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महाविद्यालय में व्याख्यानमाला का आयोजन, मिथिला में न्याय दर्शन पर हुई चर्चा

श्री उग्रतारा भारती मंडन संस्कृत महाविद्यालय में शनिवार को व्याख्यानमाला का आयोजन कर मिथिला में न्याय दर्शन विषय पर विस्तृत चर्चा हुई

महिषी. मुख्यालय स्थित कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्व विद्यालय की अंगीभूत इकाई श्री उग्रतारा भारती मंडन संस्कृत महाविद्यालय में शनिवार को व्याख्यानमाला का आयोजन कर मिथिला में न्याय दर्शन विषय पर विस्तृत चर्चा हुई. महाविद्यालय प्राचार्य डॉ नंद किशोर चौधरी की अध्यक्षता व डॉ प्रभा नंदा के संचालन में संचालित व्याख्यानमाला को संबोधित करते भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान राष्ट्रपति निवास शिमला के अध्येता व शोधकर्ता डॉ मुनीश कुमार मिश्र ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में न्याय दर्शन का विशेष महत्व है. महर्षि गौतम के न्याय दर्शन की उत्पत्ति स्थल मिथिला रही है. लेकिन विश्व स्तर पर न्याय दर्शन के प्रचार प्रसार के लिए उन्हें काशी का प्रवास करना पड़ा. न्याय दर्शन में मिथिला के अमूल्य योगदान को नकारा नहीं जा सकता. न्याय दर्शन को पुष्पित व पल्लवित करने में गौतम के बाद आचार्य उदयन, शंकर मिश्र, बच्चा झा, बालकृष्ण मिश्र, गंगा नाथ झा, रुद्रधर झा सहित दर्जनों मिथिला विभूतियों ने न्याय दर्शन सिद्धांतों का प्रतिपादन कर सहभागिता दी. अध्यक्ष डॉ नंद किशोर चौधरी ने समापन सत्र को संबोधित करते कहा कि काशी में मिथिला, बंगाल व महाराष्ट्र के विद्वानों ने अपने क्षेत्रीय गुरुकुल में ज्ञानार्जन कर ख्याति प्राप्ति की मंशा से काशी को अपना आश्रय स्थल बनाया व कीर्ति प्राप्त की. न्याय दर्शन में मिथिला का योगदान अनुसंधान व शोध का विषय है. दो तिहाई से भी अधिक मनिषियों ने भारतीय न्याय दर्शन में अपना सिद्धांत दे मिथिला को गौरवांवित किया है. मौके पर डॉ आशीष मल्लिक, डॉ चंद्रेश उपाध्याय, डॉ आनंद दत्त झा, डॉ निक्की प्रियदर्शिनी, डॉ महाबीर झा सहित दर्जनों छात्र छात्रा मौजूद थे.

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