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128.26 लाख के दवा वितरण पर उठे सवाल

समस्तीपुर : सदर अस्पताल में मरीजों को उपलब्ध करायी जाने वाली दवा वितरण व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं. यहां मरीजों को दवा उपलब्ध कराये जाने के एवज में उसके हस्ताक्षरयुक्त द्वितीय चिकित्सकीय परामर्श पत्र नहीं मिले जा रहे हैं. इससे वर्ष 2010-11 और वर्ष 11-12 में 128.26 लाख रुपये में से खरीदी गयी दवाओं […]

समस्तीपुर : सदर अस्पताल में मरीजों को उपलब्ध करायी जाने वाली दवा वितरण व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं. यहां मरीजों को दवा उपलब्ध कराये जाने के एवज में उसके हस्ताक्षरयुक्त द्वितीय चिकित्सकीय परामर्श पत्र नहीं मिले जा रहे हैं. इससे वर्ष 2010-11 और वर्ष 11-12 में 128.26 लाख रुपये में से खरीदी गयी दवाओं के वितरण का कोई साक्ष्य नहीं होने पर कैग ने उंगली उठा दी है.

जानकारी के अनुसार, सदर अस्पताल को वर्ष 2010-11 में दवा मद में 46 लाख रुपये मिले थे. इसके विरुद्ध 45.33 लाख रुपये की दवा खरीदी गयी. इसी तरह वर्ष 2011-12 में 83.36 लाख रुपये इसी मद में प्राप्त हुए थे. इसके विरुद्ध 82.92 लाख रुपये की दवा खरीदी गयी थी. 11 नवंबर 2011 से 5/12 की अवधि में की जांच का ब्योरा प्रस्तुत करते हुए महालेखाकार ने कहा है कि आवंटन पंजी व आवंटन आदेशों की जांच के क्रम में पाया गया कि दवा वितरण से संबंधित ओपीडी, मेटरनिटी वार्ड, लेबर वार्ड, इमरजेंसी वार्ड, ओटी, मेल व फीमेल वार्ड के दवा वितरण पंजी में मरीजों के निबंधन संख्या के विरुद्ध दवा का वितरण दर्शाया गया है.
दवा वितरण के साक्ष्य में मरीजों का प्राप्त हस्ताक्षर नहीं लिया गया. चिकित्सा पदाधिकारियों के द्वारा भी मरीजों के प्रीस्क्रिप्सन का द्वितीय प्रति निर्गत नहीं किया गया था. इस पर मरीजों के हस्ताक्षर लेकर एक प्रति दवा वितरण अपने पास रख सके. जिससे दवा वितरण के साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सके. इस व्यवस्था पर कैग ने सवाल उठाते हुए कहा है कि ऐसी व्यवस्था से दवा वितरक को यह पूरी छूट मिली है कि वह चाहे तो वितरण में दवाओं की संख्या और उसकी मात्र को बढ़ा सकें. वास्तविक वितरण किये बिना भी वह वितरण पंजी में दवा वितरण दिखा सकते हैं. जांच के क्रम में आपत्ति उठाने पर अस्पताल प्रशासन की ओर से कहा गया कि अंकेक्षण के सुझाव को भविष्य के लिए अंकित किया गया. लेकिन अब तक पुरानी व्यवस्था पर ही दवा वितरण हो रही है. इससे हेरफेर की आशंका को बल मिलता है. इस बाबत संपर्क करने पर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ एएन शाही कहते हैं कि मरीजों की उमड़ने वाली अप्रत्याशित भीड़ के कारण अब तक इस पर अमल नहीं किया जा सका है.

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