छपरा (सदर) : शनिवार को एक बार फिर नेपाल में भूकंप का झटका महसूस किये जाने के बाद छपरा शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में भय व्याप्त हो गया है. सरकारी स्तर पर भी गत दिनों मौसम के बदलते मिजाज व भूकंप के झटके के कारण हुई क्षतिपूर्ति के लिए हर संभव प्रयास […]
छपरा (सदर) : शनिवार को एक बार फिर नेपाल में भूकंप का झटका महसूस किये जाने के बाद छपरा शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में भय व्याप्त हो गया है. सरकारी स्तर पर भी गत दिनों मौसम के बदलते मिजाज व भूकंप के झटके के कारण हुई क्षतिपूर्ति के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं.
परंतु, बुद्धिजीवियों में इस बात को लेकर चर्चा है कि आज सरकार क्षतिपूर्ति का मुआवजा देने में तत्परता दिखा रही है. परंतु दुखद यह है कि हर वर्ष भूकंप सुरक्षा सप्ताह जनवरी में मनाने की खानापूर्ति होती है. परंतु, इनके झटके से होनेवाले क्षति को रोकने के ठोस प्रयास आम जनों की कौन कहे, सरकारी स्तर पर भी नहीं होता.
निर्माण में खर्च होते हैं करोड़ों रुपये : सारण जिले के ग्रामीण क्षेत्रों की कौन कहे, छपरा शहर में निजी के साथ-साथ एक भी सरकारी मकान भूकंपरोधी नहीं है. हालांकि इन सरकारी भवनों के निर्माण पर सरकार के तकनीकी विशेषज्ञों की देख-रेख में करोड़ों रुपये खर्च होते हैं. प्रति वर्ष दर्जन भर सरकारी इमारतें बन रही हैं. वहीं, भविष्य में दर्जनों के लिए एस्टिमेट तैयार है. परंतु किसी भी एस्टिमेट में अभी तक भूकंपरोधी सरकारी भवन बनाने की चर्चा नहीं है.
नये भवन जैसे इंजीनियरिंग कॉलेज, छपरा, पॉलिटेक्निक, मढ़ौरा के अलावा जिला स्कूल परिसर, राज कन्या उच्च परिषद के अलावा कृषि विभाग, पुलिस विभाग के व वभिन्न प्रखंडों में सरकारी कार्यालय बन रहे हैं. इन विभागों के कार्यालय भवन बनानेवाली मुख्य कार्य एजेंसी भवन निर्माण प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता स्वीकारते है कि अब तक एक भी सरकारी भवन भूकंपरोधी नहीं बना है. वहीं, अब तक सरकार के द्वारा पूर्व में भूकंपरोधी मकान बनाने के लिए प्रशिक्षण तो दिया गया, परंतु बनाने की दिशा में आवश्यक निर्देश नहीं लिया गया. ऐसी स्थिति में जब सरकारी स्तर पर ही भूकंप के झटकों से बचने के प्रयास नहीं किये जा रहे, तो शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक आमजनों को इस पूरे मामले में सोच व भूकंप रोधी मकान बनाने की दिशा में पहल का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. बुद्धिजीवी कहते हैं कि शहर के विभिन्न मुहल्लों व व्यावसायिक मंडियों में दर्जनों जजर्र मकान में चल रहे कार्यालय व व्यवसाय में काम करनेवाले लोग अपने जान की बाजी लगा कर ही काम कर रहे हैं. यदि दुर्भाग्यवश भूकंप का झटका तेज हुआ, तो घनी आबादीवाले इस जिले में जान-माल की क्षति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. परंतु, प्रशासन की ओर से जजर्र मकानों को ध्वस्त करा कर सुरक्षित करने की दिशा में सार्थक पहल अबतक नहीं हो रही है.
जिले में एक भी सरकारी कार्यालय या आवास भूकंपरोधी नहीं बना है. पूर्व में भूकंपरोधी मकान बनाने के लिए विभाग से प्रशिक्षण भी मिला है. अब सरकार से इस तरह का एस्टिमेट बनाने का निर्देश आयेगा, तो निश्चित तौर पर भूकंपरोधी मकान बनेंगे.
रामाधार राम
कार्यपालक अभियंता, भवन प्रमंडल
अब से जो भी सरकारी भवन बनेगा, उन्हें भूकंपरोधी बनाने का ही प्रयास होगा. सरकारी स्तर पर भी भूकंपरोधी मकान बनाये जाने को लेकर गंभीरता दिखायी गयी है. अपने स्तर से भी सरकार से इस दिशा में मार्गदर्शन मांगा जायेगा.
दीपक आनंद डीएम, सारण