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रेलवे ओवरब्रिज की सीढ़ी का नहीं कर रहे उपयोग
रेल ओवर ब्रिज के संवेदक नहीं किया फिनिशिंग का काम छपरा (सदर) : शहर के साढ़ा ढाला रेल ओवर ब्रिज के नीचे प्रतिदिन हजारों लोगों के आधा दर्जन रेल पटरी पार कर छपरा शहर के दक्षिण से उत्तर तथा उत्तर से दक्षिण जाने के कारण हमेशा दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. इस दुर्घटना को […]
रेल ओवर ब्रिज के संवेदक नहीं किया फिनिशिंग का काम
छपरा (सदर) : शहर के साढ़ा ढाला रेल ओवर ब्रिज के नीचे प्रतिदिन हजारों लोगों के आधा दर्जन रेल पटरी पार कर छपरा शहर के दक्षिण से उत्तर तथा उत्तर से दक्षिण जाने के कारण हमेशा दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. इस दुर्घटना को टालने के उद्देश्य से रेलवे ने पहले तो रेलवे ओवर ब्रिज से सटे रेल पटरियों के दोनों तरफ पैदल पार करने वालों के लिए लाखों की लागत से सीढ़ियां बनायी गयी. वहीं लाखों की लागत से दो सौ मीटर की लंबाई में 6 से 7 फिट ऊंची दीवार बनायी गयी. जिससे लोग बिना परेशानी व दुर्घटना के आशंका के शहर के दक्षिण से उत्तर तथा उत्तर से दक्षिण जा सके. परंतु, सरकार का उद्देश्य संवेदकों की कारगुजारी के कारण विफल हो गया.
दीवार का निर्माण अधूरा छोड़ा : रेलवे लाइन के दक्षिण 2 सौ मीटर की लंबाई में बनी इस दीवार में विभागीय उदासीनता तथा संवेदक की लापरवाही से 8 फिट की लंबाई में दीवार को महज डेढ़ फिट ऊंचा उठाकर छोड़ दिया. जिससे प्रतिदिन से 8 से 10 हजार लोग जिनमें बच्चे बूढ़े भी इस खुले जगह से पार कर पटरियों पर जाते-आते हैं. यहीं नहीं मानकों को ताक पर रखकर लोग अपनी साइकिल आदि भी अधूरी दीवार से पाड़ कराते है.
जिससे दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. वहीं पैदल वालों के लिए जो ओवर ब्रीज बना उसपर मुश्किल से पूरे दिन में 100 से 200 लोग ही चलते हैं. हालांकि पैदल वालों के लिए रास्ता व दोनों तरफ सिढ़ी बनाने वाले संवेदक ने भी सीढ़ी को पूरी तरह फिनिशिंग नहीं किया. जिससे ध्यान नहीं देने पर पैदल चलने वालों की पैर भी उसमें फंस सकती है तथा वे जख्मी हो सकते है.
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