-खर्च के बावजूद नहीं मिली सुविधा, अब पूछ रहे बच्चे
समस्तीपुरः उच्च विद्यालयों में शिक्षा की स्थिति में सुधार के लिए सरकारी स्तर पर काफी व्यवस्था की जा रही है. लेकिन इसका शत प्रतिशत लाभ बच्चों को नहीं मिल पा रहा है. उच्च विद्यालयों में जहां प्रयोगशाला नहीं थे वहां प्रयोगशाला के लिए सरकार ने राशि आवंटित भी कर दी है. जिससे प्रयोगशाला के उपकरण खरीद लिये गय़े बावजूद इसके विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को यह नहीं पता कि प्रयोगशाला की व्यवस्था विद्यालय के किस भवन में है. जानकारी के अनुसार जिले में 111 उच्च विद्यालय व 20 उत्क्रमित मध्य विद्यालय में प्रयोगशाला की व्यवस्था के लिए सरकारी स्तर पर प्रत्येक वर्ष 50 हजार रुपये वार्षिक अनुदान व मरम्मत के लिए 25 हजार रुपये सालाना दी जाती है. इस राशि से प्रयोगशाला कक्ष के साथ ही इसमें उपयोग में लाये जाने वाले उपकरणों की खरीद की जानी है. आवंटित राशि में से अब तक करीब डेढ़ करोड़ रुपये खर्च भी किये जा चुके है. बावजूद इसके ग्रामीण इलाकों के अधिकतर विद्यालयों में प्रयोगशाला नहीं बना है. इसमें शहरी क्षेत्र के भी दो विद्यालय शामिल हैं जहां प्रयोगशाला नहीं है. यह स्थिति तब है जब प्रत्येक विद्यालय को ढाई लाख से अधिक की राशि उपलब्ध करायी जा चुकी है.
क्या है योजना
सरकारी उच्च विद्यालयों में वर्ष 1990 से ही प्रत्येक छात्र-छात्र को जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान तथा रसायन विज्ञान में प्रायोगिक परीक्षा देना अनिवार्य कर दिया गया था. नियमों के अनुसार विद्यालयों में इसके लिए प्रयोगशाला की व्यवस्था होनी चाहिए थी. बावजूद उच्च विद्यालयों में बगैर प्रयोगशाला के ही प्रैक्टिकल की परीक्षा ली जाती रही. वर्ष 2005 में सरकार की नींद खुली तो प्रत्येक उच्च विद्यालयों में प्रयोगशाला की व्यवस्था के लिए राशि उपलब्ध कराना शुरू कर दिया गया. ताकि बच्चों को प्रयोगशाला के माध्यम से सही शिक्षा मिल सक़े
सहायकों की कमी
तमाम उच्च विद्यालयों में प्रयोगशाला सहायकों की भारी कमी है. यहीं कारण है कि प्रयोगशाला सही तरीके से काम नहीं कर पा रहे हैं. अधिकांश उच्च विद्यालयों व प्लस टू विद्यालयों में तो प्रयोगशाला कक्ष के आगे बोर्ड भी नहीं लगा है. ऐसे में इसके बारे में सहजता से अंदाजा लगाया जा सकता है.
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