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हर घर में लग गया नल, पर नहीं मिल रहा जल
छपरा(नगर) : मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजना के माध्यम से विभिन्न गांव को पंचायत और वार्ड स्तर पर विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सूबे के मुखिया भले ही तमाम कवायद कर रहे हों, पर सियासी चकाचौंध के बीच निश्चय की यह योजना जमीनी स्तर पर कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. […]
छपरा(नगर) : मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजना के माध्यम से विभिन्न गांव को पंचायत और वार्ड स्तर पर विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सूबे के मुखिया भले ही तमाम कवायद कर रहे हों, पर सियासी चकाचौंध के बीच निश्चय की यह योजना जमीनी स्तर पर कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में इन योजनाओं के सफलता पूर्वक क्रियान्वयन और उसमें गति प्रदान करने हेतु बिहार के सभी जिलों में अपनी निश्चय यात्रा पूरी की है.
इस दौरान गत 31 जनवरी को मुख्यमंत्री ने छपरा के खैरा पंचायत के रामपुर कला गांव के वार्ड संख्या 7 में निश्चय योजना से जुड़े हर घर नल का जल, हर घर शौचालय, हर घर बिजली और पक्की सड़क तथा नाले के निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया था. उस दिन तो प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने गांव के 42 घरों में एक ऐसा माहौल खड़ा कर दिया था, जिसे देख कर वहां पहुंचा हर व्यक्ति और उस गांव के लोग फूले नहीं समा रहे थे, पर सीएम के जाने के महज एक सप्ताह बाद ही विकास के उन तमाम दावों की पोल खुलने लगी और जमीनी हकीकत सामने आने लगी है.
इस वार्ड के सभी घरों में ‘हर घर नल का जल’ योजना के तहत नल का कनेक्शन तो दे दिया गया है.साथ ही नलके में से जल निकल सके, इसके लिए जलापूर्ति केंद्र की भी स्थापना की गयी, पर वार्ड में रहने वाले लोगों की समस्या है कि घरों में नल तो लग गया पर उसमें से जल तभी निकलता है जब गांव में बिजली हो. जलापूर्ति केंद्र पर अभी तक टंकी का निर्माण नहीं कराया जा सका है, जिससे बिजली आने पर पानी को स्टोर किया जा सके. यही कारण है कि जब बिजली आती है तो नल से पानी निकलता है और बिजली जाते ही नल से पानी निकलना बंद हो जाता है. इस संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि गांव में 24 घंटे में महज 2 से 3 घंटे ही बिजली रहती है जिस कारण जलापूर्ति केंद्र सुचारु रूप से संचालित नहीं हो पा रहा है.
वैसे तो वार्ड के सभी घरों में शौचालय का निर्माण हो गया है और अभी भी अधिकतर शौचालय की टंकी नहीं बन सकी है. जिस कारण लोग चाह कर भी शौचालय के उपयोग से वंचित रह कर खुले में शौच करने को विवश हैं. इसी वार्ड के करीमन मांझी के घर के पीछे शौचालय बना है और उसके टंकी का निर्माण अभी अधूरा है. करीमन मांझी बड़ी मायूसी से कहते हैं कि ‘जब शौचालय ही नहीं होगा तो क्यों न जाएं खुले में शौच करने’. इतना ही नहीं शौचालय निर्माण के बाद जहां टंकियां बनी भी हैं. उसके ऊपर ढक्कन भी नहीं लगाया गया है. टंकियों का खुला होना कभी भी बड़े हादसों को निमंत्रण दे सकता है.
वार्ड संख्या 7 के रहने वाले रघुनंदन मांझी, सनोज कुमार, अमृत कुमार, राजवंशी मांझी, वीरेंद्र मांझी इत्यादि ने बताया कि गांव की सड़क को पीसीसी करने की बात प्रशासन के लोगों द्वारा की गयी थी. 15 फरवरी तक इस कार्य को पूरा कर लेने की बात थी, पर अबतक मुख्यमंत्री के जाने के बाद वार्ड में न तो कोई प्रशासनिक अधिकारी का आना हुआ है और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इसे लेकर कोई चाव दिखाई है. वहीं कई लोगों के घर के पास नाले ले निर्माण का कार्य भी अधूरा है.
नाला निर्माण के अभाव में छोटे-छोटे बच्चे हाथो में कुदाल लेकर पानी निकासी का रास्ता बना रहे हैं. भले ही यह योजना गांव के समग्र विकास को लेकर है पर इस योजना को लेकर गांव के लोगों में अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. सात निश्चय के तहत वार्ड विकास समिति के द्वारा योजनाओं को क्रियान्वयन करना है. हालांकि शौचालय निर्माण लोगों को खुद ही करना है और बाद में सरकार द्वारा घर के मुखिया के खाते में निर्माण में आयी लागत की राशि देनी है.
वहीं कई लोगों को इस योजना के क्रियाकलापों की जानकारी ही नहीं है. कुछ लोग अभी भी इसी भ्रम में हैं कि मुख्यमंत्री ने कह दिया और मानो विकास हो गया. ग्रामीण सात निश्चय के तहत मिल रही सुविधाओं और उससे जुड़े प्रावधानों से अनभिज्ञ है जिस कारण अधिकतर लोगों में सात निश्चय को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है. हालांकि इन सब के बीच मुलाजिमों द्वारा जिस अंदाज में इस योजना को पेश किया जा रहा है वो ऊपर से देखने में तो बड़ा ही आकर्षक लग रहा है पर जमीनी तौर पर इस योजना के क्रियान्वयन में काफी पेंच है.
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