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कानून की पढ़ाई करना हुआ महंगा
जेपीविवि के एकमात्र गंगा सिंह लॉ कॉलेज में नामांकन पर रोक प्रमंडल के बाहरी कॉलेजों का ही रह गया आसरा आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों का टूट रहा है सपना लॉ के थर्ड इयर के छात्रों की परीक्षा अधर में छपरा (नगर) : जेपीविवि प्रशासन नये कोर्स तो शुरू नहीं कर पा रहा है, वहीं […]
जेपीविवि के एकमात्र गंगा सिंह लॉ कॉलेज में नामांकन पर रोक
प्रमंडल के बाहरी कॉलेजों का ही रह गया आसरा
आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों का टूट रहा है सपना
लॉ के थर्ड इयर के छात्रों की परीक्षा अधर में
छपरा (नगर) : जेपीविवि प्रशासन नये कोर्स तो शुरू नहीं कर पा रहा है, वहीं पुराने कोर्स भी धीरे-धीरे बंद होते जा रहे हैं. जेपीविवि का गंगा सिंह लॉ कॉलेज बंद होने के कगार पर है. बार काउंसिल द्वारा कॉलेज की व्यवस्था मानक के अनुरूप नहीं होने के कारण वर्ष 2012 में ही तीन वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम में नये नामांकन पर रोक लगा दी गयी थी. बहरहाल, विगत सत्र 2012-13, 2013-14 तथा 2014-15 में लॉ कॉलेज में एक भी छात्र का नामांकन नहीं हो पाया.
वहीं, पूर्व में नामांकित एलएलबी पार्ट थ्री के छात्रों की परीक्षा नहीं होने वे भी अपने भविष्य को लेकर सशंकित हैं. मालूम हो कि सत्र 2009 में नामांकित छात्रों के थर्ड ईयर की परीक्षा भी अधर में है.
1965 से शुरू हुई थी पढ़ाई : मालूम हो कि गंगा सिंह कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य व छपरा बार काउंसिल के सदस्यों तथा शहर के शिक्षाविद के प्रयास से 1965 में छपरा जिले में लॉ कॉलेज की स्थापना की गयी थी. उस समय बिहार विश्वविद्यालय के अंतर्गत तीन वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम में नामांकन के साथ ही पढ़ाई शुरू की गयी. बाद में बिहार विश्वविद्यालय से टूट कर जेपीविवि की स्थापना होने के बाद लॉ कॉलेज जेपीविवि के अधीन संचालित होने लगा.
सारण प्रमंडल में लॉ की पढ़ाई के लिए इकलौता कॉलेज होने के कारण लॉ की पढ़ाई का सपना रखनेवाले छपरा, सीवान, गोपालगंज के छात्रों को इससे काफी लाभ भी हुआ. हर साल काफी संख्या में यहां के छात्र कम खर्च में लॉ की पढ़ाई करने में सफल होते हैं.
टीम के निरीक्षण में बढ़ी थी उम्मीद : नामांकन पर रोक लगाने के बाद हरकत में आये कॉलेज प्रशासन द्वारा गंगा सिंह कॉलेज के ही हिस्से में लॉ कॉलेज को स्वतंत्र इकाई के रूप में स्थापित किया गया. बहरहाल, वर्ष 2013 के नवंबर में बार काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम द्वारा कॉलेज पहुंच कर लॉ की पढ़ाई के लिए उपलब्ध संसाधन समेत अन्य चीजों की जांच की गयी थी.
टीम के निरीक्षण में फिर से नामांकन की अनुमति मिलने की उम्मीद बढ़ी थी. मगर टीम के निरीक्षण किये डेढ़ साल से अधिक गुजर जाने के बाद भी गंगा सिंह लॉ कॉलेज में नामांकन व परीक्षा संचालन दोनों ठप है.
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