पटना : मंगलवार को एक वृद्धा को गंभीर अवस्था में उसके परिजन सहरसा से आइजीआइएमएस में लेकर आये. लेकिन आइजीआइएमएस में उन्हें भर्ती नहीं किया गया. इसके कारण महिला ने दम तोड़ दिया. महिला चार दिन से सहरसा के एक अस्पताल में आइसीयू में भर्ती थी. वहां से एंबुलेंस के सहारे वह 270 किमी का सफर तय कर आइजीआइएमएस पटना पहुंच गयी, लेकिन यहां आइसीयू में भर्ती नहीं किया गया.महिला की उम्र 65 साल थी और नाम निर्मला देवी था. उन्हें उनकी बेटी, दामाद लेकर आये थे.
कोरोना के डर से नहीं किया भर्तीनिर्मला देवी को बेटी-दामाद रात पौने दस बजे आइजीआइएमएस के ट्रॉमा सेंटर तक लेकर पहुंच गये थे. वहां एक रेजिडेंट डॉक्टर थे. रेफर लेटर और रिपोर्ट दिखाने के बाद भी उनको भर्ती नहीं किया. रेजिडेंट डॉक्टर ने कहा कि आइसोलेशन वार्ड में रखेंगे. वहां ऑक्सीजन की सुविधा नहीं दे पायेंगे. कोरोना की जांच होने तक इंतजार करना पड़ेगा. दामाद संजय झा ने बताया कि वह दो घंटे तक गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई डॉक्टर देखने तक नहीं आया. सीनियर डॉक्टर भी कोई नहीं था.
12 बजे आइजीआइएमएस से लेकर दूसरे अस्पताल की खोज में निकले. मीठापुर के अस्पताल में आइसीयू में बेड मिला, लेकिन तब तक निर्मला देवी की मौत हो चुकी थी. कोरोना से डरी हुई व्यवस्था ने छीन ली मां नाइजीरिया में फंसे निर्मला देवी के बेटे अजीत ने प्रभात खबर को वाट्सएप के जरिये बताया कि घंटों इंतजार के बाद भी आइजीआइएमएस में उपचार नहीं मिला. स्वास्थ्य सेवा इतनी खराब होगी, यह पता नहीं था. मां को बचाने के लिए सहरसा से पटना ले गये थे. उनकी जान कोरोना से डरी हुई व्यवस्था ने ली है. अस्पताल के डॉक्टर उनको आइसीयू में भर्ती कर लेते, तो मां का साया नहीं उठता.