सीतामढ़ी : एक ओर जहां सरकारी अस्पतालों कुव्यवस्था की गिरफ्त में है, वहीं दूसरी ओर इसका फायदा निजी नर्सिंग होम व क्लिनिक उठाने में लगे है. नतीजतन गरीबों को इलाज के नाम पर आर्थिक दोहन का शिकार बनना पड़ रहा है. चाहे चिकित्सक की फीस हो या ऑपरेशन का शुल्क पांच साल में दोगुना हो गया है.
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पांच साल में दो गुना हुआ अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे का रेट
सीतामढ़ी : एक ओर जहां सरकारी अस्पतालों कुव्यवस्था की गिरफ्त में है, वहीं दूसरी ओर इसका फायदा निजी नर्सिंग होम व क्लिनिक उठाने में लगे है. नतीजतन गरीबों को इलाज के नाम पर आर्थिक दोहन का शिकार बनना पड़ रहा है. चाहे चिकित्सक की फीस हो या ऑपरेशन का शुल्क पांच साल में दोगुना हो […]
यहीं हाल पैथोलॉजिकल जांच, एक्सरे व अल्ट्रासाउंड का है. पिछले पांच साल में साल दर साल संचालकों ने मनमाने तरीके से इसकी दर बढ़ा दी है. हाल में ही एक्सरे पर 200 व अल्ट्रासाउंड पर 400 रुपये बढ़ा दिया गया है. जानकारों की माने तो इसके लिए सरकारी स्तर पर कोई गाइडलाइन नहीं है. लिहाजा इलाज के नाम पर मरीजों का आर्थिक दोहन करने के लिए दरों में वृद्धि की जा रहीं है. सीतामढ़ी के चिकित्सकों की फीस, अल्ट्रासोनोग्राफी, रेडियोलौजी व पैथोलॉजी की दर उत्तर बिहार में सबसे अधिक है. कुछ नामी-गिरामी चिकित्सकों को छोड़ दे तो दरभंगा, मुजफ्फरपुर व चंपारण जिले में भी इतने पैसे नहीं लिए जाते है, जितने सीतामढ़ी में वसूले जा रहे है.
हैरत की बात यह की इमरजेंसी में मरीज को लाने पर चिकित्सक फीस का भी दोगुना रकम वसूलते है तब जाकर मरीज की नब्ज टटोलते है. वहीं इलाज के नाम पर जेब भी साफ कर देते है. ग्रामीण इलाकों के मरीज खेत बेच कर इलाज कराने को विवश है.
एमबीबीएस की फीस एमडी से अधिक: जिले में चिकित्सकों का परामर्श शुल्क काफी है. उत्तर बिहार में सबसे अधिक परामर्श शुल्क सीतामढ़ी में वसूला जाता है. हैरत की बात यह की यहां एमबीबीएस चिकित्सक की फीस एमडी चिकित्सक से अधिक है. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक चिकित्सक ने बताया की यहां परामर्श शुल्क के लिए कोई मापदंड नहीं है. जिस चिकित्सक के क्लिनिक में जितनी भीड़ उमड़ती है, उसका परामर्श शुल्क बढ़ता जाता है.
टेबुल पर चलते है जांच घर: खून, कफ, मल व मूल की जांच के बगैर इलाज नहीं होता है. शायद यहीं वजह है कि शहर में कुकुरमुत्ते की तरह जांच घर खुल गये है. जहां न तो विशेषज्ञ चिकित्सक है और नहीं जरूरी उपकरण. बगैर मापदंड का पालन किये ही अवैध रूप से जांच घर चलाये जा रहे है. कई ऐसे भी जांच घर है, जहां केवल चिकित्सक के नाम का सहारा लेकर टेक्निशीयन ही जांच कर रिपोर्ट दे देता है. हालत यह है कि अब सदर अस्पताल के इर्द-गिर्द समेत विभिन्न इलाकों में टेबुल पर ही जांच घर चलाये जा रहे है.
उठते रहे है रिपोर्ट पर सवाल: जिले के जांच घरों के रिपोर्ट पर अक्सर सवाल उठते रहे है. एक ही दिन में चंद घंटे के अंतराल पर अलग-अलग जांच घरों में कराये गये जांच का रिपोर्ट अलग-अलग आता है. कभी मरीज को एचआइवी का पॉजिजिव बना दिया जाता है तो कभी लीवर की स्थिति ठीक रहने के बावजूद एसजीपीटी का काउंट बढ़ा दिया जाता है. कभी आरबीसी व हेमोग्लोबीन ठीक रहने के बावजूद इसे कम बता दिया जाता है. कई मामले कोर्ट व थानों में दर्ज है.
साल में एकाध बार चलते है अभियान: जिले में चल रहे अवैध क्लिनिक, नर्सिंग होम, जांच घर व एक्सरे तथा अल्ट्रासाउंड केंद्रों के खिलाफ साल में एकाध बार अभियान चलते है. प्रशासनिक टीम पूरी चौकसी के साथ अभियान शुरू करती है, लेकिन दो दिन बाद ही अभियान की हवा निकल जाती है. अभियान भी चिह्नित स्थानों तक ही सीमित रहता है. लिहाजा इलाज के नाम पर अवैध कारोबार फल-फुल रहा है.
20 रुपये की जांच वसूले जाते 100: पैथोलॉजी का बाजार तेज गति से बढ़ रहा है.
पांच साल पूर्व शहर में छह-सात ही जांच घर थे. वर्तमान में इनकी संख्या 50 के पार है. इतना ही नहीं अब कलेक्शन सेंटर के नाम से भी टेबुल पर जांच घर चल रहे है, जिनकी संख्या 25 के पार है. इसके अलावा भीड़ वाले डॉक्टरों की क्लिनिक में भी जांच घर के कर्मी बैठे रहते है. वर्तमान में जांच के नाम पर लूट चल रहा है. महज 20 रुपये में होने वाले जांच के लिए जांच घर संचालक एक सौ से अधिक रुपये वसूलते है.
जिले में मर्ज चाहे जो भी हो, इलाज के लिए चिकित्सक विभिन्न प्रकार के पैथो जांच, एक्सरे या अल्ट्रासाउंड जरूर कराते है. वहीं अपनी पसंद के जांच घर, एक्सरे व अल्ट्रासाउंड में भेजते है. जहां मरीज को भेजने के एवज में चिकित्सक को तय कमीशन पहुंच जाता है. चिकित्सक को यह पता होता है कि मरीज के जांच-एक्सरे में कुछ नहीं निकलेगा, बावजूद इसके चिकित्सक चंद रुपयों के लिए जांच-एक्सरे का सहारा लेते है. जांच, एक्सरे व अल्ट्रासाउंड के नाम पर मरीजों का आर्थिक दोहन होता है.
चिकित्सकों की फीस में भी दोगुना इजाफा
निजी क्लिनिक, नर्सिंग होम, जांच घर व अल्ट्रासाउंड-एक्सरे संचालकों की मनमानी बनी बड़ी परेशानी
चिकित्सक परामर्श शुल्क, जांच, एक्सरे व अल्ट्रासाउंड
पांच साल पूर्व का दर वर्तमान दर लागत
चिकित्सक परामर्श शुल्क 250 से 300 रु. 500 से 700 रुपये ——
अल्ट्रासाउंड शुल्क 500 रुपये 1,000 रुपये 300 रुपये
ब्लड सुगर फास्टिंग 40 से 50 रुपये 80 से 100 रुपये 20 रुपये
ब्लड सुगर रैंडम 40 से 50 रुपये 100 रुपये 10 से 20 रुपये
मलेरिया टेस्ट 125 से 150 रुपये 300 से 350 रुपये 100 रुपये
कालाजार जांच 150 रुपये 300 से 350 रुपये 130 रुपये
एचआइवी टेस्ट 120 से 140 रुपये 250 से 300 रुपये 80 से 120 रु.
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