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बुनियादी सुविधाएं नदारद, तो कैसे होगा विकास

समस्तीपुर : आबादी जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है उस अनुपात में व्यवस्था को विकसित करने की कवायद नहीं हो रही है. स्वच्छता अभियान कागजों पर सिमट चुका है. डस्टबीन नहीं होने के कारण कूड़े सड़कों पर फेकें जा रहे हैं. उचित लेवलिंग नहीं होने के कारण बने नाले से जलनिकासी नहीं हो पा रही है. […]

समस्तीपुर : आबादी जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है उस अनुपात में व्यवस्था को विकसित करने की कवायद नहीं हो रही है. स्वच्छता अभियान कागजों पर सिमट चुका है. डस्टबीन नहीं होने के कारण कूड़े सड़कों पर फेकें जा रहे हैं. उचित लेवलिंग नहीं होने के कारण बने नाले से जलनिकासी नहीं हो पा रही है. पहले आबादी कम होने, शहर के बाहर कूड़ा-कचरा

बुनियादी सुविधाएं नदारद,
इकट्ठा करने की जगह पर्याप्त होने के कारण कचरे की बड़ी समस्या नहीं थी. फिर पहले आज की तरह का होनेवाला प्लास्टिक और न सड़ने वाला सामान भी नहीं होता था, जिसके कारण जो कचरा होता वह सब आसानी से सड़ जाता था. प्लास्टिक के सामान के प्रचलन और खतरनाक बीमारियों के फैलने से इस कचरे के खतरों को हजारों गुना बढ़ा दिया है. बावजूद कूड़ा निस्तारण का कोई उपाय नहीं किया गया है. शिक्षाविद प्रो अभिलाषा सिंह ने बताया कि स्वच्छ शहर की परिकल्पना तभी साकार होगी जब प्रशासन के साथ-साथ आमलोग भी ईमानदारी के साथ ठोस पहल करें.
पार्किंग की नहीं है उचित व्यवस्था अक्सर जाम की स्थिति
शहर के अंदर सभी व्यापारियों के बड़े-बड़े प्रतिष्ठान होने के चलते यहां भारी मालवाहक दुकानों का सामान लेकर अंदर आते हैं, जिससे बाजार की सड़कों पर जाम की स्थिति निर्मित हो जाती है. इन वाहनों का शहर में प्रवेश करने का कोई समय निश्चित नहीं है. इस कारण असमय बड़े वाहनों का आवागमन होता रहता है, जिससे बाजार में घंटों जाम लगा रहता है. बाजार आनेवाले दो व
पार्किंग की नहीं है
चार पहिया वाहनों को बेतरतीब तरीके से बाजार की सड़कों पर खड़ा कर दिया जाता है. वहीं नगर पर्षद द्वारा भी शहर के बाजार क्षेत्र में पार्किंग की उचित व्यवस्था नहीं करायी गयी है. नियत स्थान पर पार्किंग नहीं होने के कारण लोगों द्वारा अपने वाहनों को मनमरजी से कहीं भी स्थान पाकर खड़ा कर दिया जाता है. बाजार क्षेत्र में वाहनों की बेतरतीब पार्किंग की व्यवस्था पर पुलिस भी रोक नहीं लगा पा रही है.
शहर की इन समस्याओं का होगा िनदान, तो शहर होगा स्मार्ट
नासूर बनी जलजमाव की समस्या
यूं तो पूरा शहर जलजमाव की समस्या से परेशान है. किंतु, कुछेक मोहल्लों में जलजमाव की समस्या नासूर की तरह लोगों को सता रही है. बरसात की कौन कहे अन्य मौसम में भी जलजमाव का नजारा आम होता है. वहीं, बरसात के दिनों में तो स्थिति और भी नारकीय हो
नासूर बनी जलजमाव
जाती है.
जब मुहल्ले व मुख्य सडकों पर घुटने भर पानी जमा हो जाता है. वहीं नप प्रशासन के क्या कहने, एक तरफ जहां लाखों रु पये खर्च कर नाले का निर्माण कर रही है. वहीं नाले से जल निकासी की व्यवस्था नहीं होने के कारण कहीं नाला स्वत: टूट रहे हैं तो तो कहीं लोगों के द्वारा जमींदोज किया जा रहा है. परिणामस्वरूप आम दिनों में सडकों पर जल का जमाव होता है. शहर के कई नाला अपना अस्तित्व खोने के कगार पर पहुंच चुका है.
मुख्य सड़कों पर भी अतिक्रमण, कराह रहा है शहर
शहर के मुख्य मार्ग ताजपुर रोड़,कचहरी रोड़,स्टेशन रोड़ आदि सडकों पर अतिक्रमण एक जटिल समस्या हो गयी है. खासकर दुकानदारों द्वारा सड़कों पर दुकान फैलाये जाने से लोगों का चलना मुहाल हो रहा है. समय-समय पर अतिक्रमण हटाने का चलने वाला अभियान महज
मुख्य सड़कों पर भी
खानापूर्ति साबित होता है. इससे आम आदमी के अलावा वाहन चालकों को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. सड़कों पर वाहनों की रफतार पैदल यात्रियों से भी धीमी रहती है, जिसका मुख्य कारण सड़कों के दोनों किनारों पर अवस्थिति दुकानदारों द्वारा सड़कों का अतिक्रमण किया जाना है.
शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे लोग
शहर के लोग पेयजल जैसी बुनियादी सुविधा के लिए तरस रहे हैं. नप के कई क्षेत्रों में सैकड़ों लोग पेयजल सप्लाई का नहीं खुद की व्यवस्था से पानी पीते हैं. भीषण गरमी के मौसम में वार्ड के लोग पानी की एक बूंद के लिए तरस रहे हैं. लोगों का कहना है कि समस्या को लेकर विभाग के कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी ने समस्या का समाधान नहीं किया है.

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