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पत्रों के वितरण में आड़े आ रही डाकियों की कमी

छपरा (सारण) : यदि आपके घर समय से चिट्ठी, रजिस्ट्री या मनीआर्डर आदि न पहुंचें, तो बहुत झुंझलाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि डाक वितरण की मौजूदा व्यवस्था में उनका समय से पहुंच पाना संभव ही नहीं है. कारण, एक डाकिया या डाक बाबू पर रोज कम से कम दो सौ चिट्ठी-पत्री के वितरण की […]

छपरा (सारण) : यदि आपके घर समय से चिट्ठी, रजिस्ट्री या मनीआर्डर आदि न पहुंचें, तो बहुत झुंझलाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि डाक वितरण की मौजूदा व्यवस्था में उनका समय से पहुंच पाना संभव ही नहीं है. कारण, एक डाकिया या डाक बाबू पर रोज कम से कम दो सौ चिट्ठी-पत्री के वितरण की जिम्मेदारी है. जिले में रोजाना 25 से 30 हजार डाकपत्र आते हैं, जबकि डाकियों की संख्या लगभग 106 ही है. छपरा प्रधान डाकघर में वर्ष 2013 के बाद से नई नियुक्तियां नहीं हुई हैं.

जबकि हर साल स्टाफ रिटायर हो रहे हैं. विभाग का मुख्य काम डाकपत्रों का वितरण है. इसमें भी स्टाफ की कमी आड़े आ रही है. जिले में दो प्रधान डाकघर हैं और इसके अलावा उप डाकघर 49 व शाखा डाकघरों की संख्या 339 है, जहां रोजाना 25 से 30 हजार से ज्यादा डाक आती हैं. प्रधान डाकघर में 20 बीट हैं और दो अतिरिक्त पोस्टमैन ही हैं. एक दशक पहले प्रधान डाकघर में 30 बीट थे. बीटों का यह निर्धारण अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है. समय के साथ जनसंख्या बढ़ी, मोहल्लों की संख्या बढ़ती गयी,

लेकिन विभाग ने बीटों की संख्या में इजाफा करने की जगह कटौती शुरू कर दी है. एक-एक बीट में मोहल्लों की संख्या बढ़ा दी गयी. एक डाकिया को एक से ज्यादा बीट दे दी गयी. इस समय एक पोस्टमैन पर सात आठ से ज्यादा मोहल्लों की जिम्मेदारी है. छपरा शहर में कुल 45 वार्ड हैं, जिसे डाक विभाग ने 20 भागों में विभाजित कर 20 बीट बनाया हैं. इस तरह प्रत्येक पोस्ट मैन पर कम से कम दो वार्डों की जिम्मेवारी है. अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर कैसे एक पोस्टमैन इतनी ज्यादा संख्या में डाक का वितरण कर पाता होगा. ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति इससे भी खराब है. एक पंचायत में एक शाखा डाक घर हैं और ग्रामीण डाक सेवक हैं, जिस पर उप डाक घर से पत्र लाने और पत्र वितरित करने तथा बुकिंग किये गये पत्रों को उप डाक तक पहुंचाने की भी जिम्मेदारी है. पोस्टमैन पर अब हैंड हेल्ड मशीन से किये जाने वाले कार्य का बोझ भी बढ़ने वाला है.

मनीऑर्डर में आयी कमी : जिले में मनीऑर्डर की आवक काफी कम हो गयी है. खास कर एक दशक के अंदर इसमें काफी कमी आयी है. डेढ़ दशक पहले तक सारण जिले में देश स्तर पर सबसे अधिक मनीऑर्डर की आवक होती थी. बैंकों में कोर बैंकिंग सिस्टम लागू होने तथा एटीएम से कैश निकासी की व्यवस्था लागू होने के कारण मनीऑर्डर की आवक काफी कम हो गयी है. अब छपरा प्रधान डाक घर में प्रति दिन आठ दस मनीऑर्डर ही आता है, जबकि पहले यहां एक हजार से अधिक मनीऑर्डर आता था.
क्या कहते हैं अधिकारी
जिले में ग्रामीण क्षेत्र में पत्र काफी कम आते हैं और प्रधान डाकघर तथा उप डाकघरों में पत्रों की आवक ठीक है. वर्तमान समय में पोस्टमैन पर कार्य का बोझ ज्यादा नहीं है और एक दिन में डेढ़ दो सौ पत्रों का वितरण किया जा सकता है.
ललित कुमार सिन्हा, वरिष्ठ डाक अधीक्षक, छपरा, सारण

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