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बाजार समिति: मंदी की चपेट में गुड़ का कारोबार
चार-पांच साल के अंदर निर्यात के बदले होने लगा आयात नोटबंदी व जीएसटी से भी व्यापार हुआ प्रभावित सीतामढ़ी : जिले में गुड़ का बाजार मंदी की दौर से गुजर रहा है. सैकड़ों छोटे व मझोले किसान दशकों से गन्ने की खेती करते आ रहे हैं और खेतों में ही क्रसर के माध्यम से गुड़ […]
चार-पांच साल के अंदर निर्यात के बदले होने लगा आयात
नोटबंदी व जीएसटी से भी व्यापार हुआ प्रभावित
सीतामढ़ी : जिले में गुड़ का बाजार मंदी की दौर से गुजर रहा है. सैकड़ों छोटे व मझोले किसान दशकों से गन्ने की खेती करते आ रहे हैं और खेतों में ही क्रसर के माध्यम से गुड़ तैयार कर बाजार समिति में बेचते आ रहे हैं, लेकिन स्थानीय गुड़ व्यापारियों की मानें तो गुड़ व्यापार पिछले कुछ वर्षों से लगातार मंदी की दौर से गुजर रही है. जिले के किसानों ने गन्ने की खेती करना कम कर दिया है.
व्यापारियों की नजर में गुड़ उत्पादन करने में किसानों को जितनी लागत लग रही है, उस अनुपात में किसानों को कीमत नहीं मिल पा रही है, इसलिए अब ज्यादातर किसान रीगा चीनी मिल को अपना गन्ना बेचने लगा है.
व्यापारियों की माने तो चार-पांच साल के अंदर गुड़ का निर्यात के बदले आयात करने की मजबूरी हो गयी हैं. डिमांड पूरी करने के लिए दूसरे प्रदेश से गुड़ मंगाना पड़ता हैं. भले ही भुगतान में कितनी ही देरी क्यों न हो. गुड़ बाजार की वर्तमान स्थिति जानने के लिए प्रभात खबर ने बाजार समिति के गुड़ व्यापारियों से बात की.
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