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बनेगा पहला प्रागैतिहासिक म्यूजियम
छपरा (सदर) : सारण के चिरांद स्थित पुरातात्विक स्थल में भारत का पहला ‘प्रागैतिहासिक म्यूजियम’ बनाने के साथ-साथ नौका बिहार, बोट हाउस आदि के माध्यम से भारत के पर्यटन मानचित्र पर लाने का प्रयास कला संस्कृति विभाग कर रहा है. कला संस्कृति विभाग के निदेशक की मानें, तो प्रागैतिहासिक म्यूजियम के निर्माण के लिए विभाग […]
छपरा (सदर) : सारण के चिरांद स्थित पुरातात्विक स्थल में भारत का पहला ‘प्रागैतिहासिक म्यूजियम’ बनाने के साथ-साथ नौका बिहार, बोट हाउस आदि के माध्यम से भारत के पर्यटन मानचित्र पर लाने का प्रयास कला संस्कृति विभाग कर रहा है.
कला संस्कृति विभाग के निदेशक की मानें, तो प्रागैतिहासिक म्यूजियम के निर्माण के लिए विभाग ने दो एकड़ जमीन अधिगृहीत की है, जिसमें चार करोड़ की लागत से ‘मानव उत्पत्ति एवं उसके क्रमिक विकास से संबंधित सचित्र म्यूजियम’ बनाने का कार्य शुरू किया गया है.
इस स्थल पर म्यूजियम निर्माण के साथ-साथ बाउंड्री निर्माण का कार्य भी चल रहा है.1969-70 में खुदाई में मिले नवपाषाण कालीन औजार, बरतन : प्रारंभ में इतिहासकारों को मानना था कि पुरातात्विक स्थल अधिकतर पर्वतीय क्षेत्रों में ही पाये जाते हैं.
परंतु, पहली बार वर्ष 69-70 में पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई के बाद चिरांद में नवपाषाणकालीन औजार बरतन आदि मिले, इसमें कुषाण काल, आर्य सभ्यता आदि विभिन्न ऐतिहासिक काल यथा 3000बीसी से 1200 एडी तक की मिट्टी के बरतन, तांबे, हड्डी के औजार आदि खुदाई में मिले.
हालांकि, खुदाई में मिले इन ऐतिहासिक सामान के रख-रखाव की व्यवस्था बढ़िया नहीं होने के कारण उन्हें सुरक्षित रखने की दिशा में भी आवश्यक कार्रवाई की बात कला एवं संस्कृति विभाग के निदेशक बताते हैं.
म्यूजियम के अलावा नौका बिहार व बोट हाउस बनाने का प्रयास : विभागीय निदेशक की मानें, तो चिरांद भारत के मानचित्र पर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा.
इसके लिए पर्यटन विभाग से सामंजस्य स्थापित कर नौका बिहार एवं मोटरबोट की सुविधा देने एवं चिरांद में चलनेवाली गंगा महा आरती का और प्रचार-प्रसार कर भव्य रूप देने व देश-विदेश के पर्यटकों को चिरांद में आकर्षित करने की योजना है. इस संबंध में लगातार प्रयास किया जा रहा है.
पूर्व में बने ढांचे को तोड़ने के लिए डीएम को पत्र : चिरांद में स्थित पुरातात्विक स्थल में पूर्व में बने यात्री शेड आदि को तोड़ कर वहां पर्याप्त लाइटिंग, जलापूर्ति आदि की व्यवस्था की जायेगी. इस संबंध में सारण के डीएम को पत्र लिखे जाने की बात कला संस्कृति के निदेशक ने बतायी.
वहीं, लगातार हो रहे कटाव से बचाने के लिए जिला प्रशासन एवं लघु सिंचाई विभाग को पुन: पत्र लिखने की बात कहते हुए यथाशीघ्र इस दिशा में सार्थक प्रयास करने की बात कही.
अब भी खुदाई में कई ऐतिहासिक प्रमाण मिलने की उम्मीद : कला संस्कृति विभाग के निदेशक की मानें, तो चिरांद में अभी खुदाई किये जाने पर और भी पुरातात्विक युग की कई चीजें ऐतिहासिक प्रमाण का गवाह बन सकती हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि अभी और जमीन चिरांद पुरातात्विक स्थल के आसपास आवश्यकता के अनुसार अधिगृहीत की जायेगी तथा खुदाई भी करायी जायेगी. ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि कटाव के कारण नवपाषाणकालीन युग के बहुत से प्रमाण नदी के गर्भ में विलीन होते जा रहे हैं.
स्थानीय संस्था चिरांद विकास परिषद के सचिव श्रीराम तिवारी व अन्य की मानें, तो खुदाई के बाद अब भी बहुत धरोहर मिलने की उम्मीद है. वे लगातार इस स्थल के विकास के लिए प्रयास है.
नदी के कटाव से बचाने की है समस्या
इस पुरातात्विक स्थल को गंगा नदी के कटाव से बचाने की समस्या सबसे बड़ी है.इसे बचाने के लिए कला संस्कृति विभाग के निदेशक ने पूर्व में भी लघु सिंचाई विभाग को पत्रचार किया, परंतु अब तक परिणाम नहीं निकला. फलत: यह पुरातात्विक स्थल कटाव का शिकार होता जा रहा है.
पुरातात्विक स्थल, चिरांद में प्रागैतिहासिक म्यूजियम निर्माण कराने के साथ राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए बोट हाउस, नौका बिहार की सुविधा देने की योजना है.
साथ ही गंगा के कटाव से बचाने के लिए लघु सिंचाई विभाग को पुन: पत्रचार किया जा रहा है. भविष्य में भी यहां खुदाई में कई ऐतिहासिक प्रमाण मिलने की उम्मीद है.
अतुल कुमार वर्मा
निदेशक, कला संस्कृति विभाग, बिहार
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