* जिप अध्यक्ष ने डीडीसी के माध्यम से सभी पार्षदों को भेजा पत्र
छपरा (सदर) : सारण जिला पर्षद की अध्यक्ष मेहनाज खातून ने अपने ऊपर विरोधी पार्षदों द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की तिथि 22 जुलाई निर्धारित कर दी है. साथ ही इससे संबंधित पत्र जिला पर्षद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सह डीडीसी रमण कुमार को भेजते हुए सभी 46 जिला पर्षद सदस्यों को बैठक से संबंधित सूचना देने के लिए निर्देशित किया है.
वहीं, पत्र की प्रति जिला पदाधिकारी को भी भेजी गयी है. प्रेषित पत्र में अध्यक्ष ने 22 जुलाई को 10.30 बजे जिला पर्षद सभागार में ही बैठक स्थल निर्धारित किया है. मालूम हो कि जिला पर्षद के 25 पार्षदों द्वारा गत सप्ताह हस्ताक्षरित पत्र देकर जिला पर्षद अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास जताते हुए बैठक बुलाने की मांग की गयी थी.
* राजनीति परवान चढ़ी
जिला पर्षद अध्यक्ष मेहनाज खातून द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पर बैठक की तिथि तय कर दी गयी है. बैठक में अब महज एक सप्ताह का समय रह गया है. ऐसी स्थिति में अध्यक्ष के भविष्य को लेकर चर्चाएं जारी हैं. पूर्व में भी प्रभात खबर द्वारा 20 से 23 जुलाई के बीच संभावित बैठक के संबंध में समाचार प्रकाशित किया गया था.
बैठक की तिथि तय होने के बाद एक बार फिर आम जनों में अविश्वास प्रस्ताव के परिणाम आश्चर्यजनक होने के आसार दिख रहे है. एक ओर विरोधी जहां हर हाल में कम–से–कम अविश्वास प्रस्ताव से संबंधित आवेदन पर हस्ताक्षर करनेवाले 25 पार्षदों को जिला पर्षद अध्यक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के दौरान होने वाली बहस में उपस्थित करा कर अविश्वास प्रस्ताव पर पारित कराने में लगे हैं, वहीं अध्यक्ष गुट कमोबेश सारण जिले में महाराजगंज लोकसभा चुनाव के बाद बदली राजनीति परिवेश में वर्तमान अध्यक्ष पद से हटाने की कोशिश नहीं कर रहा.
जिला पर्षद की राजनीतिक सूत्रों की माने तो छह माह बाद ही लोकसभा का आम चुनाव होनेवाला है. ऐसी स्थिति में कुछ कद्दावर नेता भी तत्काल अध्यक्ष पद को अस्थिर करने की मुद्रा में नहीं दिखते. उन्हें इस बात की चिंता है कि अध्यक्ष को हटाने से भी मुश्किल काम नये अध्यक्ष का चुनाव है. अतिपिछड़ी जाति से आनेवाले कमोबेश 10 जिला पार्षद हैं इनमें अधिकतर मन–ही–मन अध्यक्ष की कुरसी पर खुद काबिज होने को बेताब हैं.
ऐसी स्थिति में एक अध्यक्ष को हटा कर पुन: दूसरे किसी को बनाने पर कम–से–कम नौ महत्वाकांक्षी जिला पार्षदों के उम्मीदों पानी फेर कर नाराज करने की मुद्रा में कमोबेश राजद के कद्दावर नेता नहीं दिखते. उधर, विरोधी पार्षद एक रणनीति के तहत अपने पार्षदों के साथ जिले से बाहर धार्मिक या ऐतिहासिक यात्र पर निकले हैं, जिससे उन्हें यहां रह कर किसी भी प्रकार का राजनीतिक दबाव नहीं ङोलना पड़े.