पैसे मिले नहीं, कैसे होगा बिहार दर्शन !हाइस्कूलों को दो वर्षों से नहीं मिली मुख्यमंत्री बिहार दर्शन योजना योजना के पैसेइंट्रो : विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास के लिए हाइस्कूलों में मुख्यमंत्री बिहार दर्शन योजना शुरू है. इसका फायदा भी बहुतेरे छात्रों को मिला. उन्हें अपने सूबे के पर्यटक स्थलों से रू-ब-रू होकर वहां के पौराणिक महत्व व इतिहास की बारीकियों को जान कर विवेकशील बनने में बड़ी मदद मिली. हालांकि, वर्तमान में हालत ऐसी है कि जिले के हाइस्कूलों को दो वित्तीय वर्ष से इस मद में एक पैसा नहीं मिला है. छात्र बेचारे घुमने-फिरने को लालायित हैं. 8 उच्च विद्यालयों को पिछले 8 वर्ष से इस योजना की राशि का इंतजार है. संवाददाता, दिघवारा. सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी बौद्धिक क्षमता के मामले में निजी विद्यालयों के विद्यार्थियों को टक्कर दे सकें एवं सरकारी हाइस्कूलों में नामांकित विद्यार्थी भी ऐतिहासिक, धार्मिक व सांस्कृतिक विरासतों से रू -ब-रू होकर सामान्य ज्ञान व बौद्धिक ज्ञान की वृद्धि कर सके, इसलिए हाइस्कूलों में भी मुख्यमंत्री बिहार दर्शन योजना की शुरुआत की गयी. योजना को शुरू करने का उद्देश्य शैक्षणिक परिभ्रमण के सहारे विद्यार्थियों का ज्ञानवर्द्धन करना है. मगर सरकार की यह योजना राशि के अभाव में दम तोड़ती नजर आ रही है. आज हाइस्कूलों में मुख्यमंत्री बिहार दर्शन योजना तो शुरू है, मगर समाप्ति की ओर अग्रसर इस वित्तीय वर्ष में अब तक हाइस्कूलों के हेडमास्टरों को विद्यार्थियों का परिभ्रमण कराने के लिए राशि का ‘दर्शन’ नहीं हो सका है. चालू वर्ष में किसी हाइस्कूल को नहीं मिली है राशि :प्रखंड अधीन क्षेत्र में 8 हाइस्कूल में अधिकांश के प्रधानाध्यापकों ने बताया है कि उनके विद्यालयों में इस वित्तीय वर्ष में अबतक ‘मुख्यमंत्री बिहार दर्शन योजना’ की राशि का चेक नहीं मिला है. कई प्रधानाध्यापकों ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष की कौन कहे, पिछले वित्तीय वर्ष में भी उनके विद्यालयों तक परिभ्रमण की राशि नहीं पहुंची थी. योजना की बढ़ गयी राशि, चेक का दर्शन नहीं :योजना की शुरुआत होने के समय हाइस्कूलों को परिभ्रमण के लिए पांच हजार रुपया की राशि मिलती थी, फिर राशि बढ़कर दस हजार हो गयी और अब इस वित्तीय वर्ष से प्रत्येक हाइस्कूल को बीस हजार रुपया की राशि मिलनी है, मगर अबतक किसी भी हाइस्कूल के एचएम को राशि चेक का दर्शन नहीं हुआ है. सवालों से परेशान है एचएम व शिक्षक :सत्र समाप्ति की ओर है. मगर इस योजना की राशि विद्यालयों तक नहीं पहुंची है. लिहाजा सेंटअप होने जा रहे विद्यार्थियों की बेचैनी बढ़ गयी है. ऐसे विद्यार्थी चाहते हैं कि स्कूलों द्वारा उनलोगों को परिभ्रमण पर ले जाया जाय. इसी कारण विद्यार्थी हर दिन अपने एचएम व शिक्षक से एक ही सवाल पूछते हैं कि ‘सर जी घूमे कब चलम’ कब आयी पैसा? वहीं एचएम व शिक्षक राशि आने पर घुमने ले चलने का आश्वासन देकर विद्यार्थियों को मनाते हैं. कमोबेश कुछ ऐसा ही जवाब विद्यार्थियों के अभिभावकों को स्कूल प्रबंधन द्वारा दिया जाता है. सवाल यही है कि आखिरकार जब स्कूलों तक राशि पहुंचने में देर होगी तो विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास का उद्देश्य कितना पूरा हो सकेगा? क्या कहते हैंं प्रधानाध्यापक पिछले वित्तीय वर्ष में भी योजना की राशि विद्यालय को नहीं मिली एवं इस वित्तीय वर्ष में अबतक राशि मिलने का इंतजार है. परिभ्रमण पर जाने के लिए विद्यार्थी उत्सुक है. मगर राशि के अभाव में प्लान बनाना संभव नहीं है. महेश प्रसादप्रधानाध्यापक, कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालयशंकरपुर रोड, दिघवारा, सारण इन हाइस्कूलों को है राशि का इंतजार-कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, शंकरपुर रोड, दिघवारा-जयगोविंद उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, दिघवारा-अंबिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, आमी-रामावतार उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, गोराइपुर-जनक ईश्वरी उच्च विद्यालय, शीतलपुर -रामानंद उच्च विद्यालय, पुरूषोत्तमपुर सुवर्णा-बालदेव सिंह उच्च विद्यालय, त्रिलोकचक-फूलपातो कुंवर अच्यूतानंद बालिका उच्च विद्यालय, बस्ती जलालयोजना के क्रियान्वयन का उद्देश्य -विद्यार्थियो को अपने अतीत के गौरव एवं ज्ञान के साथ पठन-पाठन में अभिरूचि पैदा करना-विद्यार्थियों के बीच टीम स्पीरिट व समूह में कार्य करने की सीख प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना-शैक्षणिक भ्रमण कराकर ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, विरासतों को अवगत कराने के साथ सामान्य व बौद्धिक ज्ञान को बढ़ाना
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पैसे मिले नहीं, कैसे होगा बिहार दर्शन !
पैसे मिले नहीं, कैसे होगा बिहार दर्शन !हाइस्कूलों को दो वर्षों से नहीं मिली मुख्यमंत्री बिहार दर्शन योजना योजना के पैसेइंट्रो : विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास के लिए हाइस्कूलों में मुख्यमंत्री बिहार दर्शन योजना शुरू है. इसका फायदा भी बहुतेरे छात्रों को मिला. उन्हें अपने सूबे के पर्यटक स्थलों से रू-ब-रू होकर वहां के पौराणिक […]
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