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वाहे गुरु के जयकारे से गूंजा शहर

प्रकाश उत्सव. गुरुद्वारे से निकाला गया नगर कीर्तन सुख समृद्धि के लिए लोगों ने की प्रार्थना समस्तीपुर : सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव का 548 वां प्रकाश उत्सव उत्साहपूर्वक मनाया जा रहा है. उत्सव के दूसरे दिन रविवार की सुबह मारवाड़ी बाजार स्थित गुरुद्वारे से नगर कीर्तन निकाला गया. यह स्टेशन रोड समेत शहर […]

प्रकाश उत्सव. गुरुद्वारे से निकाला गया नगर कीर्तन

सुख समृद्धि के लिए लोगों ने की प्रार्थना
समस्तीपुर : सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव का 548 वां प्रकाश उत्सव उत्साहपूर्वक मनाया जा रहा है. उत्सव के दूसरे दिन रविवार की सुबह मारवाड़ी बाजार स्थित गुरुद्वारे से नगर कीर्तन निकाला गया. यह स्टेशन रोड समेत शहर के विभिन्न मार्गों से गुजरा. इसमें पांच प्यारे के रूप में बच्चे भी साथ साथ चल रहे थे. अमनदीप सिंह, युवराज सिंह, गुरनोत सिंह, हर्ष सिंह, शिबू, सतपाल सिंह, हरजीत सिंह जूनियर, अंशप्रीत, अनमोल, मनजीत सिंह, सतविंदर सिंह,
गोलू, अमन आकर्षण के केंद्र बने रहे. इसके अलावा केसरिया वस्त्र में भक्तों की टोली साथ-साथ चल रही थी. इस दौरान पंजाब से आये बाबा जगजीत सिंह व उनके साथी अपनी आवाज में ‘जो बोले सो निहाल, सत नाम वाहे गुरु, सतगुरु आयो शरण तुम्हारी, वाहे गुरुजी का खालसा वाहे गुरुजी की फतह…’जैसे जयकारे से शहर व आसपास का गली-मोहल्ला को निहाल किया.
देर दोपहर तक गुरु के जयकारे वातावरण में गूंजते रहे. गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव सरदार पपींदर सिंह, रॉकी सिंह और तारा सिंह ने गुरुजी की वाणी का योगदान किया. स्त्री साध संगत भी कीर्तन का का संचालन कर रही थी. इस दौरान जगह-जगह नगर कीर्तन में शामिल भक्तों का भव्य स्वागत भी किया गया.
श्रद्धालुओं ने गुरुजी के भक्तों को शर्बत, चाय व जूस पिलाकर आशीष लिये. नगर कीर्तन से वापस गुरुद्वारा लौट कर लोगों ने मत्थे टेके. सुख समृद्धि के लिए गुरु से प्रार्थना की. मौके पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सचिव और धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि गुरु साहेब का उपदेश केवल सिखों के लिए ही नहीं, बल्कि समस्त मानवता के लिए लाभदायक है. गुरुनानक देवजी ने मेरा, तेरा, जाति पात को छोड़कर सारी मानवता को जानने का आदेश दिया. गुरुजी कहते हैं कि सारे जीव परमात्मा की संतान हैं. इसका हमें दैनिक जीवन
में ख्याल रखना चाहिए.
गुरुनानक देव की 548 वीं जयंती पर कई कार्यक्रमों का आयोजन
प्रकाश उत्सव पर निकले नगर कीर्तन में शामिल श्रद्धालु . नगर कीर्तन में ड्रम बजा कर कीर्तन करतीं श्रद्धालु .
1469 में हुआ था जन्म
गुरु नानक देव सिखों के प्रथम गुरु हैं. उनका जन्म तलवंडी (पाकिस्तान) के रायभोय नामक स्थान पर 15 अप्रैल सन 1469 को हुआ था. गुरु नानक का प्रकाश उत्सव कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है. तलवंडी अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि जब नानकदेवजी का जन्म हुआ,
तो प्रसूति गृह अलौकिक प्रकाश से भर उठा था. उस नवजात शिशु के मस्तक पर आभा फैली हुई थी. चेहरे पर अद्भुत शांति थी. गुरु नानक देव को बचपन से ही परमात्मा में लगन लग गयी थी. उन्होंने अपना सारा जीवन दूसरों के परमार्थ में लगाया. सभी को उनके बताये हुए मार्ग पर चलना चाहिए.
गुरुद्वारा में लंगर आज
प्रकाश उत्सव को लेकर स्थानीय गुरुद्वारा को भव्य तरीके से सजाया संवारा गया है. गुरुवाणी की ध्वनि से वातावरण पवित्र हो रहा है. गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सचिव सरदार पपींदर सिंह ने बताया कि सोमवार को गुरुद्वारे में विशाल लंगर का आयोजन होगा. इसमें सभी श्रद्धालुओं को हिस्सा लेना चाहिए. इसकी तैयारी पहले ही पूरी कर ली गयी है. इस आयोजन में जाति-पाति और छोटे बड़े का फर्क मिट जाता है.

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