17.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अब बस नहीं, खुलती हैं खर-पतवार लदी गाड़ियां

सहरसा : नगररांची, रामगढ़, हजारीबाग सहित सूबे के विभिन्न शहरों के लिये प्रमंडलीय मुख्यालय से खुलने वाली बसों की उद्घोषणा सुने अब स्थानीय लोगों के लिए पुरानी बात हो गयी है. पुन: सुपर बाजार स्थित डिपो से उस आवाज को सुनने की उम्मीद भी अब धूमिल हो गयी है. लगभग चार वर्ष पूर्व प्रमंडलीय मुख्यालय […]

सहरसा : नगररांची, रामगढ़, हजारीबाग सहित सूबे के विभिन्न शहरों के लिये प्रमंडलीय मुख्यालय से खुलने वाली बसों की उद्घोषणा सुने अब स्थानीय लोगों के लिए पुरानी बात हो गयी है. पुन: सुपर बाजार स्थित डिपो से उस आवाज को सुनने की उम्मीद भी अब धूमिल हो गयी है.

लगभग चार वर्ष पूर्व प्रमंडलीय मुख्यालय स्थित निगम के डिपो को बंद कर पूर्णिया शिफ्ट कर दिया गया था. सड़क परिवहन की सस्ती व सुरक्षित यात्रा से लोग वंचित हो गये. इस वजह से निजी बस मालिकों द्वारा मनमाना किराया वसूल आम यात्रियों का दोहन किया जा रहा है.

ज्ञात हो कि बस डिपो को चालू करने के लिये स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों व विपक्षी दलों द्वारा कई बार प्रदर्शन किये जाने के बाद भी जिले के अधिकारी व जनप्रतिनिधियों ने डिपो की सुधि नहीं ली. नतीजतन बस डिपो में स्थानीय लोग खर-पतवार की खेती कर पशुपालकों को बेच रहे है. बस अड्डा की जमीन का अतिक्रमण कर होटल व कोयला डिपो खोल दिया गया है.

कभी हुआ करता था गुलजार सहरसा बस डिपो कभी बसों की आवाजाही एवं यात्रियों की भीड़ से गुलजार रहा करता था. यहां से झारखंड के रांची, रामगढ़, हजारीबाग, देवघर सहित पटना, भागलपुर, नवगछिया, थाना बिहपुर, सुल्तानगंज, मधेपुरा, मुरलीगंज, सुपौल, वीरपुर, त्रिवेणीगंज एवं जिला के नवहट्टा, सिमरी बख्तियारपुर सहित कटिहार, पूर्णिया एवं विभिन्न मार्गों के लिये बसें खुला करती थीं. फिलवक्त सहरसा से दरभंगा तक एक जोड़ी बस का संचालन किया जा रहा है.

जो इन दिनों वीरान होने की वजह से असामाजिक तत्व एवं जुआड़ियों का अड्डा बन चुका है. यात्रियों के बैठने की जगह पर शराब की बोतलें सरकारी उपलब्धि को बयां करती रहती है. हाइटेक था बस डिपो बिहार सरकार द्वारा डिपो के स्थापना काल में ही यहां परिचालन को सुचारु रूप से चलाने के लिये सभी तकनीकी सुविधा उपलब्ध करायी गयी थी.

जिसमें डिपो को अपना वर्कशॉप व पेट्रोल टंकी भी लगायी गयी थी. इसके बावजूद निगम की कुल नौ बसों को मरम्मत करने के बजाय वर्कशॉप में सड़ने के लिये छोड़ दिया गया. जिसे वर्ष 2011 में राज्य सरकार द्वारा नीलामी के माध्यम से पटना के एक कंपनी को औने पौने दाम में बेच दिया गया.

जनप्रतिनिधि नहीं दे रहे जवाबप्रमंडलीय बस डिपो का सरकार के आदेश के बाद पूर्णिया शिफ्ट कर दिये जाने के बाद भी स्थानीय जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे हुए हैं. जिले के वर्तमान व पूर्व के जनप्रतिनिधियों ने चुप्पी साध मामले में पहल करने वाली संस्था को प्रभावित किया है.

मुख्य द्वार पर लगा ताला व खर मिलने की लिखी गयी सूचना- बस पड़ाव में बैठने के लिए बनायी गयी जगह, जहां अब खुलेआम पीते हैं शराब किराया व स्थान से संबंधित लगायी गयी थी तालिका – स्टैंड के किनारे वाले भाग में खोल दिया गया डिपो

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें