अतिक्रमित व खाली पड़ी जमीनों पर पार्किंग, सार्वजनिक शौचालय, यूरिनल व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की है योजना
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अतिक्रमित एवं भूली-बिसरी जमीन की तलाश में निकली नगर परिषद
अतिक्रमित व खाली पड़ी जमीनों पर पार्किंग, सार्वजनिक शौचालय, यूरिनल व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की है योजना कई लोगों ने कर रखा है सरकारी जमीन पर अतिक्रमण सीतामढ़ी : नगर परिषद के पास कितनी जमीन है जो अतिक्रमित कर ली गयी है या नगर परिषद प्रशासन भूल चुका है, यह जानने के लिए नप […]
कई लोगों ने कर रखा है सरकारी जमीन पर अतिक्रमण
सीतामढ़ी : नगर परिषद के पास कितनी जमीन है जो अतिक्रमित कर ली गयी है या नगर परिषद प्रशासन भूल चुका है, यह जानने के लिए नप प्रशासन अब नींद से जाग गया है. नवपदस्थापित कार्यपालक पदाधिकारी दीपक झा का ध्यान जब अतिक्रमित व भूली-बिसरी जमीनों की ओर गयी, तो उन्होंने अविलंब नगर अमीन को शहर में अतिक्रमित कर ली गयी व बेकार पड़ी भूली-बिसरी जमीनों की तलाश करने का निर्देश दिया. निर्देश के आलोक में नगर अमीन ने जमीनों को चिह्नित करना भी शुरू कर दिया है.
करीब आधे शहर की जमीनों को चिह्नित भी किया जा चुका है. जबकि, करीब आधे शहर की अतिक्रमित व बेकार पड़ी जमीनों की तलाश का काम जारी है. कार्यपालक पदाधिकारी ने बताया कि नगर अमीन को फरवरी माह के अंत तक पूरे शहर की अतिक्रमित व बेकार पड़ी जमीनों को चिह्नित कर सूची सौंपने का निर्देश दिया है. रेलवे स्टेशन के समीप स्थित सरकारी बस पड़ाव की जमीन की भी मापी कराने का इओ ने आदेश जारी किया है.
इओ की माने तो अतिक्रमित व भूली-बिसरी जमीनों की पहचान करने का उद्देश्य यह है कि शहर की आम जनता समेत जिलेभर से प्रतिदिन आने वाले हजारों लोगोंकी जाम समेत विभिन्न परेशानियों का समाधान किया जा सके. बताया कि टेंपो व ई-रिक्शा समेत विभिन्नप्रकार की वाहनों की संख्या दिन व दिन बढ़ती जा रही है. पार्किंगनहीं होने के कारण लोग गलत तरीके से कहीं भी वाहन पार्क कर देते हैं, जिसके चलते लोगों को जाम की समस्या से प्रतिदिन सामनाकरना पड़ता है.
जमीन के अभाव में सार्वजनिक शौचालय वयूरिनल का निर्माण नहीं हो पा रहा है. इसके अलावा भी कईसुविधाएं उपलब्ध कराये जाने की योजना है, जिसको लेकर जमीन संबंधी दिक्कतें आ रही है. इओ ने बताया कि जमीन को चिह्नित कर खाली पड़ी जमीनों पर वाहन पार्किंग व सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कराने के अलावा भी कई योजनाएं बनायी जा रही है, जिससे नगर परिषद व बिहार सरकार की जमीन को बचाने के साथ-साथ नगर परिषद की आमदनी भी बढ़ायी जा सके और लोगों को सुविधा भी उपल्बध कराने की योजना है.
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