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शुरुआती ठंड है, संभल कर
सहरसा नगर : कहा जाता है कि ठंड की शुरुआत व अंत में लोगों को संभल कर रहना चाहिए. ठंड का डंक इन्हीं दोनों समय में अधिकांश लोगों को अपनी चपेट में लेता है. कारण होती है हमारी लापरवाही और आलस्य. इस समय लोग गरम कपड़ों के प्रति थोड़े लापरवाह होते हैं. खासकर कामकाजी लोग […]
सहरसा नगर : कहा जाता है कि ठंड की शुरुआत व अंत में लोगों को संभल कर रहना चाहिए. ठंड का डंक इन्हीं दोनों समय में अधिकांश लोगों को अपनी चपेट में लेता है. कारण होती है हमारी लापरवाही और आलस्य. इस समय लोग गरम कपड़ों के प्रति थोड़े लापरवाह होते हैं. खासकर कामकाजी लोग व स्कूल जाने वाले बच्चों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए.
ठंड हवा से बचने का पूरा उपाय कर लेना चाहिए. घरों में कंबल के साथ-साथ रजाई भी निकल चुकी है. गरम कपड़े भी धूप में सुखाये जा चुके हैं. फिर भी घर से निकलते समय इन कपड़ों से परहेज बरतना ठंड लगने का सबसे बड़ा कारण है. कामकाजी लोग भी सुबह 10 या 11 बजे की धूप में निकल तो जाते हैं, लेकिन शाम होते ही ठंड हवा की सिहरन उन्हें सर्द करती है. चिकित्सक डॉ एचआर मिश्रा कहते हैं कि छोटे बच्चों के लिए भी ऐसे मौसम में खास सावधानी बरतने की जरूरत है. उन्हें घर में भी स्वेटर सहित पैर में जुराब व सर को टोपी से ढ़ंक कर रख कर शुरुआती ठंड के प्रकोप से बचाया जा सकता है.
अचानक बढ़ी ठंड
बुधवार को ठंड की अचानक बढ़ी रफ्तार ने लोगों को अंदर तक हिला दिया. पानी का स्पर्श भी डराने लगा. कई लोगों ने स्नान का तय दैनिक कार्यक्रम कैंसिल कर दिया. वहीं कई जगह बच्चे व बूढ़े अलाव तापते नजर आये. बाजार में सड़कों पर अतिआवश्यक कार्य से निकले लोग ही नजर आये या फिर पढ़ाई करने जा रहे बच्चे व बच्चियों की चहलकदमी ही दिखी. लेकिन वे भी ठंड से ठिठुरते व सिकुड़ते रहे.
कुहासे से दुर्घटना की आशंका
कहरा. बुधवार से मौसम में बदलाव होने के कारण कुहासे ने सड़कों का परिचालन प्रभावित कर दिया है. सुबह देर तक गाडि़यों को लाइट जलाकर चलना पड़ा. वहीं रात को धीमी गति से गाडि़यों का परिचालन होने लगा है. प्रखंड अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश सड़कों पर लाइट नहीं रहने के कारण लोगों को दुर्घटना की आशंका बन गयी है.
ठंड ने पशुओं पर भी डाला प्रभाव
कहरा. बुधवार से अचानक ठंड का प्रकोप बढ़ जाने के कारण आम जनजीवन के साथ-साथ पशुओं पर भी प्रभाव डालने लगा है. ग्रामीण इलाकों में पशुपालकों द्वारा अपने पशुओं को ठंड से बचाव हेतु कई प्रकार की सुरक्षा करने में लग गये हैं. पशुओं को बंद कमरे व मोटे कपड़ों से ढ़ंक कर रखने लगे हैं. अत्यधिक ठंड से गरीब पशुपालकों को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
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