छपरा (सारण) : कोर्ट में हुए बम ब्लास्ट की घटना को नक्सली वारदात समझ पुलिस भ्रम में रही. केन बम ब्लास्ट से खुद घायल हुई खुशबू का नाम जब पुलिस अधिकारियों ने सुना तो रहस्य और गहराने लगा. दरअसल एक नक्सली महिला भी मंडल कारा में बंद है, जिसका नाम खुशबू है. उसे हाल ही में पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा है.
नक्सली वारदात का भ्रम तब खत्म हुआ, जब खुशबू ने अपने पिता तथा गांव का नाम बतायी. पहले तो यह अफवाह फैला कि केन बम को बाइक में रखा गया था और उसे विस्फोट किया गया है. लेकिन, जब घायल खुशबू को अस्पताल में उपचार के लिए लाया गया, तो स्थिति स्पष्ट हुई . काले रंग का जिंस, काले रंग का टॉप, काले रंग की ओढ़नी से लगाया गया नाकाब तथा केन बम के विस्फोट नक्सली होने के प्रथम दृष्टया प्रमाण बन गये. इस पर तुर्रा यह कि नाम खुशबू जो एक नक्सली महिला का भी है.
बम ब्लास्ट में दो प्राथमिकियां दर्ज : व्यवहार न्यायालय परिसर में हुए बम ब्लास्ट मामले में नगर थाने में दो प्राथमिकी दर्ज की गयी है. पहली प्राथमिकी घायल खुशबू के बयान पर दर्ज की गयी है, जो खुद केन बम लेकर आयी थी. जेल में बंद निकेश राय और फरार अपराधी महेश राय इस मामले में नामजद किये गये हैं. नगर थानाध्यक्ष रवि कुमार ने स्वयं अपने बयान पर भी एक प्राथमिकी दर्ज की गयी है.
करीब दो दशकों से पट्टीदारों से है अदावत : भूमि विवाद के कारण खुशबू कुमारी, मधु कुमारी, कुसुम देवी तथा बालेश्वर सिंह का पट्टीदारों से अदावत है. खुशबू के चचेरे भाई शशिभूषण सिंह के बीच चल रहे विवाद से जुड़ी कई प्राथमिकियां भी एक-दूसरे के खिलाफ दर्ज हैं.
इनके बीच यह विवाद चल ही रहा था कि 2004 में निकेश राय, महेश राय के बीच विवाद खड़ा हो गया. इन दोनों के बीच विवाद शुरू हुआ, तो खुशबू ने दुश्मन के दुश्मन को दोस्त बनाया और निकेश राय, महेश राय से दोस्ती गांठ ली. महेश राय तथा निकेश राय के लाइनर की भूमिका निभाने लगी. कई मामलों में निकेश राय तथा महेश ने खुशबू को सहयोग करना शुरू कर दिया. इस तरह त्रिकोणात्मक संघर्ष शुरू हो गया.
इसी त्रिकोणात्मक संघर्ष में 20 जुलाई, 2011 को नगर थाना क्षेत्र के राजेंद्र सरोवर के पास पूर्व सांसद स्व उमाशंकर सिंह के आवास परिसर में तीन लोगों को गोली मार कर हत्या कर दी गयी. इसी घटना के बाद संघर्ष तेज हो गया. इसी दौरान में 19 सितंबर 2014 को छपरा कोर्ट में बम ब्लास्ट की घटना हुई, जिसमें तीन लोग घायल हो गये.
सोमवार को हुई घटना को भी तीहरे हत्याकांड तथा छपरा कोर्ट बम विस्फोट की पुरानी से जोड़ कर देखा जा रहा है. दरअसल तिहरे हत्याकांड के गवाह मृत्युंजय कुमार सिंह को झौंवा बसंत में 22 अगस्त, 2014 को गोली मार कर हत्या कर दी गयी. इसके पहले 4 जून, 2012 को चिंतामनगंज बाजार के पास गवाह मंजीत सिंह पर हमला किया गया.