शराबबंदी का असर Â नौ माह में हुआ केवल 180 मरीजों का इलाज
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शहर के नशामुक्ति केंद्र में मरीजों की संख्या घटी
शराबबंदी का असर Â नौ माह में हुआ केवल 180 मरीजों का इलाज खैनी-तंबाकू-गुटखा का सेवन करने वालों का भी होगा उपचार छपरा (सारण) : शराबबंदी लागू होने के साथ सदर अस्पताल में खोले गये नशा मुक्ति केंद्र में मरीजों की संख्या में कमी आने लगी है. शुरूआती दौर में यहां प्रतिदिन आठ-दस मरीज पहुंचते […]
खैनी-तंबाकू-गुटखा का सेवन करने वालों का भी होगा उपचार
छपरा (सारण) : शराबबंदी लागू होने के साथ सदर अस्पताल में खोले गये नशा मुक्ति केंद्र में मरीजों की संख्या में कमी आने लगी है. शुरूआती दौर में यहां प्रतिदिन आठ-दस मरीज पहुंचते थे, लेकिन वर्तमान समय में यहां आने वाले मरीजों की संख्या प्रतिदिन दो-तीन रह गयी है. सरकार के निर्देश के आलोक में नशा मुक्ति केंद्र के कार्यों में विस्तार कर दिया गया है. जानकारी के मुताबिक नशा मुक्ति केंद्र में खैनी, तंबाकू, गुटखा खाने वालों का उपचार होगा.
क्या है व्यवस्था : नशा मुक्ति केंद्र में 24 घंटे उपचार की व्यवस्था है. यहां तीन चिकित्सक पदस्थापित है. तीनों चिकित्सक 8-8 घंटे की शिफ्ट में कार्य करते हैं. नर्सिंग स्टाफ समेत एक दर्जन अन्य कर्मचारी पदस्थापित है. सुबह 8 बजे से दिन के 2 बजे तक नशा मुक्ति केंद्र का ओपीडी भी संचालित होता है. नशे के कारण सामान्य रूप से बीमार मरीजों का उपचार ओपीडी में किया जाता है. गंभीर रूप से बीमार नशेड़ियों को 24 घंटे भरती करने की व्यवस्था है. सदर अस्पताल के आपातकालीन कक्ष की तर्ज पर इसका संचालन हो रहा है.
मरीजों की होगी काउंसेलिंग : नशा करने के लत के शिकार मरीजों की काउंसेलिंग की भी व्यवस्था की जा रही है. यह आने वाले मरीजों को मनोविश्लेषक सलाह देंगे. चिकित्सक भी मरीजों की इलाज करने के साथ उन्हें नशा छोड़ने का उपाय बतायेंगे. मरीजों की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, पारिवारिक स्थिति का आकलन कर मनोविश्लेषक उन्हें समुचित परामर्श देंगे.
9 माह में 180 नशेड़ियों का हुआ उपचार : नशा मुक्ति केंद्र खुलने के बाद अप्रैल से लेकर दिसंबर 2016 तक 180 नशेड़ियों का उपचार किया गया. अप्रैल, मई, जून माह तक नशा के शिकार मरीजों की अधिकता रही. जुलाई माह से मरीजों की संख्या कम होती गयी. 180 में से 20 मरीजों को ही नशा मुक्ति केंद्र में भरती कराया गया जिसमें से 5 मरीजों की हालत काफी गंभीर थी. 15 मरीज सामान्य थे. शेष 160 मरीजों का ओपीडी में उपचार कर मुक्त कर दिया गया. 9 माह में नशा मुक्ति केंद्र से पांच मरीजों को पीएमसीएच रेफर कर दिया गया.
इनका भी होगा इलाज
खैनी-तंबाकू खाने वालों
गुटखा-तंबाकू खाने वालों
गांजा-भांग का सेवन करने वालों
स्मैक-चरस, नशीले पदार्थों का सेवन करने वालों
क्या कहते हैं अधिकारी
नशा मुक्ति केंद्र में मरीजों की संख्या में कमी आयी है. शुरुआती दौर से शराब पीने के लत के शिकार मरीजों का ही उपचार किया जा रहा है. अब इसके कार्य में विस्तार किया जा रहा है. यहां अब गुटखा, खैनी, तंबाकू, गांजा-भांग का सेवन करने वालों का भी उपचार किया जायेगा.
डॉ शंभूनाथ सिंह, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल, छपरा
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