शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने में नाकाम साबित हो रहा जल मीनार (टॉप बॉक्स के लिए) फोटो-05,06,07कैप्सन- जलमीनार व आयरन रहित चापाकल एवं स्थानीय लोगों का प्रोफाइल फोटो.प्रतिनिधि, निर्मली करीब तीन दशक पूर्व अनुमंडल मुख्यालय में लाखों रुपये की लागत से निर्मित जलमीनार महज शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है. स्थानीय लोगों को स्वच्छ व आयरन मुक्त पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वर्ष 1980 ई में इस जलमीनार का निर्माण कराया गया. पर, हकीकत यह है कि लोगों को इस जलमीनार से आज तक एक बूंद पानी भी नसीब नहीं हो पाया है. निर्माण के बाद इस जलमीनार की मरम्मत के नाम पर कई बार लाखों रुपये व्यय किये जा चुके हैं. इन सब के बावजूद यह मीनार लोगों की प्यास बुझाने में अक्षम साबित हो रहा है. इसे विभाग व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता कहें, अथवा शहरवासियों का दुर्भाग्य, की तीन दशक से स्थानीय लोग स्वच्छ व शुद्ध पेयजल के लिए लालायित हैं. यह अलग बात है कि इसके जीर्णोद्धार के नाम पर विभागीय अभियंता व संवेदकों द्वारा लाखों के वारे-न्यारे किये जा रहे हैं. शुद्ध पेयजल की व्यवस्था के नाम पर खानापूर्ति कोसी व बलान से घिरे इस क्षेत्र में शुद्ध पेयजल का घोर अभाव है. यहां के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के प्रति सरकार भी गंभीर है. इसी के तहत कई योजनाएं भी चलायी जा रही हैं. लाखों रुपये की लागत से निर्मित जलमीनार से लोगों को किसी प्रकार का लाभ नहीं होने के बाद विभाग द्वारा शहर में फिल्टरयुक्त चापाकल लगाया गया. यह भी बेकार साबित हुआ. लगाने के तीन-चार माह बाद से ही सभी चापाकल खराब हो गये. दूषित जल का सेवन कर रहे स्थानीय लोगों ने कई बार सांसद, विधायक व अधिकारियों से गुहार लगायी, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा.सेहत के लिए अनुकूल नहीं है यहां का पानी एक कहावत है ‘जल ही जीवन है’ इस कथन को पहले आध्यात्मिक आधार दिया गया. बाद में वैज्ञानिकों ने इस कहावत पर अपनी मुहर भी लगायी. इसलिए इस आधुनिक युग में पीने के पानी के प्रति लोग ज्यादा सतर्क हो गये हैं. कुछ दिनों पूर्व ही इस क्षेत्र में कार्यरत गैमन इंडिया कंपनी द्वारा पानी के शुद्धता की जांच लैब में करायी गयी थी. जिसमें कई तरह के हानिकारक तत्व पाये गये. लैब जांच में पानी में सबसे ज्यादा आर्सेनिक की मात्रा पायी गयी थी. यही वजह है कि यहां के लोग लगातार दूषित जल पीने से चर्म रोग,गैस्टिक, अल्सर, किडनी व अन्य असाध्य रोगों का शिकार यहां के लोग हो रहे हैं. लोगों को है दूषित जल पीने की विवशताक्षेत्र के लोगों में विभाग व जनप्रतिनिधियों के इस रवैये के कारण काफी आक्रोश व्याप्त है. स्थानीय राघव झा ने बताया कि जनप्रतिनिधि चुनाव के समय तो वायदों की झड़ी लगाते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उन्हें कुछ भी याद नहीं रहता. दीपक नायक का कहना है कि विभागीय उदासीनता के कारण ही इस जल मीनार से पानी की आपूर्ति आरंभ नहीं हो पायी है.उन्होंने बताया कि यह योजना केवल विभागीय अधिकारियों के लिए कामधेनु साबित हो रहा है, जबकि राजकुमार साह ने बताया कि जनप्रतिनिधि व अधिकारियों को केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति से मतलब है. आम लोगों की समस्या से उन्हें कोई लेना-देना नहीं है. वहीं स्थानीय संतोष कुमार का कहना है कि यह यहां के लोगों का दुर्भाग्य ही है कि आजादी के 68 वर्ष बीत जाने के बाद भी लोगों को शुद्ध पेय जल उपलब्ध नहीं कराया जा सका.जबकि शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के नाम पर लाखों रुपये खर्च किये जा चुके हैं.क्या कहते है अधिकारीपीएचइडी के कनीय अभियंता भिखारी राम ने बताया कि जल मीनार का निर्माण तो किया गया, लेकिन पाइप लाइन नहीं बिछाये जाने के कारण पानी की आपूर्ति नहीं की जा रही है. नगर विकास विभाग द्वारा नगर पंचायत को पाइप बिछाने के लिए राशि आवंटित की गयी है. जल्द ही कार्य प्रारंभ हो जायेगा.
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शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने में नाकाम साबित हो रहा जल मीनार (टॉप बॉक्स के लिए)
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