कुव्यवस्था. हम सफर सप्ताह से लोगों में जगी थी स्थिति में सुधार की उम्मीद
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कैसे रहें, घरों में नाले का पानी
कुव्यवस्था. हम सफर सप्ताह से लोगों में जगी थी स्थिति में सुधार की उम्मीद हाल कचहरी स्टेशन की रेलवे काॅलोनी का कार्यक्रम समाप्त होते ही उम्मीद पर फिरा पानी काॅलोनी में सालों भर जलजमाव की स्थिति बनी रहती है रेलवे आवासों में नाले का गंदा पानी प्रवेश कर जाता हैै पूर्वाेत्तर रेलवे का काफी महत्वपूर्ण […]
हाल कचहरी स्टेशन की रेलवे काॅलोनी का
कार्यक्रम समाप्त होते ही उम्मीद पर फिरा पानी
काॅलोनी में सालों भर जलजमाव की स्थिति बनी रहती है
रेलवे आवासों में नाले का गंदा पानी प्रवेश कर जाता हैै
पूर्वाेत्तर रेलवे का काफी महत्वपूर्ण यह स्टेशन और छपरा जंकशन से बड़ी रेलवे कॉलोनी कचहरी स्टेशन की है, मगर टूटी-फूटी सड़कें, खंडहर हो चुके आवास, जीर्ण-शीर्ण नाले, कूड़े-कचरे के ढेर ही इस काॅलोनी की पहचान हैं. रेल हम सफर सप्ताह से लोगों में जगी थी स्थिति में सुधार की उम्मीद, मगर कार्यक्रम समाप्त होते ही लोगों की उम्मीद पर पानी फिर गया.
छपरा (सारण) : रेल हम सफर सप्ताह बीत गया, लेकिन छपरा कचहरी रेलवे काॅलोनी की तसवीर नहीं बदली. टूटी-फूटी सड़कें, खंडहर हो चुके आवास, जीर्ण-शीर्ण नाले, कूड़े-कचरे के ढेर ही इस काॅलोनी की पहचान हैं. बदबू व सड़ांध से संक्रामक बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है. एक पखवारे के अंदर रेल महाप्रबंधक ने दो बार छपरा कचहरी का दौरा किया, फिर भी स्थिति जस-की तस बनी हुई है. पूर्वाेत्तर रेलवे का काफी महत्वपूर्ण यह स्टेशन है
और छपरा जंकशन से बड़ी रेलवे कॉलोनी कचहरी स्टेशन की है, फिर भी यहां नागरिक सुविधाएं नगण्य हैं. काॅलोनी में सालों भर जलजमाव की स्थिति बनी हुई है. स्टेशन की सफाई कर कूड़ा-कचरा रेलवे कॉलोनी में ही फेंका जाता है. कॉलोनी के सबसे पश्चिमी भाग में मध्य विद्यालय है, वहां भी जलजमाव तथा गंदगी का अंबार लगा रहता है.
विद्यालय के बगल में पहले सामुदायिक हॉल था, जिसे रेलवे प्रशासन द्वारा तोड़वा दिया गया. स्थान खाली होने पर कॉलोनी के बच्चे खेल-कूद के लिए उसका इस्तेमाल करते थे, लेकिन रेलवे प्रशासन के द्वारा उसी जगह कूड़ा-कचरा जमा किया जा रहा है. आवासीय इलाके में कूड़ा-कचरा जमा करने से एक तो बच्चे खेल-कूद से वंचित हो गये, दूसरा उसके बदबू व सड़ांध से संक्रामक बीमारी फैलने का खतरा बढ़ गया है. रेलवे कॉलोनी के नागरिक बार-बार शिकायत करते हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम महज खानापूर्ति की जा रही है.
टूटी सड़के खंडहर व आवास पहचान हैं रेलवे कॉलोनी की
रेलकर्मियों ने किया विरोध प्रदर्शन
छपरा कचहरी रेलवे कॉलोनी की नारकीय हालत से आक्रोशित रेलकर्मियों ने सोमवार को प्रदर्शन किया तथा रेलवे प्रशासन से शीघ्र सफाई व जल निकासी का प्रबंध करने की मांग की. रेलकर्मियों का कहना है कि नाले की उड़ाही नहीं हो रही है. स्टेशन की सफाई के बाद कूड़ा-कचरा लाकर रेलवे कॉलोनी में फेंका जा रहा है. बार-बार शिकायत करने के बावजूद स्वच्छता निरीक्षक द्वारा कार्रवाई नहीं की जा रही है.
बरसात के समय नाला का गंदा पानी घरों में प्रवेश कर जाता है. साथ ही विषैले कीड़े भी घर के आंगन में प्रवेश कर जाते हैं. प्रदर्शन करने वालों में सुनीता देवी, शांति देवी, मुधलिका सिंह, प्यारेलाल महतो, रंजय कुमार सिंह, अमित कुमार सिंह, शैलेंद्र कुमार यादव, मदन कुमार, धर्मेंद्र कुमार, मंतोष कुमार, सुरेश कुमार, कृष्ण कुमार सिंह, संजय कुमार सिंह आदि शामिल थे.
नहीं हैं ये सुविधाएं
सामुदायिक भवन एवं मनोरंजन गृह नहीं है
विद्यालय में छात्रों की संख्या के अनुपात में भवन नहीं है
विद्यालय में शौचालय तथा पेयजल का समुचित प्रबंध नहीं है
कॉलोनी के नाले की पानी निकासी बंद है
विद्युत वायरिंग जीर्ण-शीर्ण है और सड़कों पर लाइट नहीं है
अधिकतर आवासों के शौचालयों की टंकी टूटी पड़ी है
कूड़ा-कचरा डंप करने का प्रबंध नहीं है
कॉलोनी की घेराबंदी समुचित ढंग से नहीं की गयी है
खास बातें
पूर्वोत्तर रेलवे के महत्वपूर्ण स्टेशन में एक है छपरा कचहरी
नियमित रूप से कॉलोनी की सफाई नहीं होती है
नाला की उड़ाही बरसात के पूर्व भी नहीं करायी गयी
कॉलोनी के नाला जीर्ण-शीर्ण हो चुका है
नाला के पानी की निकासी का भी प्रबंध नहीं है
सिविल एरिया की सड़कें ऊंची हो चुकी हैं
सिविल एरिया की तुलना में रेलवे कॉलोनी की सतह नीचे है
बरसात में सिविल एरिया का पानी भी कॉलोनी में जमा हो जाता है
करीब 10 वर्षों से रेलवे आवासों की मरम्मत तथा रंग रोगन नहीं हुआ
आवासों के शौचालय तथा पेयजल आपूर्ति की पाइप लाइन जीर्ण-शीर्ण हो चुकी हैं
जलजमाव तथा गंदगी के ढेर के कारण संक्रामक बीमारी फैल रही है
बरसात होने पर रेलवे आवासों में नाला का गंदा पानी प्रवेश कर जाता है
क्या कहते हैं कॉलोनी के नागरिक
बिना बरसात के ही कॉलोनी में सालों भर जलजमाव की स्थिति बनी रहती है. बरसात के समय नाला का गंदा पानी आवासों में प्रवेश कर जाता है. साथ में विषैले कीड़े भी आ जाते हैं. ऐसी परिस्थिति में आवासों में रहना मुश्किल हो जाता है.
प्यारे लाल महतो
काॅलोनी के नाला की उड़ाही नहीं हो रही है. बरसात के पूर्व भी उड़ाही नहीं करायी गयी. नाले के पानी का मुख्य निकास द्वार भी जाम हो गया है. कई बार शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही है.
रंजय कुमार सिंह
रेलवे द्वारा हम सफर सप्ताह मनाया गया. एक पखवारे में दो बार रेल महाप्रबंधक का दौरा हुआ, लेकिन कॉलोनी की तसवीर नहीं बदली. रेलवे का आधुनिकीकरण हो रहा है. लेकिन कॉलोनी की हालत खानाबदोशों की बस्ती जैसी बनाती जा
रही है.
मधुलिका सिंह
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