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कहीं कूड़ेदान बना है सपना, कहीं कूड़े में फेंका है कूड़ादान

कचरा प्रबंधन को लेकर सजग नहीं नगर परिषद आउटसोर्सिंग को नहीं सौंपा जा रहा काम सहरसा : संसाधन से लैस होने के बावजूद नगर परिषद से बीते चार वर्षों में शहरवासियों को जो सुविधा मिलनी चाहिए थी, वह मयस्सर नहीं हो सकी. इसका सबसे बड़ा कारण परिषद में कार्य संस्कृति का अभाव रहा. उदाहरण के […]

कचरा प्रबंधन को लेकर सजग नहीं नगर परिषद

आउटसोर्सिंग को नहीं सौंपा जा रहा काम
सहरसा : संसाधन से लैस होने के बावजूद नगर परिषद से बीते चार वर्षों में शहरवासियों को जो सुविधा मिलनी चाहिए थी, वह मयस्सर नहीं हो सकी. इसका सबसे बड़ा कारण परिषद में कार्य संस्कृति का अभाव रहा. उदाहरण के तौर पर शहर में चौक-चौराहे पर कूड़े यत्र-तत्र बिखरे हुए दिखते हैं. ऐसा नहीं है कि परिषद के पास कूड़ादान नहीं है. समस्या यह है कि समुचित संख्या में कूड़ादान होने के बावजूद इसका सदुपयोग नहीं हो पा रहा है.
कहीं पर पूरी तरह कूड़ादान गायब है तो कहीं कूड़ादान खुद कचरे के बीच फेंका हुआ दिखायी देता है. इस समस्या के लिए आम लोग भी कम जिम्मेवार नहीं हैं, जो कूड़ादान के बावजूद गली की सड़कों पर कूड़े को फेंकना पसंद करते हैं. नतीजा यह है कि शहर में जगह-जगह कूड़े-कचरे का ढ़ेर है और बीच-बीच में हो रही बारिश की वजह से कचरा कई समस्याओं को जन्म देने के लिए तैयार है.
वार्ड 22 में सड़ रहा है कूड़ादान. नगर परिषद के वार्ड संख्या 20 और 21 में कई प्रमुख जगहों पर कूड़ादान खोजने से भी नहीं मिलता है. इसके अलावा वार्ड संख्या 36 में भी कमोबेश यही स्थिति है.
यही कारण है कि यहां लोग कूड़ादान के अभाव में जहां खाली जमीन देखी, वहीं कचरा फेंक देते हैं. इन वार्डों को छोड़ दें तो भी लगभग सभी वार्डों में कई ऐसे जगह एवं घनी आबादी वाले मोहल्ले हैं, जहां इसकी आवश्यकता है, लेकिन कूड़ादान नहीं है. नप की लापरवाही का आलम तो यह है कि शहर के बटराहा, कृष्णा नगर वार्ड नंबर 22 में नये कूड़ादान फेंके हुए नजर आते हैं. स्थिति यह है कि नगर परिषद की ओर से कुछ वर्ष पहले खरीद की गयी कूड़ादान सुरक्षित रखने के बजाय सड़क किनारे फैले कचरे और जंगली घास के बीच फेंके हुए हैं.
कूड़े और जंगली घास के बीच जमीन में धंसा कूड़ादान वार्डों में पहुंचने के बजाय सड़ने के कगार पर है. विडंबना तो यह है कि शहर की वैसी जगहों पर जहां कूड़ादान की जरूरत है, वहां कूड़ादान लगाने के बजाय नप की ओर से कोई प्रयास तक नहीं किया जा रहा है. अब नगर परिषद को मुख्यमंत्री के सात निश्चय के तहत सफाई के मामले में कार्य संस्कृति बदलने की उम्मीद लोग पाले हुए हैं.
आयुक्त के निर्देश पर नहीं हुई पहल. कोसी आयुक्त द्वारा नगर परिषद को निर्देशित किया गया था कि शहर की सफाई के लिए आउटसोर्सिंग की मदद ली जाय.
इन संस्था के जरिये शहर के प्रत्येक घरों से कूड़ा उठाव के अलावा सड़कों की सफाई की जायेगी. हालांकि कुछ वार्ड में पार्षद के निजी प्रयास से इस प्रकार की व्यवस्था शुरु भी की गयी थी. लेकिन नप के अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने से योजना बंद हो गयी. ज्ञात हो कि आयुक्त के निर्देश मिलने के बावजूद नगर परिषद आउसोर्सिंग को सफाई कार्य करने के लिए नियुक्त नहीं कर रही है. जबकि शहर में दिन-ब-दिन गंदगी का अंबार लगता जा रहा है.
कचरा उठाव के लिए करनी पड़ती मिन्नत
कचरा निष्पादन का हाल यह है कि कई मोहल्ले में इसके लिए यहां के लोगों को नप और वार्ड पार्षद से गुहार लगानी पड़ती है. कई वार्ड में अब भी दर्जनों ऐसी सड़क है जहां कूड़ादान सपना ही है. कचरा निष्पादन के लिए गाहे-बगाहे वाहन और मजदूर इन बस्तियों में पहुंचते हैं. ऐसा नहीं है कि यह स्थिति केवल इन्हीं वार्डों में है.
शहर का व्यस्ततम शंकर चौक, गांधी पथ, बस स्टैंड, पूरब बाजार, बटराहा तथा नया बाजार में भी कूड़ादान की कमी के कारण कचरा सड़कों और चौराहों पर जमा होता है. ज्ञात हो कि यहां कचरा निष्पादन कार्य होता है, लेकिन आवश्यकता के अनुसार नहीं होने से यहां भी कचरा बड़ी समस्या बनी हुई है.

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