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तीन युवकों की मौत के बाद जाम, आगजनी

सीतामढ़ी : 24 फरवरी व 17 मार्च की तारीख लोगों के दिलो-दिमाग से अभी हटी भी नही है कि एनएच 77 एक बार फिर सड़क हादसे का गवाह बना. खौफनाक यह कि दिन शनिवार ही है.जिले के दो अलग-अलग जगहों पर सड़क हादसे में तीन युवकी की जान चली गयी. लोगों की जुबान पर एक […]

सीतामढ़ी : 24 फरवरी व 17 मार्च की तारीख लोगों के दिलो-दिमाग से अभी हटी भी नही है कि एनएच 77 एक बार फिर सड़क हादसे का गवाह बना. खौफनाक यह कि दिन शनिवार ही है.जिले के दो अलग-अलग जगहों पर सड़क हादसे में तीन युवकी की जान चली गयी. लोगों की जुबान पर एक बार फिर ‘ब्लैक सटरडे’ आ गया. पूरे दिन मगजमारी इस बात को लेकर होती रही कि आखिर हर बड़ा हादसा शनिवार को ही क्यों हो रही है? 24 फरवरी को भाजपा नेता मनोज बैठा की बोलेरो की चपेट में आकर एनएच 77 पर मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर थाना के धर्मपुर मवि के नौ स्कूली बच्चे की जान चली गयी.
उक्त लोमहर्षक घटना के 20 दिन बीतने के बाद ही मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी एनएच 77 पर भनसपट्टी के पास पुल के नीचे बस गिरने से 14 यात्रियों की मौत हो गयी, वहीं 41 से अधिक यात्री गंभीर रुप से जख्मी हो गये. इत्तेफाक से दिन भी शनिवार ही था. पिछले तीन माह के भीतर एनएच 77 पर छोटी-बड़ी सड़क दुर्घटना में 35 से अधिक मौतें हुई है. एनएच के बगलगीर गांव-टोलों के निवासियों की माने तो सड़कें चिकनी होने के बाद वाहनों के रफ्तार में काफी बढ़ोतरी हो गयी है, जो हादसे का कारण बन रहा है.
प्रशासन समझे, जान की भी होती है कीमत: एनएच 77 के बगलगीर स्कूलों में शिक्षकों व बच्चों की जान खतरे में है. धर्मपुर में बोलेरो से कुचलकर नौ बच्चों की मौत की घटना के बाद से ही जिला प्रशासन द्वारा स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए गाइडलाइन तैयार की गयी है. उक्त गाइडलाइन को फॉलो करने की जिम्मेवारी स्कूल के प्रधान व शिक्षकों को दी गयी है. सबसे खतरनाक स्थिति एनएच को एक छोड़ से दूसरे छोड़ पार करने के दरम्यान देखने को मिलती है. शनिवार को धर्मकांटा चौक के समीप स्कार्पियो की ठोकर से दो युवक की मौत के बाद वहां स्थित मदरसा इसलामिया तजबिदुल कुरान के मौलवी व बच्चों का गुस्सा रोड पर दिखा.
साली की शादी में आया था प्रमोद, पवन के घर बजनी थी शहनाई : बरियारपुर में राजकरण सिंह एवं लक्ष्मी साह के घर चीत्कार मचा है. यही हाल भूप-भैरों में पूर्व सरपंच शत्रुध्न साह के घर तथा बेलसंड के कंसार में सोगारथ साह के घर का है. चार घरों से रूक-रूक आ रही रूदन-क्रंदन पूरे माहौल को गमगीन कर दिया है. नाना के घर रहकर पढ़ाई कर रहे धीरज व शादी समारोह में भाग लेने आया प्रमोद महतो को क्या पता था कि जिस उमंग से वह पूजन सामग्री की खरीदारी करने जा रहा था, यह उसके जीवन का आखिरी क्षण होगा. यही स्थित पवन के घर की भी है. पवन के मां-बाप का रो-रोकर बुरा हाल है. गांव के लोग बताते हैं कि 16 अप्रैल को पवन की बहन तथा 26 अप्रैल को पवन की शादी होनेवाली थी.

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