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अधिकांश मंदिरों में बलि प्रथा का बदल गया स्वरूप

समस्तीपुर : समय के बदलाव के साथ ही दुर्गा मंडपों में बलि प्रथा में भी बदलाव आया है. अब मंदिरों में पशु बली की प्रथा लगभग कम ही जगह दिखाई पड़ती है. शहर के कुछ एक मंदिरों को छोड़कर शेष सभी पूजा मंडपों में माता को अब सिसकोहरा, नारियल आदि की बली दी जाती है. […]

समस्तीपुर : समय के बदलाव के साथ ही दुर्गा मंडपों में बलि प्रथा में भी बदलाव आया है. अब मंदिरों में पशु बली की प्रथा लगभग कम ही जगह दिखाई पड़ती है. शहर के कुछ एक मंदिरों को छोड़कर शेष सभी पूजा मंडपों में माता को अब सिसकोहरा, नारियल आदि की बली दी जाती है. इससे माता के स्वरूप की आराधना की जाती है.

पहले जहां कई प्राचीन मंदिरों में मेष व महिष की बली दी जाती थी. विशेषकर नवमी पूजा के बाद बली माता को अर्पण किया जाता था. समय बदलने के साथ धीरे-धीरे इस बली प्रथा ने भी बदलवा के करवट देखे. नयी पीढ़ी के युवाओं ने अब बली की प्रचीनतम प्रथा में बदलाव किया है. विशेषकर मैथिल पद्धति से पूजा होने के कारण पूजा मंडपों में पशु बलि की प्रथा समाप्त हो चुकी है.

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