* गंडामन की घटना की सीबाआइ से जांच करायी जाये : प्रभुनाथ
छपरा (सदर) : मशरक प्रखंड के गंडामन स्थित नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में गत 16 जुलाई को मध्याह्न् भोजन खाने से 23 बच्चों की मौत तथा दो दर्जन पीड़ित होने की घटना के बाद पीड़ित परिवारों को मुआवजा, मामले की सीबीआइ जांच आदि मांगों को लेकर जिला राजद द्वारा महाधरने का आयोजन शनिवार को किया गया
राजद सांसद प्रभुनाथ सिंह ने पूरी घटना को बेरहम सरकार व प्रशासन की मानवता के विरुद्ध बताते हुए पूरे मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि प्रशासनिक रवैया के कारण 23 बच्चे मौत के मुंह में समा गये. एक ओर जहां माता–पिता की गोद सुनी हुई, वहीं बुढ़ापे का सहारा भी छीन गया. दो दर्जन बच्चे मौत से संघर्ष कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने अपने कुकृत्यों को छिपाने के लिए जांच का आदेश देकर कर्तव्य की खानापूर्ति व प्रति मृत बच्चे की जान की कीमत दो लाख रुपये लगा कर पीड़ित परिवारों के साथ गंदा मजाक किया है. मुख्यमंत्री द्वारा मृत छात्रों की सही संख्या आने से पहले ही मुआवजे की घोषणा कर दी गयी. शिक्षा मंत्री द्वारा जांच रिपोर्ट आये बिना प्रधानाध्यापिका या उनके परिवार के लोगों पर अनावश्यक आरोप लगा कर अपनी गंदी नीयत को प्रदर्शित किया है.
राज्य सरकार ने मुआवजा घोषित करने में जितनी तेजी दिखायी, उतनी तेजी इलाज में दिखायी होती तो इतनी मौतें नहीं होतीं. राजद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामचंद्र पूर्वे ने कहा कि गंडामन की घटना प्रदेश की नहीं नहीं पूरी दुनिया में सबसे बड़ी है. इससे प्रदेश की शाख गिरी है.
नीतीश कुमार अपनी जिम्मेवारियों से नहीं बच सकते. राजद के जिलाध्यक्ष बलागुल मोबीन की अध्यक्षता में महाधरने को संबोधित करनेवालों में पूर्व मंत्री बसावन भगत, उदित राय, मुनेश्वर चौधरी, विधायक जितेंद्र कुमार राय, रामप्रवेश महतो, पूर्व विधान पार्षद रघुवंश प्रसाद यादव, प्रतिमा कुशवाहा, प्रमुख सुनील राय, पूर्व विधायक डॉ रामानुज राय, युवा राजद के प्रदेश महासचिव शैलेंद्र राम, रंजीत सिंह, अशोक सिंह, आजाद गांधी, अख्तरी बेगम, विजय प्रताप सिंह चुन्नू, राजद के विभिन्न प्रखंडों के अध्यक्ष शामिल थे. संचालन जिला प्रवक्ता हरेंद्र सिंह ने किया.
अंत में प्रतिनिधिमंडल सांसद प्रभुनाथ सिंह के नेतृत्व में डीएम अभिजीत सिन्हा से मिल कर सात सूत्री मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा, जिसमें घटना की सीबीआइ जांच कराने, मृतकों के परिजनों को प्रति मृतक 10 लाख रुपये देने तथा एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने, इलाजरत पीड़ितों को दो लाख रुपये मुआवजा, घटना में जिम्मेवार लोगों पर कड़ी कार्रवाई, एमडीएम के मानदंडों का अक्षरश: पालन करने व भविष्य में ऐसी घटना रोकने की गारंटी देने की मांग की गयी.