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पटना साहिब में प्रकाश पर्व, सहरसा में उत्साह

1959 से पूर्व यहां गुरुमत वाले सरदार अमर सिंह के घर ही था गुरुद्वारा दान की जमीन पर सभी धर्म के लोगों के सहयोग से बना था गुरुद्वारा सहरसा : गुरु गोविंद सिंह के 350वें जन्मोत्सव पर उनके जन्मस्थान पटना साहिब में पांच दिनों का प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है. जिसमें दुनियां भर से […]

1959 से पूर्व यहां गुरुमत वाले सरदार अमर सिंह के घर ही था गुरुद्वारा

दान की जमीन पर सभी धर्म के लोगों के सहयोग से बना था गुरुद्वारा
सहरसा : गुरु गोविंद सिंह के 350वें जन्मोत्सव पर उनके जन्मस्थान पटना साहिब में पांच दिनों का प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है. जिसमें दुनियां भर से सिक्खों का आगमन हो रहा है. बिहार सरकार की ओर से कार्यक्रम को विश्वस्तरीय व ऐतिहासिक रूप देने का प्रयास लगातार जारी है. जिससे सिख समुदाय में खासा उत्साह व श्रद्धा है. आयोजन के लिए वे राज्य सरकार खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बधाई देते अपनों को पटना चलने अथवा आने का न्योता दे रहे हैं.
सरदार अमर सिंह का घर ही था गुरुद्वारा: 1959 से पूर्व सहरसा में गुरुद्वारा नहीं था. लेकिन लगभग 25 परिवारों की एक छोटी बस्ती थी. सभी परिवार के लोग ‘गुरुमत जलपान गृह’ वाले सरदार अमर सिंह के घर ही अरदास व कीरतन किया करते थे. बाहर से आने वाले सेना के जवान, ट्रक ड्राइवर अथवा अन्य व्यवसाय से जुड़े सिख समुदाय के लोग जब यहां गुरुद्वारे की तलाश करते थे, तो उन्हें सरदार अमर सिंह के घर ही पहुंचा दिया जाता था. वहीं वे अरदास, कीरतन सहित भोजन ग्रहण करते थे. लेकिन बाद में गुरुद्वारे की जरूरत महसूस हुई तो सरदार अमर सिंह ने अपने तीन अन्य साथियों के साथ स्थानीय लोगों से संपर्क करना शुरू किया.
दान की जमीन पर स्थापित हुआ गुरुद्वारा: सरदार अमर सिंह के साथ सरदार तीरथ सिंह, सरदार कुलदीप सिंह व राजदीप सिंह के संपर्क करने पर जमींदार रहे जनार्दन सिंह ने गुरुद्वारे के लिए दान स्वरूप दो कट्टा जमीन उपलब्ध करा दी. सरदार नाहर सिंह के नेतृत्व में सभी जाति-धर्म के लोगों के सहयोग से गुरुद्वारे का निर्माण शुरू हो गया व शीघ्र ही शहर के प्रमुख पहचानों में शामिल हो गया. 60 के दशक में गुरुद्वारा के मुख्य ज्ञानी गोपाल सिंह हुआ करते थे व सनातन धर्म को मानने वाले राजदीप सिंह नियमित रूप से यहां भजन-कीरतन में शामिल हो तबला वादन करते थे. सिख समुदाय से जुड़े लोग भी धीरे-धीरे गुरुद्वारे के इर्द-गिर्द जमीन खरीद बसना शुरू कर दिए. आज इस आसपास सिर्फ इसी धर्म विशेष के लोग रहते है और इस गली का नाम भी गुरुद्वारा गली के नाम से चर्चित हो गया है. हालांकि धीरे-धीरे इनका परिवार और व्यवसाय बढ़ता गया और वे शहर के अलग-अलग इलाकों जैसे डीबी रोड, गांधी पथ, बनगांव रोड व मीर टोला में बसते चले गये. हालांकि आर्थिक सुदृढ़ीकरण के बाद सिखों का यहां से पलायन भी होता रहा. यहां विभिन्न व्यवसाय से जुड़े सरदार यशपाल सिंह, सरदार स्वर्ण सिंह, सरदार गुरुचरण सिंह, सरदार उत्तम सिंह, सरदार संतोष सिंह, सरदार इंद्रदेव सिंह रोमी, हरप्रीत सिंह, अजीत सिंह व अन्य ने कहा कि पटना में ऐतिहासिक रूप से मनाये जा रहे प्रकाश पर्व के लिए सीएम बधाई के पात्र हैं.

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