समस्तीपुर : शहर की चरमराई यातायात व्यवस्था से आमजन परेशान हैं. इसके लिए जिम्मेवार प्रमुख कारणों में से एक शहर की मुख्य सड़कों का अतिक्र मित होना हैं. इस संबंध में पूछे जाने पर आमजनों ने ‘प्रभात खबर’ के समक्ष खुलकर अपनी बात रखी. किसी ने नगर परिषद को तो किसी ने प्रशासन को इसका जिम्मेदार ठहराया.
लोगों की आम राय है कि व्यवस्था को पूर्ण रूप से बहाल करने के लिए सख्ती से परहेज भी नहीं होना चाहिए. वैश्विक पटल पर जिले की विशेष पहचान है. परंतु अब इस पर अतिक्रमणरूपी धूल जम रही है. जिसे साफ करने के लिए जिला प्रशासन को निर्णायक पहल करने की नितांत आवश्यकता है. कुल मिलाकर यह कहना गैरमुनासिब नहीं होगा कि शहर में अतिक्रमण की मार से यातायात व्यवस्था पूरी तरह से लाचार हो गयी है.
नगर परिषद ने नो वेंडिंग जोन अब तक नहीं बनाया है. सड़क पर बैठकर खाने का आनंद लेना हो तो शहर के चौक चौराहे पर ले सकते हैं. चौराहा के आसपास एक दर्जन से ज्यादा होटल है. फुटपाथ को उन्होंने रसोई घर बना लिया है और सड़क पर कुर्सी व मेज रखकर लोगों को खाना खिलाते हैं. इसके चलते भी कई इलाकों में दिनभर जाम लगा रहता है. बाजारों में पहुंचने के लिए अतिक्र मण के कारण ग्राहकों को जूझना पड़ता है.
कई चौराहों पर दस से ज्यादा ठेले खड़े होते है. इनको व्यविस्थत करने के लिए फेरी नीति बनी है लेकिन केवल कागज में ही है. ऐसा नहीं है कि नगर परिषद ने अतिक्रमण विरोधी अभियान नहीं चलाया है. कई बार चलाया है. अब तक लाखों रुपये भी खर्च कर दिए लेकिन पुलिस की ढिलाई का लाभ लेकर दुकानदार फिर से कब्जा कर लेते है.