समस्तीपुर : उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित वृंदावन आश्रम से पहुंचे कथा वाचक रामायणी भरत शरण दास ने कहा कि भक्ति से ही भव सागर को पार किया जा सकता है. मनुष्य को यदि भक्ति की परिभाषा सीखनी और जाननी हो तो वे वीर हनुमान से सीख सकते हैं. उन्होंने संपूर्ण कामना का त्याग कर […]
समस्तीपुर : उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित वृंदावन आश्रम से पहुंचे कथा वाचक रामायणी भरत शरण दास ने कहा कि भक्ति से ही भव सागर को पार किया जा सकता है. मनुष्य को यदि भक्ति की परिभाषा सीखनी और जाननी हो तो वे वीर हनुमान से सीख सकते हैं. उन्होंने संपूर्ण कामना का त्याग कर प्रभु श्रीराम में की भक्ति में लीन हो गये.
कई ऐसे अवसर भी आये जब उनकी भक्ति के प्रमाण ने मनुष्य को हैरत में डाल दिया. शहर के तिरहुत एकेडमी उच्च विद्यालय परिसर में आयोजित सात दिनी कथा यज्ञ के पहले दिन मंगलवार को श्री दास ने कहा कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम व माता सीता के साथ वीर हनुमान का नाम अपनी भक्ति भावना के बल पर ही जुड़ा.
जब तक यह धरती विद्यमान रहेगी प्रभु श्रीराम के साथ हनुमान का नाम जुड़ा रहेगा. रामजनकी समारोह विवाह उत्सव यज्ञ समिति जिला परिषद हनुमान मंदिर के तत्वावधान में आयोजित कथा यज्ञ की सफलता में सक्रिय भूमिका निभा रहे सुरेश झा, अधिवक्ता अरुण कुमार झा, राम कुमार झा, जितेंद्र प्रसाद सिंह, महेश प्रसाद यादव आदि ने बताया कि यह कार्यक्रम 12 दिसंबर तक चलेगा.
दलसिंहसराय : स्वार्थ इनसान को दिग्भ्रमित कर देता है, जिससे उसके विवेक पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है़ स्वार्थ का विष जब आंखों में उतरता है, तो सृष्टि ही उलटी होने लगती है़ इसलिए स्वार्थ से बचना चाहिए. ये कहना है सुधीरजी महाराज के़ वे संत जोसेफ पब्लिक स्कूल में चल रहे नौ दिवसीय रामकथा अमृतवर्षा के छठे दिन श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए यह बातें कही़ं आगे कहा कि स्वार्थ के वश में आकर अपने पुत्र भरत को राजा बनाने के लिए कैकेयी ने अपने पति को खो दिया और राम के वनवास जाने पर अयोध्या अनाथ हो गयी. वहीं भ्रातृत्व भाव के उदारचरित भरत के विशिष्ट धार्मिक चिंतन व उतकृष्ट भ्रातृत्व भाव पर बल देते हुए कहा कि भरत व गुरु वशिष्ट का वार्तालाप अनोखे धर्म की व्याख्या प्रस्तुत करता है, जो भरत के मातृ-स्नेह, पितृ-वातसल्य, जनचिंता व विरक्त साधुचरित को दर्शाता है़ इसलिए व्यक्ति को स्वार्थ से बचने की सलाह दी़ मौके पर आयोजन समिति के अजय झा, अधिवक्ता अभय झा, डाॅ संजय झा व मृत्युंजय झा समेत अन्य की सक्रिय भागीदारी देखी गयी. हजारों की संख्या में पहुंचे महिला व पुरुष श्रद्धालुओं से पूरा माहौल भक्तिमय बना रहा.