पूसा. बदलते मौसम के परिवेश में फिलवक्त गेहूं की फसल अत्यधिक प्रभावित होते प्रतीत हो रहा है. मुख्य रूप से असमय पछुआ हवा अधिकाधिक चलने से गेहूं की बाली धोधावस्था में रहने के कारण दूध सूखने का भय सता रहा है. उक्त बातें कहना है आरएयू के गेहूं वैज्ञानिक डॉ डीके सिंह का. इन्होंने किसानों को आगाह करते हुए कहा कि गेहूं की खेतों में नमी बरकरार रखने की जरूरत है. सिंचाई के बाद नेत्रजन का प्रयोग लाभकारी होगा. इधर, बोरोलॉग इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशिया संस्थान के वरीय वैज्ञानिक डॉ आरके जाट एवं भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अध्यक्ष डॉ आइएम सोलंकी ने संयुक्त रूप से एक अभियान के तहत बदलते मौसम के परिवेश में राज्य के विभिन्न जिलों में लगे गेहूं के भिन्न भिन्न प्रभेदों के ट्रायल पर सतर्कता बरतते हुए लक्ष्य के अनुरूप उत्पादन प्राप्त करने की बात कही. किसानों से आग्रह करते हुए कहा कि अपने फसलों को ि नयमित ढंग से निगरानी रखें.
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मौसम का प्रतिकूल प्रभाव : डॉ सिंह
पूसा. बदलते मौसम के परिवेश में फिलवक्त गेहूं की फसल अत्यधिक प्रभावित होते प्रतीत हो रहा है. मुख्य रूप से असमय पछुआ हवा अधिकाधिक चलने से गेहूं की बाली धोधावस्था में रहने के कारण दूध सूखने का भय सता रहा है. उक्त बातें कहना है आरएयू के गेहूं वैज्ञानिक डॉ डीके सिंह का. इन्होंने किसानों […]
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