समस्तीपुर : सरकारी आंकड़े अपने-अपने स्तर पर यह दावे करते हैं कि अमूक स्थान में हैंडपंप या ट्यूबवेल आदि जल स्रोतों की व्यवस्था हो गयी है, लेकिन वे इस बात की गारंटी नहीं दे सकते हैं कि जल स्तर नीचे चले जाने के बाद भी इन हैंड पंपों या ट्यूबवेल में पानी उपलब्ध होगा? कुछ […]
समस्तीपुर : सरकारी आंकड़े अपने-अपने स्तर पर यह दावे करते हैं कि अमूक स्थान में हैंडपंप या ट्यूबवेल आदि जल स्रोतों की व्यवस्था हो गयी है, लेकिन वे इस बात की गारंटी नहीं दे सकते हैं कि जल स्तर नीचे चले जाने के बाद भी इन हैंड पंपों या ट्यूबवेल में पानी उपलब्ध होगा? कुछ इसी तरह नगर परिषद अपनी आंकड़े को दर्शा कई जगहों पर पेयजल उपलब्धियों का बखान करते रहते हैं व दूसरी ओर पेयजल संकट भी अपनी जगह बना रहता है. कुछ यही हाल शहर के कर्पूरी बस पड़ाव परिसर का है.
यात्रियों को पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कर्पूरी बस पड़ाव परिसर स्थित टोकन घर के पीछे एक चापाकल की व्यवस्था की गयी थी. लेकिन पिछले वर्ष ही जलस्तर नीचे चले जाने के बाद चापाकल पानी देना बंद कर दिया व नप प्रशासन उसे पेयजल देने योग्य बनाने की दिशा में कारगर कदम भी नहीं उठायी. वर्तमान में हाल यह है कि तापमान बढ़ते ही यात्री पेयजल के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं.
इसमें से तो पानी ही नहीं निकलता…
कर्पूरी बस पड़ाव परिसर में शुद्ध पेयजल व्यवस्था उपलब्ध कराने का कार्य कई माह पूर्व ही पूर्ण हो चुका है. लेकिन हस्तानांतरण के पेच में फंस पेयजल आपूर्ति व्यवस्था यात्रियों को मुंह चिढ़ा रही है. जानकारी के मुताबिक, जिला शहरी विकास अभिकरण को बस पड़ाव परिसर में शुद्ध पेयजल व्यवस्था उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी सौंपी गयी थी. इसके लिये एक छोटा मीनार तैयार कर टंकी लगायी गयी है. साथ ही प्याउ बना चार नल भी लगाये गये हैं. लेकिन नल से पानी नहीं निकल रहा है. इस संबंध में पूछने पर नप इओ देवेंद्र सुमन ने बताया कि डूडा के द्वारा अबतक पेयजल आपूर्ति व्यवस्था को हस्तानांतरण नहीं किया गया है. इधर, डूडा के कार्यपालक अभियंता ने नप इओ को पत्र भेज दिये जाने की बात कही है.