सीवान : एक ओर गरमी का कहर बढ़ते ही बिजली की खपत और आवश्यकता बढ़ जाती है, वहीं दूसरी ओर लोगों को पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है. बिजली मिलने पर भी अमूमन लो वोल्टेज की समस्या रहती है,
जिसके कारण विद्युत उपकरण ठीक ढंग से काम नहीं कर पा रहे हैं. सरकार और विभाग द्वारा बिहार में बिजली व्यवस्था दुरुस्त करने के दावा फेल नजर आ रहा है. 24 घंटे बिजली देने की जगह चार-पांच घंटे भी अबाध विद्युत आपूर्ति नहीं हो पा रही है. शहरी क्षेत्रों में तो 10 से 12 घंटे जैसे-तैसे बिजली मिल भी जाती है,वहीं देहाती क्षेत्रों में दो-चार घंटे भी बिजली नहीं मिल पा रही है. कृषि कार्य के समय गांव में 18 घंटों से अधिक बिजली देने की बात सरकार द्वारा कही गयी थी. पर बिजली के अभाव में नलकूप ठप पड़े हैं और किसान बदहाल हैं.
जिले को 80 मेगावाट बिजली की है जरूरत: जिले में 80 मेगावाट बिजली की जरूरत है, जिसके एवज में विभाग का कहना है कि मात्र 40 से 45 मेगावाट ही बिजली मिल रही है. इस कारण सभी सब स्टेशन को बिजली की आपूर्ति सही ढंग से नहीं हो पा रही है. वहीं ग्रिड में बिजली रहने पर भी तकनीकी खराबी के नाम पर घंटों बिजली काटी जाती है.
ग्रिड को रात में नहीं मिलता सही वोल्टेज : जिले में एक ही ग्रिड है, जिसके सहारे पूरे जिले को बिजली की सप्लाइ की जाती है. ग्रिड को एक लाख 32 हजार वोल्ट प्राप्त होता है, जहां से सब स्टेशन को 33 हजार वोल्ट की सप्लाइ की जाती है. लेकिन रात में ग्रिड को एक लाख आठ हजार से 10 हजार वोल्ट ही प्राप्त हो रहा है, जिस कारण उच्च क्ष्मता के लगे ट्रांसफॉर्मर को जलने की आशंका बढ़ जाती है. जिले को कंट्रोल करने के लिए 50 व 20 एमवीए के दो ट्रांसफॉर्मर लगे हैं, लेकिन 80 फीसदी से ज्यादा लोड दोनों उच्च क्षमता के ट्रांसफॉर्मर को नहीं दिया जा सकता है. इस हिसाब से ग्रिड की क्षमता 56 मेगावाट पर आ कर रुक जाती है.
क्या कहते हैं अधिकारी
ग्रिड में लो वोल्टेज की समस्या पहले हुआ करती थी. वर्तमान समय में ग्रिड को एक लाख 32 हजार वोल्ट प्र्र्र्राप्त हो रहा है. ग्रिड का काम सब स्टेशन को विद्युत की सिर्फ सप्लाइ कर देना है. वितरण का काम सप्लाइ विभाग को देखना है.
विराज कुमार सिंह, एसडीओ, ग्रिड
इस संबंध में मैं कोई जानकारी नहीं दे सकता. विभाग से रोक है. पीआरओ या जिलाधिकारी से संपर्क कर जानकारी लें.
दीपक कुमार,विद्युत कार्यपालक अभियंता,सीवान
एक नजर
80 मेगावाट की है जिले को जरूरत.
पर मिल रही 40-45 मेगावाट ही.
जिले में एक ही है ग्रिड, क्षमता 70 मेगावाट.
80 फीसदी से ज्यादा ग्रिड को नहीं दे सकते लोड.
ग्रिड को एक लाख 32 हजार वोल्ट की जगह रात में मिल रहा एक लाख आठ हजार वोल्ट.
रात में देहाती फीडर को नहीं मिल पाती पर्याप्त बिजली.
जिले में 10 सब स्टेशन हैं कार्यरत.
ग्रिड में 50 व 20 एमवीए के लगे हैं दो ट्रांसफॉर्मर.