभ अवसर जो व्यक्ति पवित्र नदी में डुबकी लगाता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दान धर्म का कार्य करने से पुण्यफल की प्राप्ति होती है.
मकर संक्रांति को ही ‘गंगा’ मिली थीं ‘सागर’ में: पौराणिक कथाओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम होते हुए सागर में जा मिली थीं, इसीलिए आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है. मकर संक्रांति को मौसम में बदलाव का सूचक भी माना जाता है. आज से वातारण में कुछ गर्मी आने लगती है और फिर बसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है. कुछ अन्य कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन देवता पृथ्वी पर अवतरित होते हैं और गंगा स्नान करते हैं. मकर संक्रांति में ‘मकर’ शब्द मकर राशि के बारे में बताता है. जबकि, ‘संक्रांति’ का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है. एक राशि को छोड़कर दूसरे में प्रवेश करने की इस विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहते हैं.

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