समस्तीपुरः बंगाल की खाड़ी से उड़ीसा व झारखंड के रास्ते बिहार पहुंचा तूफान ‘फैलिन’ ने जिले में अपना रौद्र रूप दिखाते हुए व्यापक क्षति पहुंचायी. तूफान की वहज से कई झोपड़ियां तबाह हो गयी तो भारी वर्षा के कारण कच्चे मकान धाराशायी हो गये. जिसकी चपेट में आने से तीन लोगों की मौत हो गयी. मूसलाधार बारिश के कारण शहर से लेकर गांव तक पानी-पानी हो गया. जिसका असर ने नवरात्र के उत्साह को फीका कर दिया.
बिथान व बाजितपुर में मौत
राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा स्थित मौसम विभाग के मुताबिक बिहार में पहुंचे ‘फेलिन’ के चौथे चक्र के कारण हवा की रफ्तार औसतन 30 से 40 किलो मीटर रही.जिसके कारण कई दो दर्जन झोपड़ियां पूरी तरह तबाह हो गयी. मुफस्सिल थाना क्षेत्र के कोन बाजितपुर गांव में कच्च मकान का छप्पड़ गिरने से उसके नीचे सो रहे नथुनी सिंह (45), बिथान के बेलसंडी गांव में मकान गिरने से उसके नीचे सो रहे सोनू कुमार (7) व रामानंद यादव की पुत्री पूनम कुमारी (7) की मौत हो गयी.
पूजा पंडाल हुए धराशायी
शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में पूजा स्थलों पर सजे पूजा-पंडाल तेज हवा की वजह से धाराशायी हो गये. हाउसिंग बोर्ड मैदान में पानी भर जाने से मेला का रंग पूरी तरह धुल गया. मथुरापुर घाट समेत अन्य स्थानों पर आकर्षक रुप से सजे पंडालों लोगों की निगाहों को खुश कर करने से पहले ही बेरंग हो गये. वर्षा के कारण पूजा स्थलों पर जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी. लोगों के घरों में भी पानी प्रवेश कर गया. डीआरएम के बंगले में भी पानी घुस गया.
संचार सेवा प्रभावित
रेल ट्रैक, सड़कों व विद्युत तारों पर पेड़ों के गिरने की वजह से संचार सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं. समस्तीपुर रेल मंडल के सकरी-बिरौल, तारसराय, थलवारा, कपूरपुरा व कांटी एवं सुपौल राघोपुर ट्रैक पर पेड़ गिरने से कई ट्रेनों के परिचालन पर असर पड़ा. मंडल परिचालन प्रबंधक दिलीप कुमार के मुताबिक चक्रवात के कारण ट्रेनें बीस से तीन मिनट विलंब से चलीं. इधर, मुफस्सिल थाना के निकट पुराना पेड़ धराशायी हो गया. समाहरणालय के अलावा कई स्थानों पर पेड़ की टहनियां टूट कर सड़क और विद्युत तारों पर आ गिरे. जिसके कारण यातायात व विद्युत सेवा चरमरायी रहीं. शहरी क्षेत्रों में करीब 20 घंटे व समाचार प्रेषण तक ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रेक डाउन की स्थिति बरकरार रही. जिसके कारण शहरी क्षेत्रों में पेयजल संकट गहराने लगा है. दूरसंचार सेवा भी प्रभावित रहे.
लाखों का नुकसान
करीब 24 घंटे के दौरान हुई करीब 35 मिली मीटर बारिश की वजह से शहर से लेकर गांव तक में जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी. खेतों में 4 से 5 सेंटी मीटर पानी जमा हो गया. गावा व बाली की अवस्था में आ चुकी धान की फसल की जड़ों में पानी लगने के साथ तेज हवा के कारण धाराशायी हो गये. हजारों एकड़ में लगे तंबाकू और तोरी की फसल बर्बाद हो गया. जिससे किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. वैसे रबी उत्पाद किसान वर्षा को बेहतर संकेत के रुप में देख रहे हैं.
घरों में दुबके रहे लोग
खराब मौसम की वजह से लोग घरों में ही दुबके रहे. जिसके कारण दशहरा में मिली छुट्टियां बेकार चली गयी. इसका सीधा असर पूजा-पंडालों पर भी पड़ा. कई लोग माता का दर्शन करने तक से वंचित रह गये. वहीं मौसम का मिजाज भांप कर मेला स्थल पर दुकान सजाने वाले छोटे-बड़े व्यवसायियों ने अपनी दुकानें विपरीत मौसम में ही समेट लिया. जिससे मेला स्थल पूरी तरह से सूना रहा. उधार की पूंजी लेकर मेला में दुकान लगा कमाने का मनसूबा पाल रखे थे.
अर्जुन कुमार, गणोश झा, नथुनी भगत समेत कई छोटे-बड़े व्यवसायियों का कहना है कि डालडा, मैदा तक उधार लिया था. अब लेकिन खराब मौसम ने उस पर पानी फेर कर रख दिया है. जिसकी भरपायी करने के लिए काफी मशक्कत करनी होगी.