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गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है रिमझिम
अमनौर : आस्था का ताल्लुक धर्म और मजहब की सीमाओं को भी नहीं मानता. छठ व नवरात्र में जब मुसलमान उपवास रखते व कलश की स्थापना करते हैं, तो असंख्य हिंदू भी रमजान के रोजे रख देश व दुनिया को अनेकता में एकता व गंगा-जमुनी तहजीब का संदेश देते हैं. कुछ ऐसा ही कर रही […]
अमनौर : आस्था का ताल्लुक धर्म और मजहब की सीमाओं को भी नहीं मानता. छठ व नवरात्र में जब मुसलमान उपवास रखते व कलश की स्थापना करते हैं, तो असंख्य हिंदू भी रमजान के रोजे रख देश व दुनिया को अनेकता में एकता व गंगा-जमुनी तहजीब का संदेश देते हैं. कुछ ऐसा ही कर रही है अमनौर हरनारायण निवासी शंकर साह व रेणु देवी की 16 वर्षीया पुत्री रिमङिाम कुमारी. रिमङिाम पिछले तीन वर्षो से रमजान के 30 रोजे रखती है.
उन्होंने बताया कि मन की किसी मुराद के पूरा होने पर उन्होंने रोजा रखना शुरू कर दिया. स्कूल में साथ पढ़नेवाली सहेलियों से रोजा के तरीके को सीखा. पूरी पवित्रता व आस्था के साथ रोजा रखने पर उन्होंने आत्मसंतुष्टि की प्राप्ति होने तथा असीम शांति की अनुभूति की बात कही.
तीन बहनों व एक भाई में सबसे बड़ी रिमङिाम इसे ध्यान केंद्रित करने की, शांति व स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण बताती है. साइंस की छात्र रिमङिाम इस वर्ष जंतु विज्ञान प्रतिष्ठा में नामांकन लेगी. वह कहती है जब तक पढ़ाई चलेगी, तब तक तो रोजे का सिलसिला चलता ही रहेगा. आगे देखेंगे.
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