रोसड़ा : विगत चार पांच दिनों से हो रही लगातार बारिश से जहां लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. वहीं बुधवार को पुन: शहर के नगरपालिका आदर्श मध्य विद्यालय के बरामदे की छत की परतें अचानक टूटकर गिर पड़ीं. संयोगवश उस छत के नीचे करीब आधा दर्जन शिक्षक कुर्सी पर बैठे थे. अचानक छत की परतें गिरने से शिक्षकों में अफरातफरी मच गई. जब तक शिक्षक वहां से भागते तब तक तीन शिक्षक के शरीर पर ही छत का टुकड़ा गिर पड़ा.
तीनों शिक्षकों को काफी चोटें आई.जिसमें शिक्षक मोहम्मद नसीम अहमद एवं हिमांशु कुमार का इलाज अनुमंडलीय अस्पताल में किया गया. वहीं एक महिला शिक्षक संगीता कुमारी भी घायल हो गई. जिनका इलाज निजी क्लीनिक में किया गया. इस स्कूल की जर्जरता एवं भयावहता को देख मंगलवार को प्रभात खबर ने स्कूल के छत के टूकड़े टूटने से संबंधित खबर को प्रकाशित किया था. जिसमें बड़ी हादसे की आशंका व्यक्त की गई. परंतु स्कूल का कोई वैकिल्पक व्यवस्था नहीं किया गया है.
जिस कारण पुन: बुधवार को आखिरकार करीब 10 से 15 फीट में छत की परतें टूटकर गिर पड़ा. जिसमें शिक्षक तो घायल हुए,परंतु वहां से भागने के कारण बड़ी हादसा टल गई. घायल शिक्षक मोहम्मद नसीम अहमद एवं हिमांशु कुमार ने बताया कि अगर विभागीय पदाधिकारी द्वारा कोई वैकिल्पक व्यवस्था अविलंब नहीं की गई, तो बाध्य होकर विद्यालय को बंद कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि छुट्टी रहने के कारण बुधवार को विद्यालय के छात्र-छात्रएं नहीं आए थे. फिर भी 2, 4 छात्र स्कूल में आकर घूम रहे थे.उसी समय छत की परतें टूट गई. इस घटना की सूचना पर मोहल्ले के कई लोगों ने स्कूल परिसर पहुंचकर स्थिति को देख शिक्षा विभाग के अधिकारियों को काफी कोस रहे थे. शिक्षक आशुतोष राज, सायरा बानो,कुमारी पुष्पा आदि ने बताया कि वर्षा का पानी स्कूल के कक्षा में भी घुस आया है. जिसमें छात्र छात्रओं को पढ़ाना मुश्किल हो गया है. हमेशा हादसे का भय सताते रहता है. अगर किसी बच्चे को कुछ हो गया तो अभिभावकों द्वारा शिक्षकों को ही दोषी ठहराया जाएगा. ऐसी परिस्थिति में कक्षा संचालन काफी मुश्किल हो रही है. ाथ ही कहा कि छत गिरने की सूचना देने के बावजूद भी वरीय पदाधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. शिक्षकों ने एक स्वर से कहा कि अब एक दिन भी इस विद्यालय में कक्षा संचालन करना बड़ी घटना को आमंत्रित करने के समान है. शिक्षकों ने अब दूसरे जगह कक्षा संचालन के लिए स्थान तलाशने लगे हैं. अब देखना है कि छात्र छात्रओं का कक्षा संचालन दूसरे जगह हो पाता है या इसी जर्जर स्कूल में पुन: खतरे के बीच बच्चों का पठन पाठन किया जाता है.