छपरा (सदर) : सरकार ने शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के जमीन के पुराने वर्गीकरण को निरस्त करते हुए भूमि का नये सिरे से वर्गीकरण किया है. इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र की भूमि को सात वर्गों में तो शहरी क्षेत्र की भूमि को छह वर्गों में बांटा है. वहीं नयी नियमावली में ग्रामीण क्षेत्र के उस गांव के अंतिम घर के चारों ओर स्थित 200 मीटर की परिधि में स्थित जमीन को आवासीय करार दिया है. जबकि शहरी क्षेत्र के सड़क के किनारे अवस्थित भूमि को चाहे वह मकान हो या खाली भूमि व्यावसायिक भूमि ही मानते हुए इसकी व्यावसायिक एवं आवासीय दर एक ही निर्धारित करने का निर्देश दिया है.
निबंधन महानिरीक्षक बिहार आदित्य कुमार दास ने सारण के समाहर्ता सह जिला निबंधक ने पत्रांक 15111 दिनांक 22 दिसंबर 2017 को पत्र निर्गत कर जिला अवर निबंधक, सभी अवर निबंधक एवं सभी सीओ को भूमि का वर्गीकरण सामान्य रूप से निर्धारित करने तथा दस्तावेजों के निबंधन हेतु भूमि वर्गीकरण पंजी तैयार करने का निर्देश दिया है. डीएम ने पत्र में यह भी लिखा है भूमि वर्गीकरण पंजी का उपयोग मात्र निबंधन विभाग की आवश्यक्ताओं को देखते हुए प्रत्येक तीन वर्ष पर बनाया जायेगा.
डीएम हरिहर प्रसाद ने जिला अवर निबंधक संजय कुमार तथा एकमा, मशरक, मढ़ौरा, परसा, सोनपुर के अवर निबंधक को पत्र भेजकर नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे तथा मेजर डिस्ट्रिक बोर्ड से सटे खेसरा वाली भूमि का सामान्यत: व्यावसायिक एवं आवासीय उपयोग होने की वजह से व्यावसायिक दर से ही राजस्व उगाही का निर्देश दिया है. साथ ही प्रत्येक गांव के अंतिम घर के दो सौ मीटर की परिधि को आवासीय मानने तथा असिचिंत एवं एक फसला श्रेणी में उपस्थापित दस्तावेज का निबंधन पदाधिकारी द्वारा स्वयं स्थल निरीक्षण करने के बाद ही करने का निर्देश दिया है.