अव्यवस्था. कैसे होगा पंचायत प्रतिनिधियों, पंस व जीपीएस का प्रशिक्षण
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न भवन, न प्राचार्य, न व्याख्याता
अव्यवस्था. कैसे होगा पंचायत प्रतिनिधियों, पंस व जीपीएस का प्रशिक्षण 15 वर्ष पूर्व प्रारंभ हुआ था प्रमंडलीय प्रशिक्षण संस्थान प्रमंडलीय प्रशिक्षण संस्थान का एकमात्र व्याख्याता भी जहानाबाद में प्रतिनियुक्ति पर बेहतर प्रशिक्षण के अभाव में पंचायतों में विकास एवं सर्वसुलभ न्याय का सपना कैसे होगा साकार छपरा (सदर) : वैसे तो विभिन्न कॉलेजों में शिक्षकों […]
15 वर्ष पूर्व प्रारंभ हुआ था प्रमंडलीय प्रशिक्षण संस्थान
प्रमंडलीय प्रशिक्षण संस्थान का एकमात्र व्याख्याता भी जहानाबाद में प्रतिनियुक्ति पर
बेहतर प्रशिक्षण के अभाव में पंचायतों में विकास एवं सर्वसुलभ न्याय का सपना कैसे होगा साकार
छपरा (सदर) : वैसे तो विभिन्न कॉलेजों में शिक्षकों के पद बड़ी संख्या में रिक्त पड़े हैं, जिसका असर विद्यार्थियों के पठन-पाठन पर पड़ रहा है. परंतु, बिहार पंचायत राज्य अधिनियम 1993 एवं पंचायत राज अधिनियम 2006 के प्राधुरभाव के पश्चात संवैधानिक दर्जा प्राप्त ग्राम पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों तथा कर्मियों के प्रशिक्षण के लिए एक दशक पूर्व प्रमंडलीय शहर छपरा में स्थापित प्रमंडलीय प्रशिक्षण संस्थान में न तो प्रिंसपल हैं न व्याख्याता, न लिपिक और न अपना भवन.
ऐसी स्थिति में पंचायती राज व्यवस्था के तहत नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों या अन्य कर्मियों के प्रशिक्षण का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. गत पंचायत आम चुनाव 2011 में निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण भी सरकार नहीं दे पायी . इस बार विभागीय मंत्री पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देकर पंचायतों के सर्वांगीण विकास कराने का संकल्प दुहराते हैं. परंतु, जब प्रशिक्षण संस्थान में न भवन और न व्याख्याता तो प्रशिक्षण का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.
प्राचार्य समेत सात पद सृजित हैं : सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था को धरातल पर उतारकर गांवों में विकास एवं बिना परेशानी के न्याय दिलाने के उद्देश्य से बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद सभी प्रमंडलीय मुख्यालय पर एक-एक प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की,जिसमें प्राचार्य के एक, व्याख्याता के चार, कार्यालय लिपिक के एक एवं कार्यालय परिचारक के एक पद का सृजन किया. प्रारंभ में यह प्रशिक्षण संस्थान सदर प्रखंड स्थित एक भवन में संचालित होना शुरू हुआ. इसमें दो व्याख्याता भी
पदस्थापित हुए. वहीं कुछ दिनों तक पंचायत सचिव, जीपीएस तथा पंचायत प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण की व्यवस्था शुरू हुई, परंतु, कुछ ही दिन बाद सरकारी उदासीनता व कुव्यवस्था का शिकार यह प्रशिक्षण संस्थान हो गया. अब इस प्रशिक्षण संस्थान में स्वीकृत सात पदों में महज एक व्याख्याता की ही पदस्थापना सरकारी ने की. वहीं पदस्थापना के साथ ही विभाग ने यदुनंदन प्रसाद की प्रतिनियुक्ति जहानाबाद जिला स्थित प्रशिक्षण संस्थान में कर दी गयी. ऐसी स्थिति में यह प्रशिक्षण संस्थान महज कागजों में ही सिमट कर रह गया है.
मुखिया, सरपंच या अन्य प्रतिनिधि कैसे करेंगे दायित्वों का निर्वहण : जिले की 323 पंचायतों में जिला पर्षद, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, सरपंच, ग्राम पंचायत सदस्य एवं पंच के पद पर निर्वाचित प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देकर पंचायत में विकास एवं सर्व सुलभ न्याय की व्यवस्था करने की बात सरकार कह रही है परंतु, प्रशिक्षण संस्थान के अभाव में पंचायतों में स्वास्थ्य, जलापूर्ति, सुरक्षा, विकास आदि कार्यों तथा ग्राम कचहरी के कार्यो के निष्पादन के लिए बेहतर प्रशिक्षण जनप्रतिनिधियों को नहीं दिया गया तथा पंचायत सचिव एवं जीपीएस को नियुक्ति के बाद सेवा पूर्व तीन माह का प्रशिक्षण नहीं दिया गया, तो निश्चित तौर पर कार्यकुशलता के अभाव में पंचायती राज का सपना अधूरा रह जायेगा.
बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ गोपगुट के जिलाध्यक्ष ने कहा कि सरकार के द्वारा पंचायत सचिव की नियुक्ति की तैयारी कर ली गयी है. ऐसी स्थिति में यदि उनकी नियुक्ति होती भी है, तो फिर प्रशिक्षण की समस्या उत्पन्न होगी. वहीं पंचायत प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण भी बेहतर ढंग से नहीं हो पायेगा. ऐसी स्थिति में पंचायती राज विभाग को इस दिशा में सार्थक पहल कर प्रशिक्षण संस्थान को क्रियाशील करने की जरूरत है.
क्या कहते हैं अधिकारी
प्रमंडलीय प्रशिक्षण संस्थान को क्रियाशील करने के लिए पंचायती राज विभाग से पत्राचार किया जायेगा. जिससे पंचायत प्रतिनिधियों, पंचायत सचिवों एवं जीपीएस को बेहतर प्रशिक्षण देकर पंचायतों में विकास एवं सर्वसुलभ न्याय का पंचायती राज व्यवस्था का सपना साकार हो सकेगा.
सच्चिदानंद चौधरी, प्रभारी उपनिदेशक पंचायत,सारण प्रमंडल
खरीदे गये तीन लाख के फर्नीचर व कंप्यूटर डीआरडीए में पड़े हैं
उधार के भवन में संचालित होनेवाले इस प्रशिक्षण संस्थान को सुसज्जित करने के लिए सरकार के द्वारा तीन लाख रुपये के फर्नीचर, कंप्यूटर आदि की खरीदगी हुई. परंतु, भवन के अभाव में सारी सामग्री का उपयोग डीआरडीए के विभिन्न कार्यालयों में हो रहा है. प्रशिक्षण संस्थानों में प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारियों को ही प्रोन्नति देकर व्याख्याता एवं प्राचार्य पद पर नियुक्ति किये जाने का प्रावधान है. परंतु, पंचायती राज विभाग के स्तर से इस दिशा में कोई भी कार्रवाई नहीं हो पा रही है. अधिकतर प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी तथा अंचल पदाधिकारी के पद पर तैनात कर दिये गये, परंतु, उनको बेहतर प्रशिक्षण की सुविधा नहीं मिली.
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