मामले में पुन: किये गए निबंधित, विभागीय कार्रवाई भी शुरू
Advertisement
आय से अधिक संपत्ति मामले में फंसे पूर्व जेल अधीक्षक प्रेम
मामले में पुन: किये गए निबंधित, विभागीय कार्रवाई भी शुरू वर्ष 2015 में सेवा से किये गये थे बर्खास्त वर्ष 2017 में हाइकोर्ट ने बर्खास्तगी के आदेश को किया था रद्द सीतामढ़ी : वर्ष 2006 में सीतामढ़ी मंडल कारा के अधीक्षक रहते रिश्वत लेते निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के हत्थे चढ़े बिहार कारा सेवा के अधिकारी […]
वर्ष 2015 में सेवा से किये गये थे बर्खास्त
वर्ष 2017 में हाइकोर्ट ने बर्खास्तगी के आदेश को किया था रद्द
सीतामढ़ी : वर्ष 2006 में सीतामढ़ी मंडल कारा के अधीक्षक रहते रिश्वत लेते निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के हत्थे चढ़े बिहार कारा सेवा के अधिकारी प्रेम कुमार का मुसीबतों से पीछा नहीं छूट रहा है.
विगत वर्ष पटना हाइकोर्ट के आदेश पर पुर्न बहाल श्री कुमार पर एक बार फिर विभाग ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में कारा एवं सुधार सेवाएं निरीक्षणालय, गृह विभाग(कारा) ने उन्हें निलंबित करते हुए विभागीय कार्यवाही शुरू की है.
निलंबन की अवधि में उनका मुख्यालय शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा, भागलपुर निर्धारित किया गया है. इस संबंध में कारा एवं सुधार सेवाएं निरीक्षणालय के संयुक्त सचिव सह निदेशक(प्रशासन) राजीव वर्मा ने संकल्प जारी किया है.
विभागीय कार्यवाही के संचालन के लिए बिहार सरकारी सेवक(वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली 2005 के नियम 17(दो) के तहत विभागीय जांच आयुक्त, पटना(बिहार) को संचालन पदाधिकारी तथा सहायक कारा महानिरीक्षक राजीव कुमार झा को उपस्थापन पदाधिकारी नियुक्त किया गया है.
बर्खास्तगी को हाइकोर्ट में दी थी चुनौती
मालूम हो कि विशेष निगरानी इकाई(एसवीयू) ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 के तहत सीतामढ़ी मंडल कारा के तत्कालीन अधीक्षक प्रेम कुमार के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में निगरानी थाना कांड संख्या 102/2006 दिनांक 30 दिसंबर 2006 धारा 13(दो) सहपठित 13(एक)(ई) दर्ज की गयी थी. उक्त आलोक में उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही संस्थित की गयी थी. वहीं रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े जाने पर उनके विरुद्ध निगरानी थाना कांड संख्या-73/06 दिनांक सात नवंबर 2006 दर्ज की गयी थी. विभागीय कार्यवाही के उपरांत संचालन पदाधिकारी के प्रतिवेदन के आलोक में 14 अक्तूबर 2015 को उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था.
श्री कुमार ने अपनी बर्खास्तगी को पटना हाइकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके आलोक में हाइकोर्ट ने वर्ष 2017 में बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर दिया.
समीक्षा के उपरांत सत्य पाया गया मामला: श्री कुमार के पुर्नस्थापना के पश्चात पूर्व में सामान्य प्रशासन विभाग से प्राप्त परामर्श के आलोक में उनके विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में स्थगित विभागीय कार्यवाही को पुन: आरंभ करने के बिंदु पर विचार किया गया. समीक्षा के उपरांत श्री कुमार के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति का मामला प्रथम दृष्टया गंभीर व सत्य पाया गया. समीक्षा में कहा गया कि उनके द्वारा आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का कृत्य बिहार सरकारी सेवक आचार नियमावली 1976 के नियम-19(छह) के प्रावधान का घोर उल्लंघन है. इसी संदर्भ में उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर विभागीय कार्यवाही शुरू की गयी.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement