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रुका पलायन, बदली तसवीर

रंग लायी मजदूरों की मेहनत,श्रम ने लिखी विकास की नयी इबारत सबसे अधिक नयी सड़कें पंचायतों में बनीं, पौधारोपण से गांवों में लौटी हरियाली एक पंचायत से दूसरी पंचायत की दूरी हुई कम मजदूरों को रोजगार के लिए किसी से पैरवी करने की नहीं पड़ती जरूरत पंचायत में काम शुरू होने पर आसानी से उपलब्ध […]

रंग लायी मजदूरों की मेहनत,श्रम ने लिखी विकास की नयी इबारत
सबसे अधिक नयी सड़कें पंचायतों में बनीं, पौधारोपण से गांवों में लौटी हरियाली
एक पंचायत से दूसरी पंचायत की दूरी हुई कम
मजदूरों को रोजगार के लिए किसी से पैरवी करने की नहीं पड़ती जरूरत
पंचायत में काम शुरू होने पर आसानी से उपलब्ध हो रहा काम
छपरा (सारण) : मनरेगा से न केवल मजदूरों का पलायन रुका है, बल्कि गांवों की तसवीर भी बदली है. रोजी-रोटी की तलाश में गुजरात, दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र व बंगाल जाने वाले मजदूरों की संख्या में कमी आयी है. यह मनरेगा का ही कमाल है कि एक पंचायत से दूसरी पंचायत की दूरी कम हो गयी है और प्रखंड मुख्यालय से पंचायत को जोड़नेवाली ग्रामीण सड़कें उपयोगी हो गयीं.
इस योजना के तहत सबसे अधिक नयी सड़कें पंचायतों में बनी हैं, जो एक पंचायत से दूसरी पंचायत को जोड़ती हैं.
साथ ही प्रखंड मुख्यालय व क्षेत्र के बाजार तक के सफर को आसान कर दिया है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मजदूरों को रोजगार के लिए किसी से पैरवी करने की जरूरत नहीं है. बल्कि पंचायत में काम शुरू होने पर आसानी से काम उपलब्ध हो रहा है और काम करने के उपरांत मजदूरी के लिए भी भटकना पड़ रहा है. मनरेगा से न केवल सड़क , नहर व पइन का निर्माण हुआ है, बल्कि पौधारोपण का कार्य भी बड़े पैमाने पर विभिन्न प्रखंडों में कराया गया है, जिससे क्षेत्र में हरियाली आयी है.
पौधारोपण पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण :मनरेगा के तहत पौधारोपण कार्यक्रम के लागू होने से गांवों में हरियाली लौटने लगी है. ग्रामीण सड़कों पर हो रहे पौधारोपण से न केवल राहगीरों को गरमी में छांव मिलेगी, बल्कि पर्यावरण के लिए भी यह महत्वपूर्ण है. फलदार वृक्षों के तैयार होने से जिले में फलों के उत्पादन में भी आनेवाले समय में वृद्धि होगी.
इसका उदाहरण है एकमा प्रखंड की अतरसन पंचायत के असवाचक चपरैठी जानेवाली सड़क, जिसके किनारे दोनों तरफ लगाये पौधे अब धीरे-धीरे बड़े होने लगे हैं. तीन वर्ष पहले यहां करीब एक लाख 71 हजार 411 रुपये की लागत से पौधारोपण कराया गया. इसी तरह तरैया प्रखंड की तरैया पंचायत अंतर्गत तरैया से झींगन रोड तक 600 पौधे लगाये गये हैं, जिसमें आंवला, आम, नींबू, कदंब के पौधे शामिल हैं. वर्ष 2011-12 में लगाये 600 पौधों की देखभाल के लिए 12 वन पोषकों को तीन वर्ष तक रखा गया. पौधों की बेहतर ढंग से देखभाल करनेवाले एक दर्जन वन पोषकों को मुखिया आशा गुप्ता ने सम्मानित भी किया है.
कम हुई दूरी, सफर हुआ आसान :मांझी प्रखंड अंतर्गत मांझी पूर्वी पंचायत के माली टोले में मदन चौधरी के घर से काली स्थान तक मिट्टीकरण-ईंटीकरण का कार्य कराये जाने से 10 गांवों की दूरी प्रखंड मुख्यालय से कम हो गयी और सफर आसान हो गया. खासकर सुधा छपरा, शनिचरा बाजार, नंदपुर, अलियासपुर, मांझी गोढ़ा, माड़ीपुर कला, माड़ीपुर खुर्द, गुरदाहां कला, गुरदाहा खुर्द, नारायण छपरा गांव की दूरी प्रखंड मुख्यालय से कम हो गयी है. अस्पताल, थाना-रेलवे स्टेशन तक का सफर आसान हो गया है. इस सड़क के निर्माण पर तीन लाख, 59700 की लागत आयी है और 120 मजदूरों को रोजगार का अवसर मिला.
बनियापुर प्रखंड अंतर्गत सरैया पंचायत में सुदामा राय के घर से बेदौली नहर तक मिट्टीकरण एवं ईंटीकरण का कार्य आठ लाख 69 हजार की लागत से कराया गया, जिसमें 1886 मजदूरों को रोजगार मिला. इसी तरह सरैया से कन्हौली मनोहर पंचायत की सीमा तक गंडकी नदी के तटबंध का मिट्टीकरण-ईंटीकरण कराया गया. इन कार्यो के होने से दोनों पंचायतों की बनियापुर पंचायत मुख्यालय से दूरी कम हो गयी है. कन्हौली, सरैया, अमाव, चतुभरुज छपरा समेत दर्जन भर से अधिक गांवों के ग्रामीणों को दो किमी की दूरी तय कर प्रखंड मुख्यालय जाना पड़ता था, जिससे निजात मिली है.
अमनौर प्रखंड अंतर्गत अमनौर सुल्तान गांव में मनरेगा के तहत करीब 900 फुट सड़क का मिट्टीकरण-ईंटीकरण होने से ग्रामीणों की राह आसान हो गयी है. करीब 1500 मजदूरों को इस योजना में रोजगार मिला. प्रखंड मुख्यालय आने-जाने में ग्रामीणों को हो रही कठिनाई से भी निजात मिली है.
जलजमाव से मिली मुक्ति :अमनौर प्रखंड अंतर्गत धर्मपुर जाफर पंचायत में स्थित अमनौर उच्च विद्यालय के छात्रों को जलजमाव की समस्या से मुक्ति मिली है. करीब तीन लाख 70 हजार की लागत से विद्यालय परिसर में मिट्टी भराई का कार्य कराया गया. इस कार्य में लगभग 2324 मजदूरों को रोजगार भी मिला. बरसात के दिनों में विद्यालय के छात्रों-शिक्षकों को मुख्य सड़क से कक्षा तक जाने के लिए घुटने भर पानी से गुजरना पड़ता था.
पानापुर प्रखंड अंतर्गत महम्मदपुर में मनरेगा की योजना से तालाब का जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण कराये जाने से जल संरक्षण का यह मॉडल बन गया है. वर्ष 2010-11 से वर्ष 2014-15 तक कराये गये कार्य में 3214 मजदूर लगाये गये.
इस योजना पर कुल लागत आठ लाख 68 हजार 832 रुपये की आयी. इस चबूतरे के जीर्णोद्धार तथा सौंदर्यीकरण से जल संरक्षण को काफी बढ़ावा मिल रहा है और अन्य पंचायतों के लिए यह नजीर बन गया है. तालाब में दो तरफ घाट का भी निर्माण कराया गया.

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