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सरकार के मातहत ही उड़ा रहे यातायात नियमों की धज्जियां

सरकार के मातहत ही उड़ा रहे यातायात नियमों की धज्जियां मनमानी. नीली बत्ती लगाने व बिना हेलमेट के चलने की बढ़ी प्रवृत्ति, आखिर इन्हें कब जागरूक करेगा प्रशासनज्यादातर पुलिसकर्मी व परिवहन के कर्मी नहीं लगाते हेलमेट मनाया जा रहा है सड़क सुरक्षा सप्ताह नोट: फोटो नंबर 10 सीएचपी 2,3 है कैप्सन होगा- समाहरणालय परिसर में […]

सरकार के मातहत ही उड़ा रहे यातायात नियमों की धज्जियां मनमानी. नीली बत्ती लगाने व बिना हेलमेट के चलने की बढ़ी प्रवृत्ति, आखिर इन्हें कब जागरूक करेगा प्रशासनज्यादातर पुलिसकर्मी व परिवहन के कर्मी नहीं लगाते हेलमेट मनाया जा रहा है सड़क सुरक्षा सप्ताह नोट: फोटो नंबर 10 सीएचपी 2,3 है कैप्सन होगा- समाहरणालय परिसर में पदाधिकारी के बिना पदनाम व नेमप्लेट की नीली बत्ती लगीं गाड़ियां सड़क सुरक्षा सप्ताह जिले में लोगों को जागरूक करने के लिए जोर-शोर से चलाया जा रहा है. वाहनचालों को सावधानी बरतने व यातायात नियमों का पालन करने की हिदायतें दी जा रही हैं. वहीं, विडंबना यह है कि सरकारी विभागों से जुड़े पदाधिकारी व कर्मी ही इन मानकों की धज्जियां उड़ा कर इसका उल्लंघन कर रहे हैं. इसे लेकर आम लोगों में खूब चर्चाएं हैं. यहां तक कि मानकों का दुरुपयोग कर नीली बत्ती वालीगाड़ियां भी खूब चलायी जा रही हैं. संवाददाता, छपरा (सदर)सरकार के निर्देश के आलोक में जिला प्रशासन, पुलिस एवं परिवहन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जा रहा है. इसके तहत आम लोगों को सड़क पर यात्रा के दौरान सुरक्षा बरतने व यातायात के मानकों का पालन करने के अलावा जागरूक करने का कार्य किया जा रहा है. वहीं, समय-समय पर जांच के दौरान इन नियमों को तोड़नेवाले आम जनों के विरुद्ध जुर्माना एवं वाहन जब्ती की कार्रवाई की जाती है. परंतु, जिले में आम जनों की छोड़ दें, तो विभिन्न सरकारी विभागों से जुड़े पदाधिकारी व कर्मी ही अपने रसूख की बदौलत यातायात के नियमों की धज्जियां उड़ाने में तनिक भी कोताही नहीं बरतते है. इसका जीता-जागता उदाहरण मनमाने ढंग से प्रशासनिक एवं पुलिस विभाग में काम करनेवाले कुछ पदाधिकारी व कर्मी है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इसके लिए विभिन्न जिला, प्रमंडल पदाधिकारियों को नीली बत्ती लगाने के लिए चिह्नित किया गया है. इनमें डीएम, एसपी, आयुक्त, डीआइजी, एसडीओ, एसडीपीओ शामिल हैं. परंतु, विडंबना यह है कि जिला प्रशासन के अधिकतर वरीय उपसमाहर्ता स्तर के पदाधिकारियों के वाहनों में नीली बत्ती लगी रहती है. यही नहीं, जिला प्रशासन की कई गाड़ियां, जिन पर नीली बत्ती लगी रहती है, उन पर कुछ पदाधिकारियों के कर्मी भी बेहिचक पदाधिकारी की अनुपस्थिति में बेरोक-टोक यात्रा करते हैं. कई गाड़ियों पर नहीं लिखा होता है कुछसमाहरणालय परिसर में तो दिन में ऐसी भी कई गाड़िया दिखती हैं, जिन पर न जिला प्रशासन लिखा रहता है और न पदाधिकारी का नाम. ऐसी स्थिति में खुलेआम नीली बत्ती का दुरुपयोग हो रहा है. इसी प्रकार पुलिस विभाग व परिवहन के कई कर्मी अपने को विभागीय एवं पुलिस महकमे का होने का फायदा उठा कर बिना हेलमेट के मोटरसाइकिल पर ट्रिपल लोड कर भी यात्रा करने से बाज नहीं आते. प्रशासन व विभाग के द्वारा समय-समय पर वाहन परिचालन के नियमों को तोड़नेवालों के खिलाफ कार्रवाई व हर वर्ष सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है. परंतु, इन रसूखवाले विभागों के पदाधिकारियों व कर्मियों को आखिर कब सड़क सुरक्षा के लिए प्रशासन जागरूक करेगा और उनके विरुद्ध कार्रवाई करेगा. यह चर्चा आम जनों में है. सरकार द्वारा विधि व्यवस्था ड्यूटी में लगे पदाधिकारियों को नीली बत्ती लगाने की छूट दी गयी है. परंतु, सभी पदाधिकारियों को नीली बत्ती लगाने की छूट नहीं है. इस मामले में पूरी स्थिति का जायजा लेकर नियम के विरुद्ध नीली बत्ती लगानेवाले या ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करनेवाले पदाधिकारियों, पुलिस जवानों व कर्मियों पर भी नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी. श्याम किशोर डीटीओ, सारण

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