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बैजनाथपुर पेपर मिल क्यों नहीं हो सका चालू सहरसा मुख्यालय : जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर बैजनाथपुर में 41 साल पूर्व पेपर मिल की स्थापना 1975 में हुई थी. 48 एकड़ भूमि अधिग्रहण करके बिहार सरकार ने इसे चलाने के लिए निजी और सरकारी सहयोग के उद्देश्य से बिहार पेपर मिल्स लिमिटेड कंपनी का […]

बैजनाथपुर पेपर मिल क्यों नहीं हो सका चालू

सहरसा मुख्यालय : जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर बैजनाथपुर में 41 साल पूर्व पेपर मिल की स्थापना 1975 में हुई थी. 48 एकड़ भूमि अधिग्रहण करके बिहार सरकार ने इसे चलाने के लिए निजी और सरकारी सहयोग के उद्देश्य से बिहार पेपर मिल्स लिमिटेड कंपनी का गठन किया. जिसने निर्माण कार्य शुरू करवाया. 1978 में निजी उद्यमियों से करार खत्म होने के कारण काम रूक गया. तत्कालीन सरकार ने पब्लिक क्षेत्र के अंतर्गत परियोजना को चलाने का निर्णय लिया. जिसके बाद बैजनाथपुर पेपर मिल बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम (बियाडा) की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी हो गयी.
उस दिन से कंपनी के शत प्रतिशत शेयर की हकदार भी निगम हो गयी. बिहार सरकार और निगम की आपसी सहमति के बाद विदेश से एक पुरानी मशीन भी खरीदी गयी. भारत सरकार के प्रतिष्ठान हिंदुस्तान स्टील कंस्ट्रक्शन लिमिटेड को मिल में होने वाले असैनिक कार्यों की जिम्मेवारी दी गयी. 1987 में निगम द्वारा कार्य स्थल में दो वर्षों का लक्ष्य निर्धारित कर कार्य शुरू किया गया. लेकिन निगम और सरकार द्वारा सही समय पर राशि का आवंटन नहीं होने के कारण निर्माण कार्य की गति धीमी होती गयी. सरकारी उदासीनता और बैंकों के असहयोग के कारण परियोजना कार्य बंद होती चली गई. 1996-97 में बैंक ऑफ इंडिया द्वारा स्वीकृत कर्ज 7 करोड 40 लाख विमुक्त करने के बाद मिल का कार्य फिर से शुरू किया गया. मिल आज भी चालू हालत में है. बिहार सरकार की तत्कालीन उद्योग मंत्री रेणु कुशवाहा ने मिल शुरू कराने की घोषणा भी की थी. लेकिन आज तक चालू नहीं हो सका है.
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